Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP Assembly Election 2022: राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहे किसान आंदोलन पर भाजपा की खास नजर, जाट वोटों को लेकर चला नया दांव

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Sun, 13 Jun 2021 06:22 AM (IST)

    UP Assembly Election 2022 सिर्फ उत्तर भारत के कुछ राज्यों तक सिमटे राकेश टिकैत फिलहाल किसानों के बड़े के तौर पर शुमार किए जाने लगे हैं। उनका प्रभाव कम से कम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों पर तो है ही।

    Hero Image
    राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहे किसान आंदोलन पर भाजपा की नजर, जाट वोटों को लेकर चला नया दांव

    नोएडा/गाजियाबाद [धर्मेंद्र कुमार]। वेस्ट यूपी में दशकों से एक मशहूर कहावत है 'जिसके जाट, उसी के ठाठ'। कहने का मतलब लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा चुनाव, जाट मतदाता जिधर गए उसी का बेड़ा पार हो गया। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसभा चुनाव इसका ताजा उदाहरण है। इससे भी पहले वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जाटों ने अपना जनादेश कुछ इस तरह दिया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सभी लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में आ गईं। यह सिलसिला 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जारी रहा। यहां पर भाजपा की एकतरफा जीत रही। सपा-बसपा और रालोद का मजबूत गठबंधन भी पिट गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सभी दलों की निगाहें जाट मतदाताओं पर

    वैसे तो पूरे उत्तर प्रदेश में जाटों की आबादी 6 से 8 फीसद के आसपास है, लेकिन पश्चिमी यूपी में जाट 17 फीसद से ज्यादा हैं। खासतौर से सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, बिजनौर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, बुलंदशहर, हाथरस, अलीगढ़, नगीना, फतेहपुर सीकरी और फिरोजाबाद में जाटों की ठीकठाक आबादी है। इन जिलों में गुर्जरों की संख्या भी काफी है, लेकिन जाट थोड़े ज्यादा हैं। ऐसे में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर सभी दलों ने जाट वोटों को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है, खासतौर से सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने।

    गौतमबुद्धगर में भी भाजपा जाट ने नेता पर लगाया दांव

    जाने-अनजाने और चाहे-अनचाहे भाजपा साढ़े छह महीने से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सचेत है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं। यहां तक कि गुर्जर बहुल कही जाने वाली गौतमबुद्धगर में भी भाजपा ने जाट नेता पर दांव खेला है। इसके अलावा भी तमाम सीटों पर जहां पर जाट उम्मीदवारों को उतारा गया है। इसका मकसद जाटों को यह दिखाना है कि भाजपा उनके साथ है और किसान मुद्दे पर पूरी तरह से राजनीति हो रही है। भाजपा इसी बहाने भाकियू नेता राकेश टिकैत पर निशाना साध रही है कि वह विपक्षी दलों का मोहरा भर हैं बस, उनका किसान हितों से कोई लेना देना नहीं है।

    यूपी चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी को झटका, अखिलेश के करीबी अनिल यादव ने थामा कांग्रेस का साथ

     

    राकेश टिकैत को लेकर भाजपा है सतर्क

    दरअसल, आगामी 26 जून को तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन को पूरे सात महीने हो जाएंगे। इस बीच तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन पर भारतीय जनता पार्टी भी निगाह बनाए हुए है। खासतौर से भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश टिकैत पर भाजपा की खास नजर है, क्योंकि यूपी में वह किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। किसान नेता होने के साथ-साथ राकेश टिकैत जाट समुदाय से भी आते हैं। सिर्फ उत्तर भारत के कुछ राज्यों तक सिमटे राकेश टिकैत फिलहाल किसानों के बड़े नेता के तौर पर शुमार किए जाने लगे हैं। उनका प्रभाव कम से कम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच तो है ही। ऐसे में उत्तर प्रदेश में हो रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने जाट वोटों के मद्देनजर उम्मीदवारों के चयन में खास सतर्कता बरती है। दरअसल, इससे भाजपा अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भी जाटों को अपने साथ पूरी तरीके से जोड़ना चाहती है, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया था।

    Delhi Unlock 3: क्या सोमवार से दिल्ली में खुलेंगे रेस्त्रां, बार और सैलून? जानिए कितना तैयार है मार्केट

