नोएडा में फर्जी सिम कार्ड बेचकर साइबर अपराध करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। जांच एजेंसी 450 संदिग्धों की तलाश कर रही है जो इस नेटवर्क से जुड़े हैं। पुलिस इन सभी को हिरासत में लेकर सरगना तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। फर्जी सिम का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार में निवेश जैसे साइबर अपराधों में हो रहा है।
मुनीश शर्मा, नोएडा। फर्जी सिम बेचकर साइबर ठगी करवाने में संलिप्ल अपराधियों पर जांच एजेंसी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। देश में प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) और उनसे जुड़े डीलरों की जानकारी जुटाई जा रही है।
वहीं, नोएडा में फर्जी सिम उपलब्ध कराने वाले नेटवर्क से जुड़े 450 संदिग्ध को चिह्नित किया गया है। पुलिस इनको हिरासत में लेकर गिरोह के सरगना व सदस्यों तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है। फर्जी सिमों का डिजिटल अरेस्ट और शेयर बाजार में निवेश जैसे साइबर ठगी में उपयोग हो रहा है।
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साइबर अपराध में फर्जी सिम का उपयोग हो रहा है। इन सिमों को किसी दूसरे के दस्तावेज पर अलाट कराया जाता है। इनका उपयोग साइबर ठग कर रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर साइबर पुलिस ने पकड़े अपराधियों से भी इस तरह के इनपुट मिल रहे हैं।
संदिग्धों को हिरासत में लेकर की गई पूछताछ
एनसीआरपी पोर्टल पर भी सिम व बैंक खातों के खिलाफ शिकायते दर्ज हैं। इसको लेकर साइबर मुख्यालय और शासन भी सख्त है। जांच एजेंसी लगातार प्वाइंट आफ सेल व इनसे जुड़े डीलरों पर काबू पा रही हैं। पिछले एक सप्ताह में गौतमबुद्ध नगर में मामूरा समेत संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है। पुलिस का प्रयास है कि सभी से पूछताछ कर ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई जा सके।
साइबर मुख्यालय से मिला डाटा
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक साइबर मुख्यालय से सिम फर्जीवाड़े से जुड़े जिले के 450 संदिग्ध का डाटा मिला है। एनसीआरपी पर दर्ज शिकायत और साइबर थाना पुलिस से मिले इनपुट के बाद सूची तैयार की गई है। यह प्वाइंट आफ सेल व उनसे जुड़े डीलर हैं जो फर्जीवाड़े में शामिल हैं। जिले में 450 में से सबसे ज्यादा नोएडा जोन में संदिग्ध हैं। ग्रेटर नोएडा व सेंट्रल नोएडा में अपेक्षाकृत संख्या कम है।
ऐसे होता है खेल
साइबर एक्सपर्ट और साइबर अपराधियों से पूछताछ में मिली जानकारी के मुताबिक, नोएडा में औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ किरायेदारी भी खूब है। यहां पर कम पढ़े लिखे कामगार, रिक्शा चालक आदि के सिम खरीदने के दौरान मामू बनाया जाता है। उनके दस्तावेजों पर फर्जीवाड़ा होता है। एक की बजाय दो सिम प्राप्त किए जाते हैं। एक सिम को ग्राहक को तो दूसरा सिम साइबर ठगों को महंगे दाम पर बेचा जाता है। इन सिम की वैरीफिकेशन प्रक्रिया भी पूरी नहीं होती है। ठग साइबर अपराध में इनका उपयोग करते हैं।
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क्या बोले अधिकारी?
फर्जी सिम उपलब्ध कराने वालों को चिह्नित कर इनपुट जुटाए जा रहे हैं। साइबर अपराधियों से संलिप्तता मिलने पर जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। - प्रीति यादव, डीसीपी साइबर सेल, गौतमबुद्ध नगर
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