Noida News: बिल्डर डकार गए 5 हजार करोड़, फ्लैट खरीदारों को लगाया तगड़ा चूना; जांच में खुले कई बड़े राज
नोएडा में 13 बिल्डरों और उनकी 63 सहयोगी कंपनियों ने बैंकों के साथ मिलकर फ्लैट खरीदारों से 5000 करोड़ रुपये की ठगी की है। प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार हुआ जिसमें जमीनों का आवंटन घोटाले में शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी है और ईडी ने भी जानकारी मांगी है।

कुंदन तिवारी, नोएडा। नोएडा में दो लाख फ्लैट खरीदारों से 13 बिल्डर और उनकी 63 सहयोगी कंपनियों ने बैंकों से सांठगांठ कर 5000 करोड़ रुपये की सीधी ठगी की है। इस फंड को अन्य प्रोजेक्ट में डायवर्ट कर दिया गया।
वहीं, इस पूरे खेल में प्राधिकरण अधिकारियों की बिल्डरों से गहरी संलिप्तता रही, क्योंकि भ्रष्टाचार के इस खेल में प्राधिकरण की बेशकीमती जमीन कौड़ियों के भाव बिल्डरों को आवंटित की गई, जिसमें जमीन आवंटन घोटाला भी अनुमानित दो लाख करोड़ का है, जिसकी जांच वर्ष 2011 में आयकर विभाग ने 13 बिल्डरों के खिलाफ शुरू की थी, लेकिन यह जांच आज भी विचाराधीन है।
बताया गया कि इन्हीं 13 बिल्डरों के खिलाफ फ्लैट खरीदारों से ठगी करने की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी है, जिसमें 70 हजार फ्लैट खरीदारों का हवाला दिया है।
बता दें कि लखनऊ ईडी अधिकारियों की ओर से 21 जून 2024 को प्राधिकरण को पत्र जारी कर एटीएस समेत उनकी सहयोगी 63 कंपनियों की छह बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिसके बाद इन्हीं 13 बिल्डरों की फिर से कुंडली खंगाली जानी शुरू हुई।
यहीं नहीं नोएडा प्राधिकरण ने भी इन्हीं 13 बिल्डरों में बकाया नहीं मिलने पर अब तक नौ बिल्डरों के खिलाफ ईओडब्ल्यूए से फंड डायवर्जन की जांच करने का लिखा है, जांच शुरू भी हो चुकी है, लेकिन जांच में बिल्डरों से कम वर्तमान तैनात अधिकारियों से अधिक पूछताछ की जा रही है।
गहरी है भ्रष्टाचार की जड़े
सूत्रों के मुताबिक, इन्हीं 13 बिल्डरों ने वर्ष 2007 से 2011 के बीच प्राधिकरण से भूखंड आवंटन करा कर पूरा खेल किया। एक-एक फ्लैट करीब 25 लाख रुपये की कीमत पर खरीदारों से बुकिंग ली, लेकिन आज तक तमाम खरीदारों को उनका आशियाना नहीं दिया, जबकि वर्ष 2011 में पहली बार भूखंड आवंटन में दो लाख करोड़ रुपये का घोटाला होने की आशंका जता नोएडा आयकर भवन में शिकायत हुई थी, जिस पर संज्ञान भी लिया गया।
जांच ठंडे बस्ते में चली गई
वहीं, जांच शुरू होते ही बिल्डरों ने विभाग के शीर्ष अधिकारियों से सांठगांठ कर चार आयकर अधिकारियों को रिश्वत में फंसा निलंबित करवा दिया। इससे जांच ठंडे बस्ते में चली गई। वर्ष 2016 में एक बार फिर से इन्हीं 13 बिल्डरों पर कार्रवाई को लेकर दिल्ली आयकर विभाग की ओर से फाइल नोएडा भेजी गई, कुछ बिल्डरों पर कार्रवाई कर इतिश्री कर ली गई, जबकि बिल्डरों ने फ्लैट खरीदारों को पैसा बड़े पैमाने पर अन्य परियोजनाओं व कंपनियों में ट्रांसफर कर रकम देश के बाहर भेज दी, इसकी पुष्टि भी हुई, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
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बिल्डरों के खिलाफ फ्लैट खरीदारों ने खोला मोर्चा
आम्रपाली समूह व थ्री सी समूह के खिलाफ फ्लैट खरीदारों ने मोर्चा भी खोला, लेकिन आम्रपाली पर शीर्ष अदालत के माध्यम से कार्रवाई हुई, अब फ्लैट खरीदारों का मामला सुलझता भी दिख रहा है, लेकिन थ्री सी बिल्डर के निदेशकों को दिल्ली आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया और बाद में छोड़ दिया। अब हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले ईडी को कार्रवाई करने का आदेश दिया, तब ईडी ने बिल्डर से संबंधित जानकारी नोएडा प्राधिकरण से ली।
नोएडा प्राधिकरण के अनुरोध पर फंड डायवर्जन की जांच ईओडब्ल्यूए कर रही
- बिल्डर कंपनी-भूखंड संख्या-देय धन राशि-जांच को प्राधिकरण ने लिखा
- एसोटेक लिमिटेड-जीएच04/ ए/78-राशि निर्धारित नहीं-26 मार्च
- एसोटेक कांट्रेक्ट्स लिमिटेड-डी03ए/44-राशि निर्धारित नहीं-18 मार्च
- आइवीआर प्राइम-जीएचस01/ 118-राशि निर्धारित नहीं-27 जनवरी
- शुभकामना बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड-जीएच-5बी 137-208 करोड़-27 जनवरी
- लाजिक्स सिटी डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड-जीएच 2 /143(ब्लासम जेस्ट)-775 करोड़-25 नवंबर 2024
- टुडे होम्स नोएडा प्राइवेट लिमिटेड-जीएच-1सी/ 135-218 करोड़-27 दिसंबर 2024
- जीएसएस प्रोकान प्राइवेट लिमिटेड-जीएच-1 सीसेक्टर-143 बी-90.54 करोड़-18 फरवरी
- ग्रेनाइट गेट प्राइवेट लिमिटेड-जीएच-3 / 100-495.85 करोड़-19 मार्च
- ग्रेनाइट गेट प्राइवेट लिमिटेड-जीएच-5 /110-1093.64 करोड़-19 मार्च
भूखंड आवंटन, बकाये, ओसी-सीसी से संबंधित लेखा जोखा ग्रुप हाउसिंग विभाग से तैयार कर ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया है। बिल्डर कंपनियों की ओर से कितने लोगों का पैसा कहां डायवर्ट किया है, यह पता करना जांच एजेंसी का काम है। प्राधिकरण से इसका लेना देना नहीं है, इसलिए ईओडब्ल्यूए को जांच का आग्रह किया है। - वंदना त्रिपाठी, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, नोएडा प्राधिकरण
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