     

    गौतमबुद्धनगर में जाट नेता अमित चौधरी को बनाया उम्मीदवार

    पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों को लुभाने के लिए ही गौतमबुद्धनगर से जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अमित चौधरी पर ही दांव लगाया है। बावजूद इसके कि गौतम बुध नगर गुर्जर बहुल है और जाटों की आबादी करीब 20 हजार के आसपास है, अमित जाट समुदाय से आते हैं। भाजपा को भरोसा है कि ऐसा करने से भाजपा से जाटों की नाराजगी कुछ हद तक कम होगी। पिछले दिनों भाजपा के पश्चिम उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल ने जिला इकाई और नवनियुक्त जिला पंचायत सदस्यों के साथ बैठक कर उनका मन टटोला था। गुर्जरों के विरोध के बावजूद आखिरकार अमित चौधरी का नाम ही तय हुआ है।

    वेस्ट यूपी के अधिकांश जिलों में भाजपा ने जाट उम्मीदार उतारे

    बताया जाता है कि किसान आंदोलन की वजह से जाटों को खुश करने के लिए ही भाजपा ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में जाट बिरादरी से उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। इनमें गौतमबुद्धनगर से अमित चौधरी, बुलंदशहर से डॉक्टर अंतुल तेवतिया, मुजफ्फनगर से वीरेंद्र निरवाल व मेरठ से गौरव चौधरी मैदान में हैं। सहारनपुर से अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। यहां पर भी जाट और गुर्जर बिरादरी के जिला पंचायत सदस्यों में अध्यक्ष पद के लिए जोर अजमाइश चल रही है।

    वेस्ट यूपी को माना जाता है जाट और गुर्जर बहुल

    गाजियाबाद से भाजपा ने ममता त्यागी व हापुड़ से प्रमोद नागर को मैदान में उतारा है। यह अलग बात है कि यहां पर गुर्जर ओर दलित समुदाय भी बड़ी संख्या में हैं, बावजूद इसके पश्चिम उत्तर प्रदेश को जाट और गुर्जर बाहुल माना जाता है, लेकिन भाजपा ने सिर्फ हापुड़ जिले से गुर्जर बिरादरी का प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इससे भाजपा को डर है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक सीट मिलने से गुर्जर पार्टी से नाराज हो सकते हैं। वही भाजपा ने जाटों को खुश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

    पढ़िये- शाहरुख खान की फिल्म 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे' का दिल्ली मेट्रो से ताजा कनेक्शन

    गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के लिए चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च 2017 तक कुल 7 चरणों में संपन्न हुए थे। इन चुनावों में लगभग 61 फीसद मतदान हुआ। इस चुनाव में 2 दशक बाद वापसी करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीटें जीतकर तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया था। वहीं सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी गठबन्धन को 54 सीटें और बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों से संतोष करना पड़ा। अगले साल मार्च से पहले यूपी विधानसभा चुनाव 2022 होना है।

    चर्चा में है किसान आंदोलन

    केंद्र सरकार के तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संघों ने शुक्रवार को घोषणा की कि है वे अपने आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर 26 जून को देशभर में राजभवनों पर धरना देंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने पत्रकार वार्ता कर कहा है कि 26 जून को अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान काले झंडे दिखाएंगे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजेंगे।

    ये भी पढ़ेंः शहर के इस पॉश इलाके में घर-घर Gold और 'पांडे जी' की चर्चा, 40 Kg सोना व साढ़े 6 करोड़ की चोरी बनी चर्चा का विषय

    संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता इंद्रजीत सिंह ने बताया कि इस दिन को ‘‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’’ के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन हम राजभवनों पर काले झंडे दिखाकर और प्रत्येक राज्य के राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर विरोध दर्ज कराएंगे। केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जून को हमारा आंदोलन को सात महीने पूरे हो रहे हैं।

    इसे भी पढ़ेंः प्यार में बदल गई दो लड़कियों की दोस्ती, रिश्ते-नाते तोड़ रचा ली शादी; पढ़े- अजब प्रेम की गजब कहानी

    comedy show banner
    comedy show banner