Nithari Kand: क्या है निठारी कांड और मामले में सुरेंद्र कोली को कब-कब हुई सजा? जानिए पूरी टाइमलाइन
सुप्रीम कोर्ट ने Nithari Kand में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। 2006 में नोएडा के निठारी में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे जिसके बाद पंधेर और कोली को गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें कोली को कई मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निठारी कांड में अभियुक्त मोनिंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सभी अपीलें खारिज कर दीं। आइए जानते हैं कि बहुचर्चित निठारी कांड की पूरी कहानी...
क्या है निठारी कांड?
कांड का पर्दाफाश 29 दिसंबर 2006 को हुआ, जब पुलिस को नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंधेर की कोठी के पीछे नाले में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। मामले में मोनिंदर सिंह पंधेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया। जिसके बाद मामले की सुनवाई गाजियाबाद स्थिति सीबीआई कोर्ट में हुई।
आठ फरवरी 2007 को दोनों को सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। जहां से दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। 22 मई 2007 को सीबीआई ने गाजियाबाद की अदालत में मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया।
मोनिंदर सिंह पंढेर पर हल्के आरोप लगाए गए। जबकि सुरेंद्र कोली पर बलात्कार, अपहरण और हत्या के आरोप लगाए गए। जिसके बाद अलग-अलग मामलों में सुनवाई होती रही। 19 मई 2022 को अंतिम मामले में सुनवाई की गई। इस कांड में 15 साल तक गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई है।
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वर्ष 2009 में सुनाया था पहला फैसला
सीबीआई अदालत में सबसे पहले मामला रिंपा हलदर का पूरा हुआ। 13 फरवरी 2009 को सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में पहला फैसला सुनाया। जिससे सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को सजा-ए-मौत की सजा सजा सुनाई थी। इस मामले में सुरेंद्र कोली ने अपने इकबालिया बयान में अपराध कुबूल किया था।
सीबीआई के वकील ने दलील दी थी कि रिंपा की हत्या करने के बाद उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी। फिर चाकू से काटकर उसके बाजू और सीने का मांस भी खाया था। इसमें मोनिंदर सिंह को भी भागीदार बताया था। अदालत ने इस घिनौना अपराध मानते हुए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को मौत की सजा सुनाई थी।
रातों-रात टली थी फांसी
सुरेंद्र कोली को नौ सितंबर 2014 मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी। कोली को मेरठ जेल की एक हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया। फांसी की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थीं। उस समय रविवार का दिन था। कोर्ट बंद थे। वकील इंदिरा जयसिंह ने रात को ही उस वक्त के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा से मिलने का समय मांगा था। जिसके बाद चीफ जस्टिस से इंदिरा जयसिंह को मीटिंग का समय मिला।
रात करीब को 11:45 बजे सीनियर चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के घर स्पेशल अदालत लगी। रात में ही बहस हुई। कैलेंडर की तारीख बदल गई। उस समय रात को 1:00 बजने से कुछ समय पहले ही स्पेशल अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले में अदालत ने सुरेंद्र कोली के मामले में दोबारा सुनवाई के लिए इंदिरा जयसिंह को एक हफ्ते का वक्त देते हुए सुरेंद्र कोली की फांसी पर एक हफ्ते भर के लिए रोक लगा दी।
अदालत के इस फैसले को जल्द से जल्द समय रहते फांसी होने से पहले मेरठ के बैठे पुलिस अधिकारियों को भी बताना था। जिसके बाद सबसे पहले फोन करके मेरठ के डीएम और एसएसपी को इस फैसले की जानकारी दी गई। उन्हें आधी रात को फोन करके नींद से जगाया गया।
सुरेंद्र कोली की फांसी को अगले हफ्ते तक रोके जाने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही उन्हें अदालत के आदेश की लिखित कापी मिलने तक का इंतजार करने को कहा गया। इस बात की जानकारी खुद तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा ने दी थी।
निठारी कांड
- निठारी के कुल 19 मामले में 15 साल तक चला गाजियाबाद सीबीआई में केस
- सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में सुनाई थी फांसी की सजा, तीन में किया था बरी
- मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामले में फांसी, एक में सात साल कारावास और चार मामले में बरी किया
- 22 मई 2007 को सीबीआई ने अदालत में पहला आरोप पत्र दाखिल किया
- 19 मई 2022 को अंतिम मामले में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत और मोनिंदर पंढेर को देह व्यापार में सात साल की सजा
- नंदा देवी, अंजली, रचना, दीपाली, आरती, निशा, बीना हलधर, हर्ष कौशिक, पुष्पा, सतेन्द्र उर्फ मैक्स, बड़ी पायल, पिंकी सरकार, मधु, बच्ची पायल, ज्योति तथा रिंपा हलधर के मामलों में सुनवाई हुई।
कब-कब हुई है सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर पंढेर को सजा-ए-मौत
- 13 फरवरी 2009 - रिंपा हलदर हत्याकांड में सुरेंद्र कोली एवं मोनिंदर पंढेर सजा-ए-मौत। हाईकोर्ट से पंढेर बरी
- 12 मई 2010 -आरती हत्याकांड में सुरेंद्र कोली -सजा-ए-मौत
- 28 अक्टूबर 2010 -रचना लाल हत्याकांड में सुरेंद्र कोली - सजा-ए-मौत
- 22 दिसंबर 2010 -दीपाली हत्याकांड में सुरेंद्र कोली - सजा-ए-मौत
- 24 दिसंबर 12 - सुरेंद्र कोली - सजा-ए-मौत
- 7 अक्टूबर 2016 - सुरेंद्र कोली - सजा-ए-मौत
- 16 दिसंबर 2016 -सुरेंद्र कोली -सजा-ए-मौत
- 24 जुलाई 2017 कोली कोसजा-ए-मौत, पंढेर बरी
- 8 दिसंबर 2017- दोनों को सजा-ए-मौत
- 2 मार्च 2019 - कोली को सजा-ए-मौत- पंढेर बरी
- 6 अप्रैल 2019 - कोली को सजा-ए-मौत - पंधेर बरी
- 16 जनवरी 2021- सुरेंद्र कोली - फांसी
- 26 मार्च 2021 -सुरेंद कोली बरी
- सात जनवरी 2022 सुरेंद्र कोली बरी
- 22 जनवरी 2022 सुरेंद्र कोली बरी
- 19 मई को सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत और मोनिंदर पंढेर को देह व्यापार में सात साल की सजा
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