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    बिलासपुर में आज भी विद्यमान है स्किनर स्टेट रियासत का किला, अंग्रेजों के सितम की कहानी करता है बयां

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Wed, 23 Dec 2020 03:30 PM (IST)

    ब्रिटिश हुक्मरान की स्किनर स्टेट के नाम से प्रसिद्ध रियासत में उत्तर प्रदेश हरियाणा व दिल्ली के 999 गांव को शामिल किया गया था। इस किले में अदालतें लगती थीं। क्षेत्रीय लोग से लगान वसूलने के लिए अंग्रेजी शासन द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति इसी किले में की जाती थी।

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    इस किले का इतिहास करीब 150 वर्ष पुराना है।

    दनकौर, मुस्तकीम खान। अंग्रेजी हुकूमत की दास्तां बयां करता स्किनर स्टेट रियासत का किला बिलासपुर कस्बे में आज भी मौजूद है। इस किले में 999 गांव की अदालत लगती थी। इसको इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के तीन रिश्तेदारों के द्वारा बनवाया गया था। इसी किले में लोग की सजा का एलान होता था और यहां की जेल में लोग को कैदी बनाकर रखा जाता था। किले में हुई कानूनी कार्रवाई का डर लोग में इतना अधिक था कि उनकी रूह तक कांप जाया करती थी। इस किले का इतिहास करीब 150 वर्ष पुराना है। इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के तीन रिश्तेदारों जेम्स हार्श स्किनर, लेफ्टिनेंट पीटर स्किनर और ब्रिगेडियर माइकल स्किनर ने इस किले को बनवाया था।

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    स्किनर स्टेट के नाम से प्रसिद्ध है रियासत

    यहां ब्रिटिश हुक्मरान की स्किनर स्टेट के नाम से एक प्रसिद्ध रियासत थी। इस रियासत में उत्तर प्रदेश, हरियाणा व दिल्ली के 999 गांव को शामिल किया गया था। इस किले में अदालतें लगती थीं। क्षेत्रीय लोग से लगान वसूलने के लिए अंग्रेजी शासन द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति इसी किले में की जाती थी। इसके अलावा लगान ना भरने वाले लोग को सजा का फैसला भी यहीं सुनाया जाता था। यह किला करीब 600 बीघे जमीन में फैला हुआ था। मगर वर्तमान समय में यहां करीब 400 बीघा जमीन में खेती की जा रही है। इससे किले का परिसर काफी कम रह गया है।

    यह है वर्तमान हालात

    इस किले का मुख्य दरवाजा करीब 20 फीट ऊंचा और 12 फीट चौड़े दो दरवाजे थे। मगर वर्तमान में एक दरवाजे की किवाड नहीं है, जबकि दूसरे दरवाजे की किवाड वर्तमान में जर्जर हो चुकी है। इस किले की दूसरी मंजिल और छत पर जाने के लिए दरवाजे के दोनों तरफ से सीढ़ियां बनाई गई हैं। बताया जाता है कि वर्ष 1946 तक यहां की रियासत का कानून चला था।

    नील की खेती की जाती थी

    तीनों स्किनर बन्धु इस रियासत के सर्वेसर्वा थे। जो रियासत के अंतर्गत आने वाले गांव के किसानों से जबरन नील को खेती कराया करते थे। इसके लिए सैंकड़ो कुंए भी बनवाये गए थे। नील की खेती करने से किसानों की जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो जाती थी इसके चलते कुछ किसान इसका विरोध भी करने लगे थे। मगर विरोधी किसानों को अंग्रेजी हुकूमत में कठोर सजा का प्रावधान रखा गया था। बताया जाता है कि यहां से नील को इंग्लैंड भेजा जाता था।

    अदालत व जेल है आकर्षण का केंद्र

    अंग्रेजी शासनकाल में यहां बनी जेल आज भी विद्यमान है। हालांकि, जेल के मुख्य गेट के बाहर व जेल के अंदर झाड़ियां उग आई हैं। और यहां विषैले जंतु भी पनप रहे हैं। इसके चलते कोई भी इस जेल के अंदर जाने की हिम्मत नही जुटा पाता है। इसके अलावा अदालत का ढांचा अभी यहां मौजूद है। जो आज भी अंग्रेजों की प्रताड़ना को बयां करती है। हालांकि, यह अदालत खंडहर में तब्दील हो गई है। इसके अंदर चमगादड़ों का बसेरा है। वहीं, अदालत के कमरों की छतें टूट चुकी हैं और दीवारें जर्जर अवस्था में खड़ी हैं।

    कृषि विभाग द्वारा किले में भरा गया है भूसा

    बिलासपुर के इस किले का परिसर करीब 600 बीघा का था। इस किले और इसकी जमीन को शासन द्वारा कृषि विभाग को सौंप दिया गया है। विभाग के अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय मे यहां उपस्थित करीब 400 बीघा जमीन में खेती करके उन्नत किस्म के बीजों की पैदावार की जाती है। इन्ही बीजों को शासन द्वारा किसानों में वितरित किया जाता है। जिस किले का ख़ौफ लोग के दिल मे समा गया था और यहां की रूह कंपा देने वाली सजा चर्चित थी। जिस किले में भारतीयों पर जुल्म-ओ-सितम होते थे और भारतीय रहम की भीख मांगते थे। उस किले में कृषि विभाग द्वारा भूसा भर दिया गया है।

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