कच्चे तेल के रिसाव से समुद्री जीवों को नहीं होगा नुकसान! Amity University ने तैयार किया ये प्रोडक्ट
नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी ने नैनो तकनीक से एक ऐसा स्पंज बनाया है जो समुद्र में तेल रिसाव को रोकने में मदद करेगा। यह स्पंज तेल को पूरी तरह सोख लेगा और जलीय जीवन को नुकसान से बचाएगा। इस स्पंज को भारतीय वायुसेना और बीपीसीएल से मान्यता मिली है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और तेल को दोबारा इस्तेमाल करने में भी सक्षम है।

चेतना राठौर, नोएडा। समुद्र की सतह पर कच्चे तेल की थोड़ी सी मात्रा भी समुद्री जीवन और जलीय पौधों को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इस पर कई अध्ययन हो चुके हैं, लेकिन समुद्र में तेल रिसाव के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
पर्यावरण और जलीय जीवन को इस नुकसान से बचाने के लिए नोएडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर एक खास सस्टेनेबल सोरबेंट्स फॉर रैपिड ऑयल स्पिल रिमूवल एंड इंडस्ट्रियल ऑइली वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्रोडक्ट तैयार किया गया है। यह एक ऐसा स्पंज है जो समुद्र में जाने पर तेल को पूरी तरह सोख लेगा।
दावा है कि समुद्र में तेल सोखने के लिए अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले स्पंज तेल को पूरी तरह सोख नहीं पाते। सोखे गए तेल का दोबारा किसी दूसरे काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जल उपचार की यह तकनीक एमिटी यूनिवर्सिटी के नैनोटेक्नोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रानू नायक ने विकसित की है।
यूनिवर्सिटी ने इस तकनीक का प्रस्ताव भारतीय वायुसेना को भेजा था, जिसमें उन्होंने रुचि दिखाई है। इसके अलावा पेटेंट के लिए आवेदन भी किया गया है। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने भी इसे प्रमाणित किया है।
प्रोफेसर डॉ. रानू नायक का कहना है कि इसे स्पोंज के रूप में तैयार किया गया है। इसे बनाने में जलीय पौधों की पत्तियों से निकाले गए मोम के साथ-साथ पॉलिमर का इस्तेमाल किया गया है। यह प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना काम करेगा और पानी से तेल, ग्रीस, बैक्टीरिया और हाइड्रोकार्बन प्रदूषकों को चंद सेकंड में हटा देगा।
यह उत्पाद जहाजों, रिफाइनरियों और तेल उद्योग से पानी में होने वाले तेल रिसाव को सोखने का काम करेगा। साथ ही सोखे गए तेल को उपचार के जरिए दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा।
पहला उत्पाद जो पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल
प्रो. रानू के अनुसार, इस स्पंज को अगर 100 बार इस्तेमाल करने के बाद जमीन में गाड़ दिया जाए तो यह अपने आप ही कुछ ही समय में बायोडिग्रेड हो जाएगा। इस शीट का इस्तेमाल तेल टैंकर दुर्घटना की स्थिति में भी किया जा सकता है।
जहां तक इसके इस्तेमाल के तरीके की बात है तो यह स्पंज के रूप में एक बार में ही काफी मात्रा में तेल सोख लेता है। साथ ही इस स्पंज का कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
बाइरेक ने प्रोजेक्ट को दी आर्थिक मदद
बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) ने इस उत्पाद को व्यावसायिक रूप से विकसित करने के लिए 46 लाख रुपए का अनुदान दिया है। यह अनुदान स्टार्टअप शुरू करने के लिए दिया गया।
उत्पाद के मापदंडों की जांच के लिए इसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एईएस लैब में भेजा गया। लैब ने पाया कि यह 85 फीसदी प्रदूषण मापदंडों को दूर करने में कारगर है। लैब से प्रमाण पत्र मिल गया है। अब इसका भुगतान पाने के लिए आवेदन किया गया है।
जलीय जीवों को नुकसान होने से बचाया जा सकेगा
समुद्र में जहाज चलने पर तेल का रिसाव होता है। जब तेल समुद्र के पानी में मिल जाता है तो वह समुद्र तल पर जमा होने लगता है, जिससे जलीय जीवन को काफी परेशानी होती है।
अब तक कई कंपनियों ने पानी में तेल के रिसाव को सोखने के लिए स्पंज व अन्य सामग्री तैयार की है। लेकिन ये ज्यादा देर तक कारगर नहीं रहते। कुछ समय बाद ये तेल के साथ पानी भी सोखने लगते हैं।
साथ ही तेल का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लेकिन इस स्पंज के साथ ऐसा नहीं है। इसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी तेल सोखने की क्षमता ज्यादा है।
शोधकर्ता व पर्यावरणविद् प्रो. अंशु गुप्ता का कहना है कि जब किसी जहाज या रिफाइनरी से तेल समुद्र में जाता है तो वह सतह पर जमा होने लगता है, जिससे गैस का आदान-प्रदान नहीं हो पाता।
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