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    बैंक मैनेजर से खेती के नायक बने महेंद्र, हवा में उगने वाला 'एयर पोटैटो' बना पहाड़ों की उम्मीद

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 10:36 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के महेंद्र सिंह, जो कभी बैंक मैनेजर थे, अब एक सफल किसान हैं। उन्होंने 'एयर पोटैटो' की खेती शुरू की है, जो पहाड़ों में उम्मीद की एक नई किर ...और पढ़ें

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    स्वाति भाटिया, नोएडा। कहते हैं मिट्टी की खुशबू यदि बचपन में सांसों में बस जाए, तो इंसान चाहे कितनी भी ऊंचाई पर क्यों न पहुंच जाए, अंततः खेतों की ओर लौट ही आता है। सेक्टर-21 ए स्थित नोएडा स्टेडियम में 15 वें उत्तराखंड महाकौथिग मेले में आए उत्तराखंड के महेंद्र मनराल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कभी नोएडा की आईसीआईसीआई बैंक की लोन ब्रांच के मैनेजर रहे महेंद्र आज पहाड़ों में खेती के नायक बन चुके हैं।

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    इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि उनके पिता किसान थे, इसलिए खेती की समझ और जमीन से जुड़ाव उन्हें विरासत में मिली। कोविड़ के दौरान जब महेंद्र अपने सोनगांव जिला अल्मोड़ा लौटे, तो उन्होंने देखा कि आसपास के लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। रोजगार के साधन खत्म हो रहे थे और पलायन की मजबूरी फिर सिर उठा रही थी। किसान परिवार में पले-बढ़े महेंद्र को एहसास हुआ कि अगर पहाड़ों में रहकर ही खेती को आधुनिक रूप दिया जाए, तो लोगों को यहीं रोजगार मिल सकता है। यही सोच उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट बनीं।

    क्यों कहा जाता है एयर पोटैटो

    पत्नी दीपा मनराल और बहन शोभा रौतेला के साथ मिलकर उन्होंने छह लाख रुपये का लोन लेकर खेती की शुरुआत की। उन्होंने पारंपरिक लेकिन लगभग भुला दी गई पहाड़ी फसल ‘गेठी’ को चुना, जिसे अंग्रेजी में ‘एयर पोटैटो’ कहा जाता है। यह आलू की तरह दिखने वाला कंद जमीन में नहीं, बल्कि बेलों पर हवा में उगता है। यह कोई असली आलू नहीं, बल्कि रतालू परिवार का एक पौधा है जो जमीन के ऊपर लताओं में हवा में उगता है और यह अपनी औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। खासकर शुगर, पेट और जोड़ों की समस्याओं में फायदेमंद है, लेकिन यह तेजी से फैलने वाला आक्रामक पौधा भी है।

    औषधीय गुणों का खजाना है गेठी

    उत्तराखंड के करीब दो हजार मीटर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह फल औषधीय गुणों का खजाना है। गेठी की तासीर गर्म होती है और यह खांसी, पाचन, ब्लड प्रेशर और इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक मानी जाती है। इसमें फाइबर, आयरन, पोटेशियम और एंटीआक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। इसे सब्जी, उबालकर, भूनकर और च्यवनप्राश जैसी औषधियों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

    लाखों की होती है कमाई

    आज महेंद्र न केवल एयर पोटैटो बल्कि तरूड़ आलू और आर्गेनिक दालों की खेती भी कर रहे हैं। उनके साथ एक हजार से ज्यादा किसान और महिलाएं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जुड़े हैं। इस माडल से जुड़ा हर व्यक्ति महीने में 25 से 35 हजार रुपये तक कमा रहा है। महेंद्र की खुद की सालाना आय करीब 25 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है।

    विदेशों तक पहुंच रहे उत्पाद 

    उनके उत्पाद आनलाइन प्लेटफार्म के जरिए देश ही नहीं, विदेशों तक पहुंच रहे हैं। अमेरिका तक उनके ग्राहक हैं। महेंद्र कहते हैं मैं किसान का बेटा हूं, इसलिए मुझे पता था कि अगर सही दिशा और भरोसा मिले तो खेती कभी घाटे का सौदा नहीं होती। उनका कहना है आज हवा में उगने वाला यह आलू पहाड़ों में सिर्फ फसल नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता, सम्मान और उम्मीद की नई बेल बन चुका है।

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