Lok Sabha Elections: दो पलटीमारों ने गौतमबुद्ध नगर में डुबाई कांग्रेस की नैया, चुनाव से ठीक पहले छोड़ा था साथ
उत्तर प्रदेश की गौतबुद्ध नगर पर दो ऐसे नेता रहे जो कांग्रेस की नैय्या डुबाने में अहम भूमिका अदा की है। एक नेता का तो पश्चिमी यूपी में बड़ा कद माना जाता था। वह वोटिंग से तीन पहले ही पाला बदल लिए। वहीं दूसरे ऐसे नेता रहे जो बसपा से बागी होकर कांग्रेस में आए थे और चुनाव से ठीक पहले ही क्षेत्र से गायब हो गए।

जागरण संवाददाता, नोएडा। गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का जिक्र आते ही दो नाम बरबस ध्यान में आ जाते हैं, जिन्होंने जिले में कांग्रेस को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। दोनों के पालाबदली के निर्णय से जिले में कांग्रेस के राजनीतिक इतिहास को भी हमेशा के लिए हास्यास्पद बना दिया।
पहला नाम 2014 में पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए रमेश चंद तोमर और दूसरा 2019 में प्रत्याशी रहे डॉ. अरविंद सिंह का है। खासकर रमेश चंद तोमर का मतदान से ठीक पहले पाला बदलने से देशभर में कांग्रेस की किरकिरी हुई थी। कांग्रेस का आघात का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि उस समय पार्टी आलाकमान ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति भी गठित की थी।
पश्चिमी यूपी में बड़ा कद
2014 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट से 2009 में हारे हुए प्रत्याशी रमेश चंद तोमर पर ही दोबारा भरोसा जताया। 1991 से 2004 तक गाजियाबाद सीट से भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार सांसद रहे रमेश चंद तोमर 2009 में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। 2009 में भाजपा ने गाजियाबाद से राजनाथ सिंह को मैदान में उतारा था।
हापुड़ के धौलाना से आने वाले रमेश चंद तोमर का पश्चिमी यूपी में बड़ा कद है और उनकी ठाकुर बिरादरी में मजबूत पकड़ रही है। ऐसे में कांग्रेस ने 2014 में उनको गौतमबुद्धनगर से फिर से मैदान में उतारा। जिले में पार्टी कार्यकर्ता जनसंपर्क में जुटे हुए थे। कैंप कार्यालय से लेकर दूसरी गतिविधियां जोरों पर थी।
तोमर भी स्वयं क्षेत्र में सक्रिय थे। पार्टी आलाकमान भी क्षेत्र की रिपोर्ट ले रहा था। तभी वोटिंग से तीन दिन पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे देशभर में कांग्रेस के चुनावी अभियान को झटका लगा था। तब कांग्रेस को बिना प्रत्याशी के भी 12 हजार मत मिले थे।
राजनाथ सिंह ने निभाई थी अहम भूमिका
2009 में जिन राजनाथ सिंह को गाजियाबाद से टिकट मिलने के चलते रमेश चंद तोमर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए थे। 2014 में उन्होंने ही भाजपा के लिए चाणक्य की भूमिका निभाई और कांग्रेस से टिकट फाइनल होने के बाद भी रमेश चंद तोमर को भाजपा में वापस ले आए। इससे न केवल गौतमबुद्धनगर, बल्कि गाजियाबाद सीट के साथ पश्चिम के ठाकुर बहुल सीटों पर भी भाजपा को लाभ मिला।
2019 में कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी के बागी हुए डॉ. अरविंद सिंह पर दावा लगाया। वह 2014 में बसपा के टिकट पर अलीगढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ थे। वह बसपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे ठाकुर जयवीर सिंह के बेटे हैं और 2019 में जयवीर सिंह भी बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके थे। ऐसे में पिता-पुत्र के अलग-अलग दल में होने के चलते स्थानीय कांग्रेसियों में उनको लेकर विरोध रहा।
साथ ही पश्चिमी यूपी के राजनीतिक गलियारों में भी इसकी चर्चा रही। पिता व पुत्र दोनों तब सफाई देते दिखाई देते थे। इतने विवाद और 2014 में हुई फजीहत के बाद भी कांग्रेस आलाकमान जमीन स्थिति को नहीं भांप पाया। उसका नतीजा रहा कि पार्टी को फिर से फजीहत झलेनी पड़ी। पार्टी प्रत्याशी डॉ. अरविंद सिंह चुनाव से ठीक पहले क्षेत्र से गायब हो गए। इसका परिणाम रहा कि कांग्रेस को मात्र तीन प्रतिशत मत मिले।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।