पेटेंट और शोध प्रकाशन के नाम पर अजब धोखाधड़ी, महिला प्रोफेसर पर 49 शोधकर्ताओं से 16.57 लाख ठगने का आरोप
ग्रेटर नोएडा में एक महिला प्रोफेसर पर शोध पत्र प्रकाशन और पेटेंट कराने के नाम पर 49 शोधकर्ताओं से 16.57 लाख रुपये की ठगी का आरोप लगा है। आरोप है कि प्रोफेसर ने खुद को एक अमेरिकी संस्था का उपाध्यक्ष बताकर लेखकों को झांसा दिया और उनसे पैसे लिए। बाद में पता चला कि ऐसी कोई संस्था है ही नहीं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में शोध पत्रों का प्रकाशन व पेटेंट कराने के नाम पर हरियाणा की ओपी जिंदल विश्वविद्यालय की महिला प्रोफेसर जसमीत कौर लांबा पर सूरजपुर कोतवाली में 16.57 लाख रुपये की ठगी का केस दर्ज हुआ है। राजस्थान की मणिपाल विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रो. डाॅ. गरिमा सिंह ने स्वयं समेत 49 शोध लेखकों से धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। आरोपित ने खुद को शोध पत्र प्रकाशित करने वाली अमेरिका की एजीबीए नामक संस्था का उपाध्यक्ष बनाकर झांसा दिया था।
लखनऊ के एलडीए काॅलोनी की डाॅ. गरिमा सिंह राजस्थान के जयपुर स्थित मणिपाल विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनकी मुलाकात हरियाणा के सोनीपत स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर संयोजक प्रो. जसमीत कौर लांबा से हुई। लांबा मूलरूप से ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर कोतवाली क्षेत्र के जीटा वन की रहने वाली हैं।
27 दिसंबर 2024 को मणिपाल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में प्रो. लांबा पहुंची थीं। यहां आरोपित ने डाॅ. गरिमा को बताया कि शोध समेत तमाम शैक्षणिक गतिविधियां कराने वाले अमेरिका की एजीबीए नामक संस्था की वह उपाध्यक्ष हैं। यह संस्था तमाम बड़ी पत्रिकाओं में शोध प्रकाशित कराती है। मार्च 2025 में आरोपित ने डाॅ. गरिमा के भी कम शुल्क में शोध प्रकाशित कराने व पेटेंट का झांसा दिया।
कार्यक्रम के दौरान डाॅ. लांबा के संपर्क में आए करीब 49 शोध लेखकों ने अपने शोध प्रकाशन व पेटेंट के लिए प्रो. लांबा के एक्सिस बैंक के खाते में 16.57 लाख रुपये ट्रांसफर किए। मई 2025 तक सभी लेखकों के शोध पत्र प्रस्तुत होने की समय सीमा तय की थी। पीड़ितों ने अप्रैल में आरोपित से संपर्क किया तो जल्द प्रकाशन का झांसा देकर टरका दिया।
गड़बड़ी की आंशका पर डाॅ. गरिमा ने शोध संस्था के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि इस नाम की कोई संस्था नहीं है। इस बीच लेखकों के शोध पत्र भी अस्वीकृत होने शुरू हो गए। पीड़ित लेखकों ने डाॅ. लांबा से रुपये वापस मांगे तो कहा कि वह उक्त संस्था में सिर्फ परामर्शदाता है। गहराई से छानबीन पर सामने आया कि डाॅ. लांबा ने फर्जी कागजात तैयार कर उन लोगों से लाखों रुपये ठगे हैं।
डाॅ. गरिमा ने पुलिस को तहरीर देकर आरोपित पर कार्रवाई की मांग की है। कोतवाली प्रभारी विनोद कुमार ने बताया प्रो.लांबा के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी व धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में केस दर्ज है। जांच में मिले तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
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