हत्या के दोषी चार सगे भाइयों को उम्र कैद, शामली जिले में मस्जिद से निकले इकराम की सिर में गोली मारकर की गई थी हत्या
Muzaffarnagar News शामली के गांव में 11 साल पहले हुए हत्याकांड में चार भाइयों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। आरोप है कि उन्होंने नमाज पढ़कर लौट रहे एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक आरोपित की मृत्यु हो चुकी है।

जागरण संवाददाता, मुजफ्फरनगर। शामली जिले के गांव बलवा में लगभग 11 वर्ष पूर्व गोली मारकर हत्या के दोषी सगे चार भाइयों को अपर सत्र एवं जिला सत्र न्यायालय-7 ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सभी आरोपितों पर 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मुकदमे की सुनवाई के दौरान एक आरोपित की मृत्यु हो चुकी है।
डीजीसी राजीव शर्मा व एडीजीसी वीरेन्द्र कुमार नागर ने बताया कि शामली के गांव बलवा निवासी नफीस अहमद पुत्र हाजी अब्दुल हमीद ने 14 जुलाई 2014 को दर्ज कराए मुकदमे में कहा था कि उसका भाई इकराम पुत्र समीम, साबिर पुत्र इंतजार रेलवे स्टेशन के पास चारा काट रहे थे, तभी अफसरून पुत्र जमशेद तमंचा लेकर आया और साबिर पर गोली चला दी, जिसमें वह बच गया। उसके भाई इकराम ने अफसरून से तमंचा छीन लिया। तब आरोपित धमकी देकर फरार हो गया।
आरोप था कि उसी शाम को लगभग 06:20 बजे अफसरून, नवाब, इन्सार, इस्लाम, कादिर पुत्र जमशेद ने हाथों में तमंचे लेकर फायरिंग की। इसी दौरान मस्जिद से नमाज पढ़कर निकले इकराम को देखते ही उसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने जांच के बाद आरोपितों को गिरफ्तार किया और न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया। एडीजीसी वीरेन्द्र नागर ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितिश सचदेवा के न्यायालय में हुई। मंगलवार को न्यायालय ने दोनों पक्षों के तर्क-वितर्क सुनने और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद निर्णय सुनाया। हत्या के दोषी नवाब, इन्सार, इस्लाम और कादिर को आजीवन कारावास के साथ 20-20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
वर्ष 2021 में अफसरून की हो चुकी मौत
एडीजीसी के अनुसार मुकदमे की सुनवाई लगभग 11 वर्ष तक चली। अभियुक्त अफसरून की 14 अक्टूबर-2021 को मृत्यु हो चुकी है। अभियोजन पक्ष ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट के अलावा गवाह पेश किए। मंगलवार को न्यायालय में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अभियुक्तों का पहला अपराध बताते हुए नरम रुख रखने की मांग की। इस पर अभियोजन पक्ष ने कहा कि अभियुक्तों ने वादी के भाई की गोली मारकर हत्या की है, जबकि वादी पर भी जान से मारने की नियत से फायर किया गया, अभियुक्तगण को सख्त सजा मिलनी चाहिए। जिससे समाज में संदेश जा सके कि ऐसा अपराध करने वालों को कठोरतम दंड मिलता है।
न्यायालय ने दिया अपना मत
न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के उपरांत मामले के समस्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं पक्षों द्वारा प्रस्तुत तर्कों को दृष्टिगत रखते हुए अपना मत दिया। न्यायालय का मत है कि अभियुक्तों द्वारा असामान्य परिस्थितियों में वादी के भाई की गोली मारकर हत्या की गयी है। ऐसी परिस्थिति में अभियुक्तों के प्रति उदारता समाज की मांग के अनुसार न्यायसंगत नहीं है। प्रश्नगत अपराध में अभियुक्त की भूमिका व समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्तों को दंडित किए जाने से न्याय की मंशा पूर्ण होगी।
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