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    उम्मीद पोर्टल बंद: मुरादाबाद में सिर्फ 22% वक्फ संपत्ति रजिस्टर, 200 बीघा जमीन पर कब्जा

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 03:28 PM (IST)

    मुरादाबाद में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की गति धीमी है, केवल 22% संपत्तियां ही पंजीकृत हैं। 'उम्मीद' पोर्टल के बंद होने से समस्या और बढ़ गई है। लगभग ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। वक्फ संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर पंजीकृत कराने की अंतिम तिथि शनिवार रात 12 बजे समाप्त हो गई। 30 अगस्त 2025 से शुरू हुई यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया अरबों की वक्फ संपत्तियों को कानूनी सुरक्षा देने का बड़ा मौका थी, लेकिन जिले में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी। अंतिम दिन तक मात्र 22 प्रतिशत वक्फ संपत्तियों का ही पंजीकरण पूरा हो पाया, जबकि हजारों संपत्तियां अब भी बिना रिकार्ड और बिना सत्यापन के पड़ी हैं।

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    वक्फ बोर्ड कार्यालय लखनऊ से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को रात 12 बजे तक मुरादाबाद जिले की 200 से अधिक संपत्तियों का पंजीकरण पोर्टल पर हुआ। जिन लोगों ने अंतिम तिथि तक पंजीकरण नहीं कराया, अब वे सीधे वक्फ ट्रिब्युनल कोर्ट में कारण बताकर समय मांग सकेंगे। पंजीकरण बढ़ाने या नई तिथि देने का अभी तक कोई सरकारी आदेश जारी नहीं हुआ है।

    मुरादाबाद, संभल और अमरोहा से कुल 22 प्रतिशत संपत्तियों का पंजीकरण हुआ है, जिनमें से करीब आधी संपत्तियों के दस्तावेज अपलोड होने बाकी हैं। जिले में अरबों रुपये की वक्फ संपत्तियां सालों से अवैध कब्जों, मनमानी और रिकार्ड न होने की वजह से खतरे में हैं। शासन की कठोर नजर के बाद इनकी परतें खुलनी शुरू हुई हैं।

    जानकारी मिली है कि ताजपुर माफी गांव में वक्फ की 40 बीघा जमीन को माफियाओं ने करोड़ों रुपये में बेच दिया गया। शासन को भेजी गई रिपोर्ट में साफ लिखा है कि दस्तावेजों की हेराफेरी और चुप्पी साधे बैठे मुतवल्लियों ने इस खेल को संभव बनाया। अब यह मामला जांच के अधीन है। ठाकुरद्वारा क्षेत्र के गुलड़िया गांव में करीब 200 बीघा वक्फ जमीन पर दबंगों ने वर्षों से कब्जा कर रखा है।

    खेत जोते जा रहे हैं, अवैध निर्माण भी सामने आए हैं, लेकिन कार्रवाई सिर्फ नोटिसों तक सीमित रही। मुरादाबाद शहर की मस्जिदों, कब्रिस्तानों और व्यावसायिक वक्फ संपत्तियों में भी भारी गड़बड़ी सामने आई है। कई जगहों पर किराएदार मामूली रकम देकर करोड़ों की जमीनों से निजी लाभ कमा रहे हैं। कई संपत्तियों के रिकार्ड गायब, कई के स्वामित्व विवादित, और कुछ के मुतवल्ली ही संदिग्ध हैं।

    वक्फ संशोधन बिल से कब्जा मुक्त होने की कुछ उम्मीदें बढ़ी हैं। वक्फ संशोधन बिल लागू होने के साथ पहली बार जिलाधिकारी को वक्फ संपत्तियों की सीधी निगरानी, कब्जा हटाने की सीधी कार्रवाई, विवादों की तेज सुनवाई और दस्तावेजों की डिजिटल पारदर्शिता का अधिकार मिलेगा। इससे वक्फ संपत्तियों को माफिया राज से मुक्त कराने की उम्मीद बढ़ी है।

    उम्मीद पोर्टल बंद हो चुका है। अब जिम्मेदारी वक्फ बोर्ड और जिला प्रशासन पर है कि कब्जों से वक्फ जमीनें मुक्त कराई जाएं, माफियाओं पर कार्रवाई हो और संपत्तियां अपने असली हकदार गरीब व जरूरतमंदों तक पहुंचें। अगर इस बार सिस्टम नहीं जागा तो अगली रिपोर्ट यह होगी कि वक्फ जमीनें पोर्टल पर नहीं, माफियाओं की रजिस्ट्री में दर्ज हो चुकी हैं।

    11 प्रमुख वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे

    शासन को भेजी गई रिपोर्ट में जिले की 11 महत्वपूर्ण वक्फ संपत्तियां चिन्हित की गई हैं जिन पर कब्जा या दस्तावेजी गड़बड़ी है। वक्फ संख्या 5548 मामू भांजा, 201 मौजा भदौरा, 8A/8B मुनीरन बेगम, 5552 कब्रिस्तान बरवालान, चड्ढा सिनेमा (प्रिंस रोड), कब्रिस्तान शुमाली बिलारी, अली हुसैन कंजरी सराय, हाजी मिर्जा फारूक बेग, मजार हजरत सुल्तान मियां (हरथला), कपूर कंपनी। इनमें कई के रिकार्ड अधूरे हैं और कुछ के मूल दस्तावेज संदिग्ध तरीके से गायब बताए गए हैं।

    2017 बनाम 2025 सर्वे, कई संपत्तियां रिकार्ड से गायब

    साल 2017 में जिले में 3295 संपत्तियां दर्ज थीं। हालिया सर्वे में मात्र 2854 संपत्तियां ही मिलीं। यानी सैकड़ों संपत्तियां कागजों से गायब, जो वक्फ बोर्ड की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत है।

     

    उम्मीद पोर्टल पर 22 प्रतिशत संपत्तियों का पंजीकरण हो सका है। अब पोर्टल बंद हो गया है। कब्जों की शिकायतें अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आई हैं। शिकायत मिलेगी तो आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

    - तूलिका शर्मा, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, मुरादाबाद


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