Explained: हाई बीम की चकाचौंध कहीं बुझा न दे जिंदगी की रोशनी, क्या हैं नियम-कानून; क्यों बढ़ रहा चलन
रात में 'हाई बीम' लाइट का उपयोग वाहन चालकों के लिए खतरनाक है, क्योंकि इससे आंखों में चौंध आती है और दुर्घटना का खतरा बढ़ता है। विपरीत दिशा से आ रहे चालकों के लिए यह विशेष रूप से समस्याजनक है। सुरक्षित ड्राइविंग के लिए नियमों का पालन करना और लो बीम का उपयोग करना आवश्यक है।

वाहनों में हाई बीम लाइट का उपयोग इन दिनों काफी बढ़ गया है।
अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। रात में सड़क पर वाहन चलाते समय उस समय धड़कने तेज हो जाती हैं, जब सामने से आखों को चुभती लाइट एकाएक सामने आ जाती है। कभी तेज ब्रेक लगाकर वाहनों को रोकना पड़ता है या फिर गति धीमी कर वाहन किनारे की ओर ले जाता पड़ता है। यह स्थिति दुर्घटना का कारण या जानलेवा बन सकता है। वाहनों को मॉडिफाई कर उसे सड़कों पर दौड़ाना लोगों की शान बन रही है।
वाहनों की हेडलाइट में भी लोग बदलाव कर रहे हैं। वाहनों में हाई बीम लाइट का उपयोग इन दिनों काफी बढ़ गया है। पिछले दिनों सोनीपत में तेज रफ्तार कार की एलईडी लाइट के कारण ट्रैक्टर चालक की आंखें चौंधिया गईं और ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं। इन दिशा निर्देशों में वाहनों की लाइट के मानक शामिल हैं ताकि चकाचौंध करने वाली लाइटों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
आश्चर्य की बात यह है कि एनसीआर के शहरों ऐसे वाहनों पर कार्रवाई का आंकड़ा सैंकड़े की दहलीज तक नहीं पहुंच रहा। वाहनों में कंपनी की ओर से लगी लाइट को हटा उस लाइट की चार से पांच गुना तेज रोशनी की लाइट लोगलगवा रहे हैं।सड़क सुरक्षा के तमाम प्रयास, पहल करने और जागरूकता बढ़ाने के बावजूद अनधिकृत लाइट पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा
गाजियाबाद गुरुग्राम में तीन माह में एक भी कार्रवाई नहीं
वाहनों में अनधिकृत और माडिफाइ कर तेज रोशनी की लाइट लगाने वालों पर एनसीआर के शहरों में यातायात विभाग की ओर से न के बराबर कार्रवाई हो रही है। गाजियाबाद और गुरुग्राम की बात करें तो यहां पिछले तीन माह में एक भी वाहन पर कार्रवाई नहीं हुई है। गौतमबुद्ध नगर में यह आंकड़ा 40 के करीब है, फरीदाबाद में हाई बीम पर एक और अनधिकृत लाइट के 100 चालान हुए, जबकि बिना हेलमेट, सीट बेल्ट, बिना लाइसेंस प्रदूषण के चालान हजारों की संख्या में हो रहे हैं।
हाई बीम हेडलाइट अंधेरे या कम रोशनी वाली सड़कों पर इस्तेमाल के लिए डिजाइन की गई हैं और इनका इस्तेमाल तभी किया जाना चाहिए जब कोई अन्य वाहन पास न आ रहा हो। अन्य वाहनों के पास आते समय या अधिक ट्रैफिक होने पर इन्हें बंद कर देना चाहिए। मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।
मानक से पांच गुना तेज रोशनी के लग रहीं लाइट
नियम के मुताबिक वाहनों में सफेद और पीले रंग की हेडलाइट लग सकती हैं। प्रोजेक्टर के बिना हाई इन्टेनसिटी डिसचार्ज (एचआइडी) रोशनी अवैध है। कंपनी की ओर से वाहनों में 40 से 75 वाट के बल्ब लगते हैं। ग्रेटर नोएडा के साइट-चार स्थित एक कार माडिफाइ के दुकान के संचालक ने बताया कि लोग वाहनों में 200 से 300 वाट के मल्टी एलईडी लाइट लगवाते हैं। यह लाइट तीन हजार से 20 हजार रुपये तक में लग जाती हैं।
