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    वन्य जंतुओं के लिए रेस्क्यू सेंटर फरवरी तक होगा तैयार, जानवरों को मिलेंगी आवास जैसी सुविधाएं

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 10:20 AM (IST)

    नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रभावित वन्यजीवों के लिए बन रहे रेस्क्यू सेंटर को पूरा होने में अभी लगभग पांच महीने लगेंगे। यमुना प्राधिकरण द्वारा निर्मित और वन विभाग द्वारा संचालित यह केंद्र फरवरी तक पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना में 3.4 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसमें चिकित्सा केंद्र तथा जानवरों के लिए आवास जैसी सुविधाएं शामिल होंगी।

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    वन्यजीवों के लिए बन रहे रेस्क्यू सेंटर को पूरा होने में अभी लगभग पांच महीने लगेंगे। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रभावित वन्यजीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर का निर्माण पूरा होने में अभी पांच महीने और लगेंगे। इसके फरवरी तक पूरा होने की उम्मीद है। यमुना प्राधिकरण इस रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कर रहा है और इसका संचालन वन विभाग द्वारा किया जाएगा।

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    नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने क्षेत्र में वन्यजीवों पर परियोजना के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है। संस्थान ने हवाई अड्डे के दस किलोमीटर के दायरे में अध्ययन किया और 258 काले हिरणों और 176 सारसों के साथ-साथ अन्य वन्यजीवों की उपस्थिति का दस्तावेजीकरण किया। उन्होंने रेस्क्यू सेंटर सहित उनके पुनर्वास और संरक्षण के लिए सुझाव दिए।

    यमुना प्राधिकरण ने रेस्क्यू सेंटर के लिए पांच हेक्टेयर भूमि आवंटित की है, जबकि शेष पांच हेक्टेयर भूमि वन विभाग की है। सेक्टर 17 स्थित राजपुरा गांव के पास बन रहे इस रेस्क्यू सेंटर पर 3.4 करोड़ रुपये की लागत आएगी। YEIDA द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि पर स्थायी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है।

    इसमें एक चिकित्सा केंद्र, चिकित्सा कक्ष, शेड, स्टाफ क्वार्टर और एक पशु चिकित्सक के क्वार्टर शामिल होंगे। पशु चिकित्सक और कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। वन विभाग की ज़मीन का इस्तेमाल जानवरों को रखने के लिए किया जाएगा।

    YEIDA के ओएसडी और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के नोडल अधिकारी शैलेंद्र भाटिया बताते हैं कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंज़ूरी मिलने के बाद जुलाई में वन्यजीव बचाव केंद्र का निर्माण शुरू हो गया था और फरवरी तक पूरा हो जाएगा। YEIDA इस बचाव केंद्र का विकास कर रहा है और वन विभाग इसका संचालन करेगा।