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    Durga Puja: सैकड़ों लोगों का पालन-पोषण कर रहा मिट्टी का कारोबार, गरीबों की जिंदगी में रंग भर रहे भगवान

    गौतमबुद्ध नगर जिले में बिलासपुर क्षेत्र के कई स्थानों पर आजकल सड़कों पर मिट्टी के भगवान बेचे जाने का कारोबार जोरों पर है। इनको बेचकर दर्जनों परिवारों की रोजी रोटी चल रही है। इन परिवारों को भी भगवान बेचने का यह व्यवसाय खूब रास आ रहा है।

    By JagranEdited By: Sonu GuptaUpdated: Tue, 27 Sep 2022 03:40 PM (IST)
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    मिट्टी के कारोबार से हो रही अच्छी इनकम।

    घनश्याम पाल, बिलासपुर। गौतमबुद्ध नगर जिले में बिलासपुर क्षेत्र के कई स्थानों पर आजकल सड़कों पर मिट्टी के भगवान बेचे जाने का कारोबार जोरों पर है। इनको बेचकर दर्जनों परिवारों की रोजी रोटी चल रही है। इन परिवारों को भी भगवान बेचने का यह व्यवसाय खूब रास आ रहा है। गरीब के बच्चे पल रहे हैं, ये सभी लोग मिट्टी की बनी इन मूर्तियों को ही अपना भगवान मानते हैं।

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    दर्जनों लोग कर रहे हैं कारोबार

    ग्रेटर नोएडा से चंद किलोमीटर की दूरी पर सड़क किनारे करीब दर्जनों लोग मिट्टी के भगवान बनाने का कारोबार कर रहे हैं। चाक मिट्टी से तैयार इन मूर्तियों को बनाने में कोई खास लागत भी नहीं आती है। लेकिन इससे हुई इनकम से इनके परिवारों को तीन वक्त का भोजन और इनके बच्चों को नजदीक के सरकारी स्कूल में शिक्षा जरूर मिल जाती है। राजस्थान के जिला पाली से आए गांव पंचायतन, गिरधरपुर, जानीपुरा, पतला खेड़ा, घंघौला, लडपुरा में ऐसे दर्जनों परिवारों को सड़क किनारे मिट्टी की मूर्तियां बनाकर बेचते आसानी से देखा जा सकता है।

    पूरे साल चलता है यह व्यवसाय

    मिट्टी से भगवान बनाने के कारोबार में लगे मूर्तिकार मांगीलाल बताते हैं, मूर्ति बनाने का इनका यह व्यवसाय पूरे साल चलता रहता है। नवरात्रों में यह लोग देवी की मूर्तियां बनाकर बेचते हैं। गणेश चतुर्थी से पहले सड़क किनारे पूरा माहौल गणपतिमय हो जाता है और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले सड़कों पर नजर आने लगते हैं राधा कृष्ण। आजकल विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को तैयार किया गया है और इसके बाद लक्ष्मी गणेश व मां सरस्वती की मूर्तियां बनाई जाने लगेंगी।

    कारोबार से होती है अच्छी कमाई

    मांगीलाल बताते हैं कि बाजार से खरीदी गई 100 रुपए की चॉक मिट्टी से एक मूर्ति तैयार हो जाती है, इसके अलावा इन मूर्तियों पर इस्तेमाल किए जाने वाले रंग भी मिट्टी के ही होते हैं, जो ज्यादा महंगे नहीं पड़ते। आकार के हिसाब से एक मूर्ति 100 रुपए से लेकर ग्यारह हजार रुपए तक में बेची जाती है। मौका त्यौहारों का हो तो भगवान इन पर मेहरबान रहते हैं, यानी अच्छी खासी इनकम हो जाती है।

    ग्राहकों की संख्या में हो रही है बढ़ोतरी

    उन्होंने कहा कि अधिकतर मूर्तियां दुकानदारों व खरीदारों के अग्रिम राशि जमा किए जाने पर बनाई गई है । कुछ आम ग्राहकों के लिए भी तैयार हैं । अब धीरे धीरे क्षेत्र व दूरदराज से आने वाले आम ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है ।

    गरीबों की जिंदगी में रंग भर रहे हैं भगवान

    ग्रेटर नोएडा के कासना से खेरली नहर मुख्य सड़क पर इस तरह का कारोबार फिलहाल हर गांवों के मुख्य सड़क मार्ग पर चल रहा है और लोगों की रोजी-रोटी इसी से चल रही है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस व्यवसाय के गुर सिखाने वाला कोई नहीं है, एक दूसरे को देखकर कर और उसी से सीखकर सड़कों पर अव्वल दर्जे के मूर्तिकार पैदा हो रहे हैं। सब सांचे की उपलब्धता पर सुनिश्चित है। बहरहाल जो भी हो मिट्टी के यह छोटे-बड़े भगवान गरीब की जिंदगी में रंग तो भर ही रहे हैं ।

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