Noida News नदियों की सफाई करेगी रिवर क्लीनिंग बोट, शारदा विश्वविद्यालय के छात्रों ने तैयार की विशेष नाव
ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय के छात्रों ने नदियों की ऊपरी सतह पर जमा गंदगी साफ करने के लिए विशेष नाव बनाई है। पचास हजार रुपये में तैयार की गई नाव का पेटेंट भी करा लिया है। नाव ने छात्रों को कई जगह पुरस्कार भी दिलाया है।

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय के छात्रों ने नदियों की ऊपरी सतह पर जमा गंदगी साफ करने के लिए विशेष नाव बनाई है। महज कुछ घंटे में ही यह दो से तीन किलोमीटर क्षेत्र में सफाई कर देती है। सोलर पैनल के कारण इसके संचालन पर कोई खर्च भी नहीं आता है।
नाव का करा पेटेंट
पचास हजार रुपये में तैयार की गई नाव का पेटेंट भी करा लिया है। नाव ने छात्रों को कई जगह पुरस्कार भी दिलाया है। प्लास्टिक कचड़े से नदियों-तालाबों में गंदगी का अंबार रहता है। यह कूड़ा नदियों की ऊपरी सतह पर तैरता रहता है। इससे जल प्रदूषित होने के साथ ही नदियों की सुंदरता भी खराब होती है।
नदियों की दुर्दशा देखकर छात्र सौरभ, सुधांशु व प्रांजल ने यह नाव तैयार की है। सौरभ ने बताया कि प्लास्टिक के पाइप से विशेष आकृति की नाव तैयार की गई है। नाव में ऊपर की तरफ सोलर पैनल लगाया लगाया गया है। चार्ज हो जाने के बाद नाव पांच घंटे तक चल सकती है। नाव को नदी में चलाने के लिए पाइप में दो तरफ प्रोपेलर (पंखा) लगाया गया है।
जल की गुणवत्ता भी बताती है नाव
नाव में पीछे की तरफ प्लास्टिक का जाल लगाया है। नाव नदी में चलती है तो इसकी परिधि में आने वाला कूड़ा प्लास्टिक के जाल में एकत्र होता रहता है। छात्रों ने बताया कि एआइएमएल (आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग) तकनीक का प्रयोग किया गया है। नाव को रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। यदि वाईफाई की सुविधा मिले तो नाव को उचित दूरी से भी कंट्रोल किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें- Greater Noida: रूस-यूक्रेन, हमास-इजरायल के बीच जंग से पूर्व राष्ट्रपति कोविन्द ने जताई विश्व युद्ध की आशंका
सरकार को भेजेंगे प्रोजेक्ट
नाव में लगे अरेमेटिक बोर्ड पर यदि मैपिंग सेट कर दी जाए तो वह स्वयं नदी में सफाई करती रहती है। नाव में लगा वाटर मेजरिंग सेंसर नदी में पानी की गुणवत्ता (पीएच लेवल) को भी नाप लेता है। छात्रों का कहना है कि प्लास्टिक कचरा व अन्य कूड़ा रहने से नदी के पानी में जहरीले तत्व घुलते रहते हैं। इसका असर पानी में रहने वाले जलीय जीवों पर भी पड़ता है।
नमामि गंगे परियोजना में यह नाव काफी मददगार हो सकती है। जल्द ही प्रोजेक्ट सरकार को भेजा जाएगा। यह नाव एक बार में पालीथिन, दोने-पत्तल, छोटी टहनी, पत्ते और फूल का 12 से 15 किलोग्राम तक कचरा एकत्र कर सकती है। जल्द ही नालों की सफाई के लिए भी नाव तैयार की जाएगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।