Tantra Ke Gan : मुरादाबाद के दो युवा अधिकारियों ने मुश्किल को बनाया आसान, 10 हजार लोगों को पहुंचाया घर
Tantra Ke Gan लॉकडाउन के दौरान मुरादाबाद में दूसरे राज्यों से आए 10 हजार से अधिक लोगों को रोका गया था। जिले के दो एसडीएम ने दिन रात एक कर उन्हें कोरोना संक्रमण से बचाने के साथ घर तक पहुंचाने का काम किया था।
मुरादाबाद, जेएनएन। कोरोना ने दुनिया भर की गतिविधियां थाम दी थीं तब लोग सेवा का भाव लेकर बाहर निकले पड़े थे। एक ओर अपने आप को बचाए रखने की भी चुनौती थी तो दूसरी ओर जिम्मेदारी भी निभानी थी। इस कार्य के बीच कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने इस कार्य को जिम्मेदारी निभाने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि सेवा भाव के साथ कार्य कर मिसाल पेश की। उनके द्वारा किए गए कार्य दूसरों के लिए उदाहरण बन गए। मुरादाबाद के दो ऐसे ही युवा अधिकारियों ने कठिन कार्य को सफलतापूर्वक कर दिखाया। इनमें से एक थे तत्कालीन एसडीएम सदर हिमांशु वर्मा और दूसरी एसडीएम कांठ आइएएस प्रेरणा सिंह।
लॉकडाउन के बाद अधिकारियों के पास जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी वह कानून व्यवस्था को बनाए रखना और लोगों के भोजन की व्यवस्था करना। इस कार्य को तो अच्छे से पूरा कर लिया गया। सबसे बड़ी समस्या यह आई कि दस हजार से अधिक श्रमिकों मुरादाबाद में रोके गए, यह श्रमिक राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड से आ रहे थे। दस हजार से अधिक लोगों को काेरोना काल में ठहराने, कोरोना से बचाव के लिए क्वारंटइन करना और फिर उनके घर तक पहुंचाना। इन लोगों के लिए शहर के अनेक स्कूल में ठहराने की व्यवस्था की गई। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने इसकी जिम्मेदारी एसडीएम सदर हिमांशु वर्मा और एसडीएम कांठ प्रेरणा सिंह को सौंपी। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर इस कार्य को सफलतापूर्वक निष्पादन कराया। क्वारंटाइन केंद्र में खाना पहुंचाने के साथ ही वहां रहे लोगों का उत्साह बनाए रखने के लिए भी व्यवस्था की।
हिंमाशु वर्मा ने बताया कि लोगों को उनके घर तक पहुंचाना आसान नहीं था। लोगों को उनके घर ठहराने से लेकर घर पहुंचाने के लिए बस का इंतजाम करने का काम था। इस दौरान लगा कि कोरोना संक्रमित हो गया हूं। टेस्ट कराया तो रिपोर्ट निगेटिव आई। इस दौरान सिर्फ दो दिन क्वारंटाइन रहा और इसके बाद फिर से कार्य में जुट गए। कोरोना काल में परिवार से भी दूरी बनानी पड़ी। वहीं, एसडीएम प्रेरणा सिंह ने बताया कि मुरादाबाद पहुंचने वाले श्रमिकों को रोजगार भी दिलाने की जिम्मेदारी थी, इस कार्य को कराना बेहद मुश्किल था। व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर इस लक्ष्य को पूरा किया। साथ ही लोगों को उनके घर तक पहुंचाने पर संतुष्टि मिली, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।