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    सच के साथी सीनियर्स: ग्रेटर नोएडा में वरिष्ठ नागरिकों को दिया गया फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण

    जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सच के साथी सीनियर्स अभियान के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 1 स्थित अरिहंत आर्डन सोसाइटी के आइकॉनिक क्लब में 4 मार्च को सेमिनार का अयोजन किया। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित सेमिनार में एसोसिएट एडिटर अभिषेक पराशर ने कार्यक्रम ने कहा कि किसी भी सूचना का सही सोर्स पता करना बहुत जरूरी होता है।

    By Jagran News Edited By: Sonu Suman Updated: Mon, 04 Mar 2024 05:49 PM (IST)
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    वरिष्ठ नागरिकों को दिया गया फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण।

    जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। रोजाना सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर तमाम सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इनमें कुछ सही, जबकि कुछ भ्रामक व फर्जी होती हैं। अक्सर इनको सच मानकर लोग आगे बढ़ा देते हैं। इससे फर्जी व भ्रामक सूचनाओं की चेन लंबी होती जाती है। इन्हें रोकने के लिए हमें जिम्मेदार होना पड़ेगा और इनकी पड़ताल करने के बाद ही ऐसी सूचनाओं को फॉरवर्ड करना चाहिए।

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    ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आयोजित कार्यशाला में विश्वास न्यूज के एक्सपर्ट ने फैक्ट चेकिंग की महत्ता पर जोर देते हुए वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के तरीकों के बारे में भी प्रशिक्षित किया।

    जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग विंग विश्वास न्यूज ने सच के साथी सीनियर्स अभियान के तहत ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 1 स्थित अरिहंत आर्डन सोसाइटी के आइकॉनिक क्लब में 4 मार्च को सेमिनार का अयोजन किया। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित सेमिनार में एसोसिएट एडिटर अभिषेक पराशर ने कार्यक्रम की शुरुआत में सही सोर्स के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी सूचना का सही सोर्स पता करना बहुत जरूरी होता है। अगर सोर्स का पता चल जाए तो उस सूचना की सच्चाई का पता लगाया जा सकता है और असलियत पता चलते ही फर्जी और भ्रामक सूचनाओं की चेन को तोड़ा जा सकता है।

    उन्होंने कहा कि कुछ सूचनाएं विशेष एजेंडा के तहत प्रसारित की जाती हैं। ऐसे में सबको जागरूक बनने की जरूरत है। किसी भी फिशिंग लिंक पर बिना सोर्स की जांच किए क्लिक करने से आप वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं। अभिषेक ने रोचक उदाहरणों के माध्यम से वहां मौजूद लोगों को सच, राय और अफवाह में अंतर करना समझाया।          

    डीपफेक वीडियो को पहचानना जरूरी

    कार्यक्रम में डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने प्रतिभागियों को एआई टूल्स की मदद से बनने वाले डीपफेक वीडियो और उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग शख्सियतों के डीपफेक वीडियो बनाकर गेमिंग ऐप या बेटिंग ऐप का प्रचार कर रहे हैं। इस तरह के वीडियो को पहचान करना बहुत जरूरी है। इसके लिए जरूरी है कि आप उन्हें ध्यान से देखें। उनके चेहरे के हावभाव या लिप सिंक को देखकर उनकी असलियत का पता लगाया जा सकता है। 

    फिशिंग लिंक्स पर क्लिक करने से बचें

    देविका ने वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को सतर्क रहने को कहा। उन्होंने कहा कि किसी भी लुभावने मैसेज के साथ आए फिशिंग लिंक्स पर क्लिक मत करें। साथ ही अपने अकाउंट का पासवर्ड और ओटीपी किसी  के साथ शेयर न करें। उन्होंने फैक्ट चेकिंग टूल्स की मदद से सूचनाओं की पड़ताल करना भी सिखाया। अंत में उन्होंने सभी से जागरूक मतदाता बनने की अपील की।

    कई राज्यों में हो चुका है आयोजन

    इससे पहले हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और तेलंगाना में सेमिनार व वेबिनार के माध्यम से लोगों को फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सहयोग से संचालित हो रहे इस कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।

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