आधुनिकता वाले शहर में गुरुकुल के बटुकों को मिल रहा चारित्रिक, नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान
गौतमबुद्ध नगर में आचार्य रविकांत दीक्षित 14 वर्ष से महर्षि पाणिनि गुरुकुल चला रहे हैं जहाँ बटुकों को संस्कृत वेद पुराण आदि का ज्ञान दिया जाता है। आधुनिक शिक्षा के साथ यहाँ चरित्र निर्माण और आध्यात्मिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। गुरुकुल में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड मध्य प्रदेश और बिहार के लगभग 70 छात्र हैं जो निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। तकनीक, व्यावसायिक कौशल पर केंद्रित आधुनिक शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों की नैतिकता, चरित्र निर्माण और आत्मिक उन्नति कहीं न कहीं शिथिल पड़ती जा रही है।
ऐसे हर बढ़ते बच्चे के लिए एक उत्तम और उचित शिक्षा का स्थान एक विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति की शरण ही होती है, जिन्हें हम संस्कृत में गुरु भी कहते हैं।
आधुनिकता की ऊंचाइयों वाले गौतमबुद्ध नगर जैसे शहर में संस्कृत के इन गुरु से बटुकों को संस्कृत ज्ञान में पल्लवित होते देखना अपने आप में अनूठा है। दूरगामी परिणामों का सोच रखने वाले आचार्य रविकांत दीक्षित 14 वर्ष से गौतमबुद्धनगर में महर्षि पाणिनि गुरुकुल का संचालन कर रहे हैं।
यहां बटुकों को गुरुओं के सान्निध्य सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रखकर देववाणी संस्कृत में गीता के श्लोक, वेद, पुराण आदि कंठस्थ कराकर चारित्रिक, नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान आत्मसात कराया जा रहा है।
इस उद्देश्य से कि भारत की प्राचीन शिक्षा-परंपरा पुनः सजीव हो और विद्यार्थी केवल नौकरी या व्यवसाय के लिए नहीं, बल्कि चरित्र, संस्कार और सेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाएं। वर्तमान में गुरुकुल में मेडिकल और आईटी कंपनियों में सेवारत अभिभावकों के बच्चे भी अध्ययनरत हैं।
मूलरूप से काशी के गदौलिया निवासी आचार्य रविकांत दीक्षित बताते हैं गुरुकुल में निश्शुल्क आवासीय शिक्षा पद्धति लागू की गई थी। स्थापना वर्ष में कक्षा छह से आठवीं तक में 10 बटुकों को प्रवेश दिया गया था।
अब वर्तमान में गुरुकुल में उत्तर प्रदेश के अलावा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व बिहार के 70 बटुक अध्ययनरत हैं। इनमें कक्षा आठ के छात्र तरुण पाठक भी शामिल हैं। इनके पिता फार्मासिस्ट हैं, जो उत्तराखंड में ही दवाओं के व्यवसाय से जुड़े हैं।
कक्षा सात के बटुक विक्रम झा के पिता शिवाकांत झा एक आईटी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं। आचार्य के अनुसार इन बटुकों के अभिभावक इस उद्देश्य से गुरुकुल लाए कि बच्चे भारतीय संस्कृति से जुड़ें और चारित्रिक निर्माण हो सके।
गुरुकुल में वेद, उपनिषद, गीता और शास्त्रों के अलावा, हिंदी, गणित, अंग्रेजी व विज्ञान आदि विषयों का भी अध्ययन कराया जा रहा है। अप्रैल 2022 में गुरुकुल को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली (सीएसयू बोर्ड) ने छह से इंटरमीडिएट तक की मान्यता मिली हुई है।
धार्मिक अनुष्ठान करा रहे, योग प्रशिक्षक भी बने
पिछले 14 वर्ष में कई बटुक शिक्षा ग्रहण कर आगे बढ़े हैं। इनमें से वेद-मंत्र पारायण, संस्कार-विधि एवं धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक मार्गदर्शन दे रहे हैं।
कई विद्यार्थी योग-प्रशिक्षक के रूप में स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की ओर समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। विद्यालयों और महाविद्यालयों में संस्कृत, वेद और शास्त्र पढ़ाकर नई पीढ़ी में संस्कृति का बीज बो रहे हैं।
सामाजिक कार्यो में भी दे रहे योगदान
गुरुकुल के कुछ बटुक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य-शिविर, नशामुक्ति अभियान और स्वच्छता कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा संस्कृत दिवस, संस्कृत सप्ताह आदि आयोजनों के माध्यम से भाषा और संस्कृति का जागरण करते हैं। आचार्य रविकांत बताते हैं।
इन विद्यार्थियों के प्रयास से समाज पुष्पित पल्लवित हो इसी उद्देश्य से इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में भी भेजा जाता है। वहां संस्कार शिविर, यज्ञ, कथा-प्रवचन और योग-शिविर आयोजित कर लोगों को जीवनोपयोगी मार्ग प्रदान करते हैं।
पाणिनि गुरुकुल के बटुकों की उपलब्धियां
- बटुक अच्युताय शर्मा ने 2025 में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में गीता ओलिंपियाड प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था।
- बटुक ओंकार तिवारी, गोपाल शर्मा और गोपेश शर्मा को आयुर्वेद शाखा के 2500 वेद मंत्र कंठस्थ हैं।
- गुरुकुल के बटुकों ने हाल ही में रायबरेली में दिनेश प्रताप सिंह के यहां शतचंडी महायज्ञ संपन्न कराया था।
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