नियम के मुताबिक एलईडी हेडलाइट 3000 लुमेन से अधिक रोशनी के नहीं हो सकती। बाजार में लगने वाली लाइट 6000 लुमेन की होती हैं। नोएडा में सेक्टर 16 बड़ा कार मार्केट है। इसके अलावा सेक्टर 65, 70, 37, ग्रेटर नोएडा में तुगलपुर, एेच्छर, साइट चार भी बड़ा मार्केट है। सेक्टर अल्फा-एक निवासी रोहित ने बताया कि उनका आफिस नोएडा के सेक्टर 58 में है। अमूमन वह मेट्रो से जाते हैं। कभी ग्रेनो वेस्ट तो कभी नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के रास्ते कार से चले जाते हैं।
नॉलेज पार्क-पांच के पास कुछ हिस्सा वन-वे है। रात में अचानक एक वाहन सामने से तेज रफ्तार में डिप्पर मारते हुए उस वाहन की सफेद लाइट इतनी तेज रोशनी फेंक रहगी थी कि सामने कुछ नहीं दिख रहा था। अचानक ब्रेक लगाकर वाहन किनारे की तरफ लगाई। पीछे से आ रहे वाहनों ने भी तेज ब्रेक लगाए, जिससे वाहन टकराने से बच गए। उन्होंने कहा कि यातायात पुलिस और परिवहन विभाग ऐसे वाहनों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।
हाई बीम की रोशनी ने छीन ली थी दो किसानों की जिंदगी
सोनीपत के चिटाना गांव में 23 अक्टूबर की रात को सड़क पर जाती एक कार की हाई बीम की लाइटें दो किसानों के लिए जानलेवा साबित हुई। रात को दो किसान अपने खेत में नहरी पानी देने के लिए ट्रैक्टर पर जा रहे थे। गांव के बाहर एक कार की एलईडी की हाई बीम की रोशनी जब ट्रैक्टर चालक किसान की आंखों में पड़ी तो उसकी आंखें चौंधिया गई। इससे उसे कुछ दिखाई नहीं दिया और ट्रैक्टर बेकाबू होकर खेत में पलट गया। ट्रैक्टर के नीचे दबने से दोनों किसानों की मौत हो गई थी। हाईवे ट्रैफिक के इंचार्ज कर्मवीर ने बताया कि रात में हाई बीम वाले तेज रफ्तार वाहनों को रोकना संभव नहीं है, इसलिए आज तक हाई बीम वाले किसी भी वाहन का चालान नहीं हुआ है।
90 के दौरान लाइट पर पेंट का चला चलन
90 के दशक के दौरान वाहनों के हेडलाइट के ऊपरी पट्टी पर काली पट्टी लगाने का चलन शुरू हुआ। ऐसा माना जाता था कि हेडलाइट के ऊपर काली पट्टी लगाने से हाई बीम में सामने से आने वाले चालक को चकाचौंध की परेशानी नहीं होगी। हेडलाइट के बीच में एक काले रंग का बिंदु लगाने का भी चलन हुआ। वर्ष 2015 के करीब से एलईडी लाइट लगाने का चलन शुरू हुआ, जो बदस्तूर जारी है।
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार
- 8 मीटर की दूरी से किसी की आंखों को चकाचौंध करने वाली लाइट अवैध है
- किसी भी वाहन में चार से अधिक हेडलाइट नहीं होनी चाहिए
- वाहन के ऊपर लाइट लगाना अवैध है
जानकारी के मुताबिक देश में वाहनों की हेडलाइट के लिए स्पष्ट नियम हैं, जो आटोमोटिव उद्योग मानकों (एआइएस) द्वारा निर्धारित किया गया है। ये नियम रोशनी की न्यूनतम और अधिकतम तीव्रता निर्धारित करते हैं।
- पीछे की लाइट: चार से 12 सीडी (कैंडेला : चमकदार तीव्रता की अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली है)
- आगे की लाइट: चार से 100 सीडी
- स्टाप लाइट: 40 से 185 सीडी
हाई बीम पर कार्रवाई को नहीं निर्धारित धारा
हाई बीम या मानक के विपरीत वाहनों में हेडलाइट लगाने पर कार्रवाई के लिए कोई निर्धारित धारा नहीं है। ऐसे में यातायात पुलिस ऐसे वाहनों पर अल्टरेशन (बदलाव) की श्रेणी में कार्रवाई करती है और न्यायालय को भेज देती है। न्यायालय की ओर से जुर्माना व अन्य कार्रवाई तय की जाती है।
परिवहन विभाग ऐसे वाहनों पर कार्रवाई उस दिन से करती है, जिस तिथि में उस वाहन में बदलाव किया गया था। उदाहरण के तौर पर वाहन को पकड़ते वक्त उस वाहन में अवैध लाइट 10 दिन पहले लगाई गई थी, तो प्रतिदिन एक हजार जुर्माने के हिसाब से 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।

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