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    Nithari Kand: 19 साल लड़ी लड़ाई... एक करोड़ का ऑफर ठुकराया, आखिरी फैसले से टूटा पिता; कोठी के सामने रोने लगा

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 12:33 PM (IST)

    निठारी कांड में 19 साल से इंसाफ का इंतजार कर रहे ज्योति के पिता झब्बू लाल को अदालत के फैसले से निराशा हुई। आरोपियों के बरी होने की खबर सुनकर वे कोठी के सामने रो पड़े। एक करोड़ का प्रस्ताव ठुकराने वाले झब्बू लाल को इस बात का मलाल है कि उनकी बेटी को न्याय नहीं मिला।

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    फैसला आने पर बच्ची ज्योति के माता-पिता ने व्यक्त की लाचारी। फोटो- जागरण

    मुनीश शर्मा, नोएडा। बहुचर्चित निठारी कांड को लेकर 19 साल से लड़ी लड़ाई का बुधवार को जिस समय अंतिम फैसला आ रहा था। उस समय ज्योति के पिता झब्बू लाल मंडी में सब्जी खरीद रहे थे।

    मोबाइल पर फैसले के संबंध में जानकारी मिली कि मोनिंदर पंधेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली बरी हो गए हैं। उन्होंने चुपचाप फोन रखा और डी-फाइव कोठी के सामने पहुंचे। वहां जाकर रोने लगे। लोगों और पत्रकारों के एकत्रित होने पर फैसले के आगे अपनी लाचारी बयां की।

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    ऑफर ठुकराने पर बड़ा बेटे भी हाे गया था खिलाफ

    कपड़ों पर प्रेस करने वाले झब्बू लाल ने कहा कि गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शांत होने के लिए एक करोड़ रुपये का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया। वह शांत नहीं बैठे।

    इस बात काे लेकर उनका बड़ा बेटा भी खिलाफ हो गया था, लेकिन उन्होंने आगे लड़ाई लड़ने का ही मन बनाया था। उनको पूरी उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। वह जानकार व परिचितों के फोन आने पर यही कहा करते थे कि बस अब अंतिम फैसला आना बाकी है।

    उनकी बेटी के हत्यारोपित मोनिंदर और उसके नौकर सुरेंद्र को फांसी मिलेगी, लेकिन फैसला इसके एकदम उल्टा आया। झब्बू लाल ने कहा कि देश-प्रदेश में छोटे-मोटे अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिल रही है। यहां तक अपराधियों के मकानों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। इतनी सारी बच्चियों के कातिलों का क्या हुआ। सरकार को इस दिशा में सोचना होगा।

    मुल्जिम नहीं था तो 15 साल क्यो रखा जेल में?

    झब्बू लाल ने कहा कि अगर मोनिदंर और सुरेंद्र अपराधी नहीं थे तो उनको 10-15 साल जेल में क्यो रखा गया। शुरुआत में दोनों ने खुद कबूल किया था कि उन्होंने ही सभी बच्चियों के साथ अपराध किया है।

    इसको लेकर झब्बू का कहना है कि वो बयान और फाइल कहां चली गईं। अगर इसमें निष्पक्ष कार्रवाई होती तो दोनों अपराधियों के अलावा कई अधिकारी व डॉक्टर भी जेल जाते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका जीवनभर मलाल रहेगा। उन्होंने अपराधियों को बचाने वालों को जी भर के कोसा भी। वहां से भावुक होकर चले गए।

    कोठी के सामने से निकलने पर होता है मलाल, सामने से हटा लिया ठिया 

    फैसले को लेकर ज्योति की मां सुनीता का कहना है कि उनकी बेटी ज्योति को उठाने पर ही मोनिंदर और सुरेंद का खेल उजागर हुआ था। इसके बाद ही दोनों पकड़े गए थे। हमारी बेटी भी चली गई और हमे न्याय भी नहीं मिला।

    उन्होंने कहा कि कोठी के सामने से निकलने पर उनको और उनके पति को मलाल होता है। आखिर यही वो कोठी हो जो हमारी फूल से बेटी को खा गई। इसके चलते वह कोठी के सामने से अपना कपड़ों पर प्रेस का ठिया दूर लगाने लगे हैं।

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