Noida: एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिर गिरफ्तार, सरगना गिरफ्त से अभी बाहर
Noida की सेक्टर 126 कोतवाली पुलिस ने MBBS में दाखिला दिलाने की नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिरों की गिरफ्तार किया है। गिरोह का सरगना अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। सरगना की तलाश में पुलिस अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दे रही है।

नोएडा, जागरण संवाददाता। एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर दर्जनों छात्रों से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिरों को शुक्रवार को सेक्टर-126 कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।अंतरराज्यीय जालसाजों के पास से रेंट एग्रीमेंट, आठ आधारकार्ड, नौ नए सिम, चार चेक बुक, एक डेबिट कार्ड और मोबाइल सहित अन्य सामान बरामद हुआ है।
गिरोह का सरगना अभी गिरफ्त से बाहर
जालसाजों की पहचान बिहार के मुजफ्फरनगर के दीपक कुमार और बांदा के कोतवाली नगर के राजेश कुमार आहूजा के रूप में हुई है। दीपक वर्तमान में दादरी में, जबकि राजेश चोटपुर कालोनी में रह रहा था। गिरोह का सरगना अभी भी कोतवाली पुलिस की पहुंच से बाहर है।
सरगना की तलाश में कोतवाली पुलिस की टीमें अलग-अलग ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि तीन जनवरी को लखनऊ के एक व्यक्ति ने कोतवाली पुलिस को शिकायत दी थी कि एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के नाम पर जालसाजों ने उनकी बेटी से करीब 14 लाख रुपये ले लिए। पैसे ट्रांसफर होने के बाद आरोपितों ने अपना नंबर बंद कर दिया।
सेक्टर-125 में खोला था ऑफिस
शातिरों ने सेक्टर-125 स्थित एक इमारत में ट्रूथ एडवाइजर्स कैरियर कंसल्टेंसी नाम से अक्टूबर में ऑफिस खोला था। लखनऊ की दर्शिका सिंह को आरोपितों ने वाराणसी के एक मेडिकल कालेज में दाखिला दिलाने का झांसा दिया और लाखों रुपये ठग लिए।
डीसीपी ने बताया ट्रूथ एडवाइजर्स कैरियर कंसल्टेंसी अंतरराज्यीय जालसाजी गिरोह द्वारा संचालित की जाती है। इसका सरगना यश चौबे है, जो जय मेहता, यशवंत चौबे और यश चतुर्वेदी सहित अन्य छद्म नाम से छात्रों से संपर्क करता था। गिरफ्त में आए दीपक का छद्म नाम दीपेंद्र है।
ऐसे करते थे संपर्क
एडिशनल डीसीपी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि गिरोह के शातिरों द्वारा नीट की परीक्षा में असफल छात्रों की नेट से जानकारी निकाली जाती थी और इंटरनेट मीडिया के विविध प्लेटफार्म व एजेंट के माध्यम से उनसे संपर्क किया जाता था।
काउंसलिंग करने के बाद जालसाज छात्रों को एमबीबीएस में दाखिला दिलाने का झांसा देते थे और उन्हें संबंधित कालेज के पास होटल में बुलाया जाता था, जहां गिरोह का ही एक शातिर खुद को संबंधित कालेज का प्रशासनिक अधिकारी बताकर छात्रों और उनके स्वजन से मिलता था और यहीं पर डील तय होती थी। हर छात्र से अलग-अलग सिम से संपर्क किया जाता था।
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यह था दाखिले का रेट
एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि शातिर राज्य के कालेज में एडमिशन के नाम पर 30 से 35 लाख रुपये जबकि अन्य राज्य में एडमिशन के नाम पर 20-25 लाख रुपये वसूलते थे। गिरोह के सरगना द्वारा कई बैंकों में 13 खाता अपने व अपने सहयोगियों के नाम से संचालित किया जाता था, जिनमें से पुलिस द्वारा कुल 2,80000 रुपये की रकम सीज कराई गई है।
गिरोह तीन से चार साल से सक्रिय है, जो एक स्थान पर लगभग दो माह तक आफिस संचालित करता था और उसके बाद फरार हो जाता था। अभी तक मालवीय नगर ,कानपुर, लखनऊ, नोएडा सहित अन्य जगह आफिस संचालित होने की जानकारी मिली है। गिरोह के शातिरों ने गुजरात, लखनऊ, कानपुर और राजस्थान के छात्रों के साथ भी ठगी की है।
एक माह के लिए रखते थे कर्मचारी
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि आरोपित अपने आफिस में रिसेप्शन पर 15 से एक माह के लिए किसी कर्मचारी को नियुक्त करता था और कुछ सैलरी देकर उन्हें कुछ समय बाद आने के लिए कहा जाता था। आरोपितों के पास से ठगी से अर्जित संपत्ति से खरीदी गई एक अर्टिगा कार भी बरामद की गई है। आरोपित जिस कालेज में दाखिला दिलाने का झांसा देते थे, वहां से उनका कोई संपर्क ही नहीं रहता था।
गिरोह के शातिरों द्वारा दिए गए एडमिशन कार्ड को लेकर जब छात्र संबंधित कालेज पहुंचते थे तब ठगी की जानकारी होती थी। गिरफ्त में आया दीपक सरगना का करीबी और गिरोह का सक्रिय सदस्य है, जबकि राजेश सरगना को अकाउंट उपलब्ध कराता था।
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