Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोयंबटूर के संस्थान ने बनाया AI युक्त री-ग्रिप डिवाइस, लकवाग्रस्त मरीजों के लिए मददगार

    Updated: Wed, 24 Dec 2025 07:17 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा: कोयंबटूर के कुमारगुरु कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने AI से युक्त री-ग्रिप डिवाइस बनाया है, जो लकवाग्रस्त मरीजों के लिए मददगार है। यह ...और पढ़ें

    Hero Image

    तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित कुमारगुरु कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने एआई-आधारित री-ग्रिप डिवाइस विकसित किया है। जागरण

    आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से पीड़ित मरीज़ तब बेबस महसूस करते हैं जब पैरालिसिस के कारण उनके हाथ काम करना बंद कर देते हैं। और आज की दुनिया में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। वैज्ञानिकों ने इस तरह की बीमारी का एक आसान समाधान ढूंढ लिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस डिवाइस का इस्तेमाल कोई भी बिना किसी मदद या ट्रेनिंग के कर सकता है। इसका मतलब है कि लकवाग्रस्त व्यक्ति को किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। तमिलनाडु के कोयंबटूर में कुमारगुरु कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों द्वारा विकसित री-ग्रिप डिवाइस का इस्तेमाल लोग तब भी कर सकते हैं जब उनके दोनों हाथ लकवाग्रस्त हों। और इसके लिए किसी ट्रेनिंग की ज़रूरत नहीं होगी।

    केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने री-ग्रिप डिवाइस विकसित करने की ज़िम्मेदारी तकनीकी संस्थानों को दी थी। तमिलनाडु के कोयंबटूर में कुमारगुरु कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी के छात्रों की शानदार टीम ने AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके स्वदेशी रूप से यह री-ग्रिप डिवाइस विकसित किया।

    इसे हाल ही में गलगोटिया यूनिवर्सिटी में आयोजित स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के हार्डवेयर एडिशन में पेश किया गया और मंत्रालय से पुरस्कार जीता। राममूर्ति, रितिका शक्ति वेल, ऐश्वर्या, मुकेश कृष्णा और मोहम्मद सारिक की टीम कई महीनों से इस पर काम कर रही थी।

    दोनों हाथ लकवाग्रस्त होने पर भी होगा इस्तेमाल

    इस डिवाइस को विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले राममूर्ति के अनुसार, री-ग्रिप का इस्तेमाल तब भी किया जा सकता है जब दोनों हाथ लकवाग्रस्त हों। इसे चप्पल या जूते के सोल में फिट किया जाता है, और दस्ताने जैसा डिजाइन वाला डिवाइस हाथों में पहना जाता है। अगर किसी व्यक्ति के दोनों हाथ लकवाग्रस्त हैं, तो इसे दोनों हाथों में पहना जा सकता है। जूते या चप्पल में फिट किए गए AI-सक्षम डिवाइस को पैर की उंगली के पास रखे स्विच से ऑपरेट किया जा सकता है।

    इसके अलावा, व्यक्ति वॉइस कमांड का इस्तेमाल करके भी इसे ऑपरेट कर सकता है। यह एक बार चार्ज करने पर 10 से 12 घंटे तक काम करेगा। पहले से उपलब्ध डिवाइस का इस्तेमाल केवल एक हाथ में सीमित गतिशीलता वाले लोग ही कर सकते थे, लेकिन दोनों हाथों में सीमित गतिशीलता वाले लोग नहीं। इन डिवाइस की कीमत भी बाज़ार में 50,000 रुपये से ज़्यादा है, जबकि री-ग्रिप की कीमत सिर्फ़ सात हज़ार रुपये है और यह स्वदेशी रूप से निर्मित है। इसका इस्तेमाल करना भी आसान है।

    ब्लूटूथ से होता है ऑपरेट

    री-ग्रिप डिवाइस, जिसे चप्पल या जूतों में लगाया जाता है, हाथों में पहने जाने वाले ग्लव्स से ब्लूटूथ के ज़रिए कनेक्ट होता है। यह डिवाइस पूरी तरह से वॉटरप्रूफ है; अगर चप्पल या जूतों पर पानी गिर भी जाए, तो भी यह अंदर नहीं जाएगा, जिससे बिजली के झटके का कोई खतरा नहीं रहेगा।

    यह डिवाइस गूगल के वॉयस असिस्टेंट, जेमिनी के साथ भी इंटीग्रेटेड है। यह हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, गुजराती, मराठी, मलयालम, तेलुगु और दूसरी भाषाओं में काम करेगा। टीम के मेंटर उमेश एमवी बताते हैं कि पेटेंट से लेकर आगे के डेवलपमेंट तक सब कुछ सरकार की ज़िम्मेदारी है। इस डिवाइस को हर वर्ग के लोग खरीद और इस्तेमाल कर सकते हैं।

    घर पर किया जा सकता है रिपेयर

    री-ग्रिप का मेंटेनेंस भी बहुत आसान है। अभी, बाज़ार में मौजूद डिवाइस और इक्विपमेंट को रिपेयर करने के लिए कंपनी या बहुत स्किल्ड टेक्नीशियन के पास जाना पड़ता है, जो महंगा होता है। इन डिवाइस को यूज़र खुद रिपेयर नहीं कर सकते, जबकि री-ग्रिप को यूज़र खुद रिपेयर कर सकते हैं।