Air Pollution Side Effect: दिल्ली-एनसीआर की गर्भवती महिलाओं के लिए Bad News, पढ़ें पूरी खबर और हो जाएं अलर्ट
Air Pollution Side Effect दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव बेहद खतरनाक है। वायु प्रदूषण के चलते कैंसर जैसी बीमारी होने का भी खतरा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर नकारात्मक असर डालता है।

नोएडा, जागरण संवाददाता। प्रदूषण के कारण अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस के साथ ही स्वस्थ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी शुरू हो गई है। जहरीली हवा में सांस लेने और स्माग के कारण आंखों में जलन, एलर्जी, खांसी के साथ गर्मभवती महिलाओं की प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा भी बढ़ा है।
प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचें गर्भवती महिलाएं
डा. रश्मि व्यास (स्त्री रोग विशेषज्ञ, आरोग्य वुमन एंड चाइल्ड क्लीनिक, सेक्टर-104) के अनुसार, गर्भस्थ शिशु मां के फेफड़े के जरिये आक्सीजन ग्रहण करता है। प्रदूषण में ज्यादा समय बिताने से प्री-मैच्योर डिलवरी का खतरा बढ़ जाता है। गर्भवती अस्थमा से पीड़ित हैं, तो सांस लेने में परेशानी, ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ सकती है, इसलिए गर्भवती प्रदूषित हवा में सांस लेने से बचें।
सुबह-शाम सर्वाधिक होता है प्रदूषण, रहें सतर्क
जिला अस्पताल के फिजीशियन डा. प्रदीप शैलत ने बताया कि बढ़ता प्रदूषण सभी आयु के लोगों के लिए नुकसानदेह है। सुबह-शाम प्रदूषण का प्रकोप सर्वाधिक होता है। जहां स्माग से सांस लेना तक दुश्वार है, वहीं जहरीली हवा में सांस फूलने के साथ आंखों में जलन की समस्या बढ़ा रही है। अस्पताल में खांसी, जुकाम और सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
यह लक्षण दिखने पर डाक्टर से मिलें
- सिरदर्द
- आंखों में जलन
- खुजली होना
- नाक से खून आना
- खांसी
- गले में खराश
- मुंह और गले में जलन
- सांस लेने में दिक्कत
- मतली
- उल्टी
- सुस्ती आना
- पेट में दर्द
- नाक बहना
- जल्दी थक जाना और सुस्ती छाना
- भूलने की बीमारी
- गले और फेफड़ों में संक्रमण
- सांस लेने के दौरान घरघराहट
इन बातों का रखें ध्यान
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घर से बाहर जाते समय मास्क पहनें। अस्थमा के मरीज हैं, तो इन्हेलर साथ रखें।
हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ विटामिन-सी से भरपूर स्वस्थ आहार लें।
एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें, हवा को साफ करने वाले पौधे लगाएं।
बेजवह न निकलें और घर में रहें
उधर, डा. जीसी वैष्णव (इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट, यथार्थ अस्पताल) का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने के बाद से सुबह की सैर पर निकले वाले लोगों को परेशानी होने लगी है। पहले से मधुमेह, बीपी दूसरी बीमारी से पीड़ित मरीजों को घरों में रहने की सलाह दी जा रही है। कमजोर प्रतिरोधक वाले लोग भी प्रभावित हो रहे हैं।
बच्चों पर पड़ता है प्रदूषण पर सबसे अधिक असर
डा. डीके गुप्ता (शिशु रोग विशेषज्ञ, फेलिक्स अस्पताल) के मुताबिक, हवा की खराब गुणवत्ता के असर सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं। खराब हवा का प्रभाव बच्चों के फेफड़ों और श्वसन तंत्र के लिए नुकसानदेह होता है। बच्चों को सांस संबंधी, त्वचा, आंखों में जलन हो रही हैं। सेहत खराब होने पर बच्चों को भर्ती करना पड़ता है।
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