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    'गैंग्स आफ भौराखुर्द' का अहम किरदार रहा आदेश

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 26 Jun 2019 06:29 AM (IST)

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    'गैंग्स आफ भौराखुर्द' का अहम किरदार रहा आदेश

    मुजफ्फरनगर, जेएनएन। सोमवार देररात पुलिस मुठभेड़ में मारा गया आदेश बालियान भौरा खुर्द गांव का रहने वाला था। खूनी रंजिश के लिए चर्चित यह गांव 'खूनी भौरा' के नाम से भी जाना जाता है। आदेश भी खूनी रंजिश में अहम किरदार रहा। रंजिश के चलते ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आदेश ने कई हत्या, डकैती और लूट की घटनाओं को अंजाम दिया।

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    कुख्यात आदेश बालियान की अपराधिक पृष्ठभूमि जानने के लिए पहले भौराखुर्द की रंजिश पर नजर डालना जरुरी होगा। भौराखुर्द में रंजिश की यह शुरूआत वर्ष 2004 में हुई। शोभाराम और सतीश पक्ष एक चबूतरे के मामूली विवाद के चलते आमने-सामने आए और फिर कत्लोगारत का सिलसिला शुरू हुआ। आदेश सतीश का भाई था। पहली हत्या शोभाराम के बेटे सुखपाल की हुई। इसके बाद दोनों पक्ष एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। ग्राम प्रधान का पद भी अदावत का कारण बना। करीब 20 दोनों पक्षों के लोग ग्राम प्रधान पद पर काबिज होते रहे। इसी बीच दोनों पक्षों से हत्याओं का क्रम जारी रहा। दोनों ओर से लगभग 40 हत्याएं हुईं। वर्ष 2005 में आदेश के भाई सतीश ने गांव की पंचायत कर ग्राम प्रधान का पद मांगा था। जिस कारण कोई भी अन्य प्रत्याशी मैदान में नहीं आया। सतीश निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित हो गया था। प्रधान बनने के छह माह बाद ही सतीश की भौराखुर्द सिसौली मार्ग पर हत्या कर दी गई। बाद में हुए उपचुनाव में सतीश के भाई हरीश की पत्नी प्रधान पद के लिए निर्वाचित हुई। अगली योजना में दोनों पक्ष आमने-सामने चुनाव लड़े, जिसमें शोभाराम पक्ष के जितेंद्र की पत्नी पिकी ग्राम प्रधान निर्वाचित हुईं। जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। इस समय सतीश के चचेरे भाई जयकुमार की पत्नी पूजा मौजूदा ग्राम प्रधान है। रंजिश के चलते दोनों पक्षों के परिजनों को भी पलायन झेलना पड़ा। हत्या में नामजद होने के कारण पुलिस की दबिश के चलते दोनों पक्षों की महिलाएं भी भौराखुर्द से बाहर ही रहती थीं। बाद में शोभाराम की बीमारी के चलते मौत हो गई। शोभाराम के भाई ब्रह्मपाल की भी हत्या कर दी गई। शोभाराम का दूसरा पुत्र सत्येंद्र जो खेती करता था, वह गायब हो गया। बाद में उसका शव बरामद हुआ। पीएसी की नौकरी छोड़कर आए शोभाराम के तीसरे पुत्र जितेंद्र भी एक केस में नामजद हो गया, उसे हत्या में उम्रकैद हो गई। जितेंद्र जेल की सलाखों में सजा काट रहा है। आदेश के भाई हरीश पर इस समय दो लाख का इनाम है। लगभग दस साल तक रंजिश में हत्याओं के बाद दोनों पक्षों के परिवार भी अस्त-व्यस्त हो गए। शोभाराम पक्ष से केवल जितेंद्र बचा है, जो उम्रकैद की सजा काट रहा है। सतीश का भाई आदेश बालियान पिछले कुछ सालों से गांव में नहीं देखा गया। उसकी लोकेशन लोनी में बताई जाती थी। रंजिश की खुन्नस में आदेश भी अपराध की दुनिया में चर्चित हो गया। उसने हत्या, डकैती और लूट की तमाम वारदातों में हाथ आजमाया।

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    एक दर्जन बेनुगाह भी मारे गए

    भौराखुर्द की खूनी रंजिश पिछले पांच साल से शांत है। गांव में हत्याओं का ऐसा सिलसिला चला कि लोग गांव में रिश्ता करने से भी कतराने लगे। खास बात यह है कि दोनों पक्षों की रंजिश में कुछ ऐसे लोग भी बेमौत मारे गए, जिनका कोई लेना-देना नहीं था। कई ऐसे लोगों की हत्या कर दी गई, जिन पर दूसरे पक्ष को मुखबिरी करने का शक होता था। हर समय किसी बड़ी घटना की आशंका बनी रहती थी। दोनों पक्ष एक-दूसरे की ताक में झुंड बनाकर खेतों में छिपे रहते थे।