Muzaffarnagar News: साक्ष्य के अभाव में दंगे के चार आरोपित बरी, लूटपाट और आगजनी का दर्ज किया गया था मुकदमा
27 अगस्त 2013 को मुजफ्फरनगर के कवाल में तिहरे हत्याकांड के बाद जनपद में तनाव पैदा हो गया था। सात सितंबर को दंगा हो गया था। इसी दौरान गांव लिसाढ़ निवासी नसीम ने भीड़ पर घर में घुसकर मारपीट लूटपाट और आगजनी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।

मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। वर्ष 2013 में हुए दंगे में नामजद चार आरोपितों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। उक्त लोगों के खिलाफ फुगाना थाने में लूटपाट और आगजनी का मुकदमा दर्ज किया गया था।
तिहरे हत्याकांड के बाद पैदा हो गया था तनाव
27 अगस्त 2013 को कवाल में तिहरे हत्याकांड के बाद जनपद में तनाव पैदा हो गया था। इसके बाद सात सितंबर को साम्प्रदायिक दंगा हो गया था। दंगे में 65 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसी दौरान फुगाना थानाक्षेत्र के गांव लिसाढ़ निवासी नसीम ने भीड़ पर घर में घुसकर मारपीट, लूटपाट और आगजनी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में एसआइटी ने लिसाढ़ निवासी सीटू और नीशू पुत्रगण सत्यप्रकाश और विकास एवं विक्की के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता वीरेंद्र बालियान ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 10 की न्यायाधीश हेमलता के समक्ष हुई। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चारों आरोपितों को बरी कर दिया।
कवाल के दो मामलों में ही हुई है सजा
कवाल कांड के बाद जनपद में वर्ष 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान 510 मुकदमे दर्ज किए गए थे। तत्कालीन सपा सरकार ने मामले की जांच एसआइटी से कराई थी। एसआइटी ने जांच के बाद 175 मुकदमों में चार्जशीट दाखिल की थी, जबकि 165 मुकदमों में एफआर लगा दी थी। 170 मुकदमे एक्सपंज किए गए थे। कोर्ट से अब तक दंगों के दो ही मुकदमों में सजा सुनाई गई है। 27 अगस्त 2013 को हुई सचिन तथा गौरव की हत्या के मामले में कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के सात आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा बीती 11 अक्टूबर को खतौली से भाजपा विधायक विक्रम सैनी सहित 12 लोगों को कवाल में 29 अगस्त को हुए बवाल के मुकदमे में दो-दो साल की सजा सुनाई थी।
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