Muzaffarnagar Riots: दो भाइयों की हत्या के बाद भड़की थी चिंगारी, 60 से अधिक लोगों की गई थी जान, 50 हजार हुए विस्थापित
Muzaffarnagar News मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के बाद 510 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से अधिकतर मुकदमों में आरोपित साक्ष्य के अभाव और गवाहों के पलटने के कारण बरी हो गए। सचिन-गौरव हत्याकांड में दोषियों को सजा हुई जबकि कई अन्य मामलों में आरोपितों को क्लीन चिट मिल गई। दंगों के कारण 50 हजार से अधिक लोग विस्थापित हुए थे।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। कवाल कांड के बाद नंगला मंदौड़ में 7 सितंबर 2013 को हुई पंचायत के बाद जनपद में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। दंगे में 60 से अधिक लोगों की जान गई थी, जबकि 50 हजार से अधिक विस्थापित हो गए थे। हत्या, लूटपाट एवं आगजनी समेत विभिन्न धाराओं में 510 मुकदमे दर्ज किए गए थे। 100 से अधिक मुकदमों में न्यायालय अपना निर्णय सुना चुका है। इनमें सचिन-गौरव हत्याकांड का निर्णय भी शामिल है।
सचिन, गौरव और शाहनवाज की हुई थी हत्या
27 अगस्त 2013 को जानसठ थाना क्षेत्र के गांव कवाल में ममेरे भाइयों सचिन और गौरव निवासी मलिकपुरा और कवाल निवासी शाहनवाज की हत्या से सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। इसके बाद जनपदभर में जगह-जगह हिंसा की आग लग गई थी। 30 अगस्त को खालापार और 31 अगस्त को नंगला मंदौड़ में पंचायत का आयोजन किया गया।
इसके बाद 7 सितंबर 2013 को नंगला मंदौड़ में बहू-बेटी बचाओ पंचायत के बाद लौट रहे लोगों का टकराव होने पर सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। जिसमें 60 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, जबकि 50 हजार से अधिक लोगों को जान बचाने के लिए अपने घरों से पलायन कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर होना पड़ा था।
1500 से अधिक दंगा आरोपित बरी
2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान 510 मुकदमे दर्ज हुए। जिनमें 175 मामलों में एसआइटी ने विवेचना कर आरोपितों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जबकि 165 मामलों में साक्ष्य के अभाव में एफआर लगा दी गई। झूठे पाए जाने पर 170 मुकदमे एक्सपंज किये गए। 12 वर्ष के दौरान करीब 110 से अधिक मुकदमों में आए फैसले में 1500 से अधिक दंगा आरोपित बरी हो गए।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव शर्मा के अनुसार सांप्रदायिक दंगों को लेकर अधिकांश मुकदमे आपस में मर्ज किए गए। जिसके चलते वर्तमान में 180 से अधिक मुकदमों की विभिन्न न्यायालयों में सुनवाई चल रही है। इनमें निर्णय विचाराधीन है। जिनमें निर्णय आया है अधिकांश उन मुकदमों में साक्ष्य का अभाव, गवाह का पक्षद्रोही होना रहा है। जिसका लाभ आरोपितों को मिला है।
सचिन-गौरव के हत्यारे ताउम्र सलाखों में कैद
27 अगस्त को मलिकपुरा निवासी ममेरे भाई सचिन और गौरव की हत्या हुई थी। यह मुकदमा दंगा का मुख्य रहा है। इसके बाद ही स्थिति सांप्रदायिक हुई थी। इस मामले में आरोपित कवाल निवासी मुजस्सिम, मुजम्मिल, फुरकान, नदीम, जहांगीर और इकबाल सहित सात दोषियों को 8 फरवरी 2019 को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। शाहनवाज की हत्या से जुड़ा मुकदमा अभी विचाराधीन है। इसमें मामले में न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में छह आरोपित को क्लीन चिट दी थी। इसके बाद शाहनवाज के पिता सलीम ने न्यायालय में सुनवाई के लिए अर्जी लगाई थी।
भाजपा नेता विक्रम सैनी की गई थी विधायकी
सचिन और गौरव की अंत्येष्टि के बाद लौट रहे कुछ लोगों ने 28 अगस्त 2013 को कवाल गांव में मुस्लिम समाज के लोगों के घरों पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद कवाल गांव में हिंदू और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने आ गए थे। पुलिस ने खतौली विधायक रहे भाजपा नेता विक्रम सैनी सहित दोनों पक्ष के 28 लोगों को संगीन धाराओं में निरुद्ध किया था। 02 अक्टूबर 2022 को इस मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए भाजपा विधायक विक्रम सैनी सहित 12 लोगों को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद नवंबर-2022 में विक्रम सैनी की विधानसभा से सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
राजनीतिक हस्तियां बनाई गई थीं आरोपित
सांप्रदायिक दंगे के बाद भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, भाजपा के पूर्व विधायक संगीत सिंह सोम, पूर्व मंत्री सुरेश राणा, भाजपा नेत्री साध्वी प्राची, पूर्व विधायक उमेश मलिक, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह तथा पूर्व सांसद एवं सपा नेता कादिर राना, बसपा के पूर्व विधायक नूर सलीम राना, कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय गृहराज्यमंत्री सईद्दुजमा को भड़काऊ भाषण देने का आरोपित बनाया गया था।
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