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    Holi 2024: संभल में कब होगा होलिका दहन और किस समय खेली जाएगी होली, ज्योतिषाचार्य ने बताई तारीख, ये है शुभ मुहुर्त

    Holi 2024 News In Hindi पंचाग के अनुसार रात 11.15 बजे से लेकर 12.23 बजे तक होगा दहन मिलेगा 1.14 घंटे का शुभ मुहूर्त। खुशियों के इस त्योहार का संबंध भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। रंगोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगों के इस पवित्र त्योहार को वसंत ऋतु का संदेशवाहक भी माना जाता है।

    By Shobhit Kumar Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 18 Mar 2024 03:46 PM (IST)
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    Holi 2024: होली का शुभ मुहुर्त संभल में ज्योतिषाचार्य ने बताया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, संभल। होली के मौके पर इस बार होलिका दहन 24 मार्च को होगा। जबकि होली 25 मार्च को खेली जाएगी। ऐसे में पंचांग के अनुसार रात 11.15 बजे पर शुरू होकर 25 मार्च को 12.23 बजे पर दहन समाप्त होगा, जिसके चलते होलिका दहन के लिए एक घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।

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    पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9.54 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो 25 मार्च को दोपहर 12.29 बजे पर समाप्त हो रही है। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च और रंगों वाली होली 25 मार्च को खेली जाएगी।

    24 मार्च को होगा दहन

    श्री विनायक ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य पंडित शोभित शास्त्री ने बताया कि इस साल होलिका दहन 24 मार्च को है, इसके साथ ही इस दिन देर रात होलिका दहन किया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार रात 11.15 बजे पर शुरू होकर 25 मार्च को 12.23 बजे पर दहन समाप्त होगा। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल एक घंटा 14 मिनट का समय मिलेगा।

    इस बार शुभ मंगलकारी

    पाताल वासिनी भद्रा होने से यह इस बार शुभ मंगलकारी है। साथ ही बताया कि हर बार होलिका का पूजन एक या दो साल के अंतराल में भद्रा की साक्षी में आता ही है। यह भी लगभग स्पष्ट है कि होलिका के पूजन पर भद्रा का दोष कितना मान्य होता है या नहीं होता है।

    इस विषय पर यदि चर्चा की जाए तो ज्योतिष शास्त्र में भद्रा का वास चंद्रमा के राशि संचरण के आधार पर बताया गया है। यदि भद्रा कन्या, तुला, धनु राशि के चंद्रमा की साक्षी में आती है तो वह भद्रा पाताल में वास करती है और पाताल में वास करने वाली भद्रा धन-धान्य और प्रगति को देने वाली मानी गई है।

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    घर-परिवार में सुख शांति लाएगी होली

    पौराणिक कथाओं में अलग-अलग प्रकार के संदर्भ होलिका के संबंध में प्राप्त होते हैं। पर्व काल पर होलिका पूजन करने से संतान, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। क्योंकि पौराणिक मान्यता में होलिका का पूजन विधि विधान से पंचोपचार पूजन की मान्यता के साथ करने से रोग दोष की निवृत्ति होती है साथ ही घर परिवार में सुख शांति होती है।

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    धन-धान्य की वृद्धि देने वाला पर्व

    पंडित शोभित शास्त्री ने बताया कि नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार देखे तो होलिका का पूजन प्रदोष काल में होगा। इस समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। यह नक्षत्र कन्या राशि की कक्षा में आता है। मुहूर्त चिंतामणि की गणना के अनुसार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में किया गया कार्य विशेष पर्व काल पर आता हो तो यह नक्षत्र धन-धान्य की वृद्धि देने वाला माना गया है।