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    Farmers Protest: जेल में बंद किसान 16 घंटे बाद रिहा, कारागार से बाहर आते ही लिया ये अहम फैसला

    Updated: Wed, 04 Dec 2024 07:16 PM (IST)

    Noida Farmers protest सोमवार से शुरू हुए किसानों के विरोध मार्च को लेकर दिल्ली-नोएडा बॉर्डर की सीमाओं पर सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग की गई है। इसके तहत पुलिस-प्रशासन ने बुधवार को जिला कारागार में बंद संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं को 16 घंटे बाद रिहा कर दिया। जिसके बाद महापंचायत कर रहे सैकड़ों किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

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    Noida News:ग्रेटर नोएडा में जेल में बंद किसान छूटने के बाद धरना स्थल पर पहुंचे। फोटो जागरण

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। पुलिस प्रशासन ने बुधवार को जिला कारागार में बंद संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेताओं को 16 घंटे बाद रिहा कर दिया। जेल से रिहा होने के बाद किसान नेता सीधे यमुना एक्सप्रेस वे के जीरो प्वाइंट पहुंचे, वहां महापंचायत कर रहे सैकड़ों किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया।

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    किसान नेताओं को कंधे पर बैठाकर कार्यकर्ता मंच पर लेकर पहुंचे। महापंचायत में किसानों ने हुंकार भरी कि अब उन्हें किसी कमेटी पर भरोसा नहीं है। अधिकारियों ने किसानों के साथ धोखा किया है। सात दिन में मुख्य सचिव से वार्ता कराने का आश्वासन देकर किसानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जो फैसला पहले हो चुका है, सरकार उसे लागू करे।

    किसानों को दस प्रतिशत भूखंड, भूमि अधिग्रहण के सभी लाभ देने और हाई पावर कमेटी की किसानों के हक में की गई सिफारिशों को तुरंत लागू करें, इससे कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। जरूरत पड़ी तो दोबारा दिल्ली कूच करेंगे, लेकिन महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत नहीं पहुंच सके।

    टप्पल में उन्हें पुलिस प्रशासन ने यमुना एक्सप्रेस वे पर रोक लिया और अपने साथ ले गए। वहीं, किसानों ने दलित प्रेरणा स्थल पर फिर से धरना देने का एलान किया है।

    नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर महापड़ाव कर रहे किसान, महिलाओं को पुलिस ने मंगलवार दोपहर गिरफ्तार कर लिया था। महिलाओं, बुजुर्गों एवं बीमारों को बाद में छोड़ दिया, लेकिन किसान नेताओं समेत 123 किसानों को जेल भेज दिया था।

    इसके विरोध में किसानों ने बुधवार को यमुना एक्सप्रेस वे के जीरो प्वाइंट पर महापंचायत का एलान किया था। महापंचायत के लिए सुबह से बड़ी संख्या में किसान जीरो प्वाइंट पर पहुंचने लगे। करीब 11 बजे तक अलग-अलग किसान संगठनों के कार्यकर्ताओं समेत सैकड़ों किसान महापंचायत में एकत्र हो गए। पुलिस बल को भी भारी तादाद में तैनात किया गया।

    अधिकारी किसानों की महापंचायत पर पैनी निगाहें बनाए रहे। करीब ढाई बजे एडीएम अतुल कुमार, यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र सिंह, अपर पुलिस आयुक्त शिव हरिमीणा, बबलू कुमार पंचायत स्थल पर किसानों ने वार्ता करने के लिए पहुंचे, लेकिन किसानों ने साफ कर दिया गया जब तक जेल में बंद उनके साथियों को बिना शर्त रिहा नहीं किया जाता कोई वार्ता नहीं होगी।

    किसानों के तेवर को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने एक घंटे का समय मांगा। करीब चार बजे किसान नेता पवन खटाना, सुखबीर खलीफा, डा. रूपेश वर्मा, सुनील फौजी, विकास प्रधान, अमन ठाकुर, बाबी नागर, सुभाष चौधरी जेल से रिहा होकर पंचायत स्थल पर पहुंचे। उनके पंचायत में पहुंचते ही किसानों में जोश भर किया। जोरदार स्वागत के साथ नेताओं को कार्यकर्ताओं ने कंधे पर बैठाकर पंचायत स्थल पर घुमाया और किसानों के हक में जमकर नारेबाजी की।

    इससे पहले पंचायत में किसान सरकार और अधिकारियों पर जमकर बरसें। दलित प्रेरणा स्थल पर शांतिपूर्ण महापड़ाव कर रहे किसानों की गिरफ्तारी को सरकार की दमनकारी नीति करार देते हुए हुंकार भरी कि किसानों को गिरफ्तार कर सरकार उनका मनोबल नहीं तोड़ सकती है।

    जरूरत पड़ी तो हजारों की संख्या में और किसान गिरफ्तारी देंगे। महिला और बुजुर्गों पर पुलिस ज्यादती को लेकर किसानों में जबरदस्त आक्रोश था। भारतीय किसान यूनियन युवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत ने कहा कि भोले-भाले किसानों पर अत्याचार कर पुलिस ने सरकार और मुख्यमंत्री की छवि को भी धूमिल किया है।

    किसानों के बच्चे दिशाहीन हो चुके हैं। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए किसानों को क्या दिल्ली के साथ अब लखनऊ की भी यात्रा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि खाना बना रहे निर्दोष किसानों को जेल में ठूंसकर दमनकारी रवैया दिखाया है, इसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    अन्य किसान संगठनों के नेताओं ने भी कहा कि किसानों को अब किसी कमेटी पर भरोसा नहीं है। नई कमेटी में प्राधिकरण के ही अधिकारी हैं। किसानों ने कहा कि जरूरत हुई तो दोबारा दिल्ली कूच करने से पीछे नहीं हटेंगे।

    दूसरी पंक्ति के एकमत होकर नहीं ले सके निर्णय

    नेताओं के जेल में बंद होने के कारण महापंचायत में शामिल संगठनों के अन्य नेताओं पर आगे की रणनीति तय करने का फैसला छोड़ा गया, लेकिन नेता एकमत होकर कोई निर्णय नहीं ले सके। कुछ नेता दोबारा प्रेरणा स्थल पर जाने के पक्ष में थे तो कुछ जीरो प्वाइंट पर ही बैठने के पक्ष में थे। इसे लेकर उनके बीच गरमागरमी भी हुई। बाद में नेताओं के जेल से बाहर आने तक निर्णय स्थगित रखा गया।

    जगह-जगह रोके गए किसान

    महापंचायत में पहुंचने से किसानों को जगह-जगह रोका गया। बिसरख क्षेत्र के किसानों को रास्ते में ही रोक दिया गया। एनटीपीसी की ओर से आ रहे किसानों को दादरी में रोका दिया गया। भाकियू बलराज के अध्यक्ष एवं कार्यकर्ताओं को संगठन के कैंप कार्यालय कैमराला चक्रसेनपुर में रोक दिया गया।

    सपा और कांग्रेस के नेता भी पहुंचे महापंचायत में

    किसानों की महापंचायत में बुधवार को राजनीतिक दल के नेता भी शामिल हुए। कांग्रेस के अलावा सपा के जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी भी पहुंचे, लेकिन किसानों के मंच पर राजनीतिक नेताओं को जगह नहीं दी गई।

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