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    रामपुर तिराहा कांड: दुष्कर्म के दोनों दोषियों को आजीवन कारावास, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह के न्यायालय ने सुनाया निर्णय

    Muzaffarnagar News आंदोलनकारी महिलाओं से दुष्कर्म का भी आरोप लगा था। मामले में सीबीआई की तरफ से विवेचना पूरी कर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी। कुल छह मुकदमे चले जिनमें से दो समाप्त हो चुके हैं और चार मुकदमे विचाराधीन थे। पीएसी के सेवानिवृत सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर महिलाओं से अश्लील छेड़छाड़ की धाराओं में केस दर्ज था।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 18 Mar 2024 03:45 PM (IST)
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    Muzaffarnagar News: रामपुर तिराहा कांड: दुष्कर्म के दोनों दोषियों को आजीवन कारावास।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों में शामिल दो महिलाओं से दुष्कर्म के मुकदमे में न्यायालय ने दोषी पीएसी के सेवानिवृत सिपाहियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह निर्णय सरकार बनाम मिलाप सिंह मुकदमे में सुनाया गया है।

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    दो अक्टूबर 1994 को पृथक राज्य गठन की मांग को लेकर उत्तराखंड के लोग दिल्ली जा रहे थे। मुजफ्फरनगर के छपार थाना क्षेत्र में रामपुर तिराहा पर पुलिस और पीएसी ने इन्हें रोक लिया था। टकराव होने पर पुलिस ने फायरिंग की थी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।

    मुकदमे में इन पर लगे थे आरोप

    इनमें से एक सरकार बनाम मिलाप सिंह के मुकदमे में पीएसी के सेवानिवृत सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप पर महिलाओं से अश्लील छेड़छाड़ की धारा 354, दुष्कर्म की धारा 376 और शील भंग करने की धारा 509 के तहत मुकदमा चला। सीबीआइ के अधिवक्ता धारा सिंह मीणा के साथ ही अभियोजन पक्ष की तरफ से डीजीसी राजीव कुमार शर्मा, एडीजीसी परविंदर सिंह ने मामले में पैरवी की। कुल 15 गवाह अदालत के समक्ष पेश किए गए।

    दोषी करार दिया था

    इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने की ओर गत 16 मार्च को मिलाप सिंह तथा वीरेंद्र प्रताप को दोषी करार दिया था। न्यायालय ने सजा सुनाने के लिए 18 मार्च की तिथि दी थी। सोमवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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    अब कुल तीन मुकदमे विचाराधीन

    अब इस प्रकरण से संबंधित दो मुकदमे सरकार बनाम एसपी मिश्रा और सरकार बनाम बृजकिशोर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के न्यायालय में और तीसरा मुकदमा सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी एडीजे- 7 के न्यायालय में विचाराधीन हैं। कुल छह मुकदमे मुजफ्फरगर के न्यायालय में चले थे, जिनमें से दो मुकदमों की फाइल बंद हो चुकी हैं। अब कुल तीन मुकदमे विचाराधीन हैं।

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