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    Rakesh Tikait: रात में सफर कर रहे थे राकेश टिकैत, अचानक खेतों से निकलकर कार से टकराई नीलगाय; फिर जो हुआ...

    Updated: Fri, 14 Mar 2025 10:00 PM (IST)

    मुजफ्फरनगर बाईपास पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की कार नीलगाय से टकरा गई जिससे कार क्षतिग्रस्त हो गई। एयरबैग खुलने के कारण टिकैत चालक और गनर सुरक्षित रहे। हादसा शुक्रवार रात हुआ जब वह सिसौली से अपने आवास लौट रहे थे। फेसबुक लाइव के जरिए उन्होंने सुरक्षा का संदेश दिया और लोगों से कार में सीट बेल्ट लगाने की अपील की।

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    भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत - फाइल फोटो ।

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत की कार के आगे अचानक नीलगाय आ गई। इस कारण कार क्षतिग्रस्त हो गई, हालांकि एयरबैग खुलने की वजह से राकेश टिकैत और कार चालक समेत गनर सुरक्षित रहे।

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    यह हादसा शुक्रवार रात लगभग 7:30 बजे मुजफ्फरनगर बाईपास पर हुआ। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत फॉर्च्यूनर कार में सवार होकर सिसौली से मुजफ्फरनगर स्थित अपने आवास की तरफ लौट रहे थे। कार में उनके अलावा चालक और गनर साथ था।

    खेतों से निकलकर आई नील गाय

    जब वह मुजफ्फरनगर बाईपास पर पहुंचे तो पेट्रोल पंप के पास अचानक ही खेतों से निकल कर आई नील गाय कार से टकरा गई। कार की स्पीड लगभग 90 किमी प्रति घंटा थी। नील गाय से टक्कर लगते ही कार का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया और एयरबैग भी खुल गए। इस कारण कार में सवार सभी लोग सुरक्षित रहे।

    इसके बाद राकेश टिकैत ने अपने आवास पर पहुंचकर फेसबुक लाइव आकर लोगों को हादसे के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कार में सवार सभी लोगों ने सीट बेल्ट लगाई हुई थी इसी के चलते एयरबैग खुल गए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भी कहा है कि किसी को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है वह बिल्कुल सुरक्षित हैं। साथ ही लोगों से अपील की है कि कार चलते समय सीट बेल्ट का प्रयोग अवश्य करें।

    कौन हैं राकेश टिकैत?

    राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और देश के प्रमुख किसान नेताओं में से एक हैं। उनका जन्म 4 जून 1969 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में हुआ था। वे प्रसिद्ध किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे हैं, जिन्होंने 80 और 90 के दशक में कई बड़े किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया था।

    राकेश टिकैत खुद भी किसान राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं और किसानों के हक के लिए संघर्ष करते रहे हैं। 2020-21 के कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन में वे सबसे प्रमुख चेहरों में से एक थे। गाजीपुर बॉर्डर पर उनका भावुक भाषण और आंसू छलकने के बाद आंदोलन को नया जोश मिला, जिससे वे पूरे देश में चर्चित हो गए।

    वे कई बार सरकार से किसानों के मुद्दों पर तीखी बातचीत कर चुके हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), फसलों के दाम, बिजली बिल और किसान ऋण जैसे मामलों में सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग करते रहे हैं। उन्होंने 2007 और 2014 में चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद वे आज भी किसानों की आवाज़ बुलंद करने वाले सबसे मजबूत नेताओं में से एक हैं।

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