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    मुरादाबाद: प्रदूषित पानी से मछलियों के मरने पर जांच को दौड़ी टीमें, लखनऊ भेजा जाएगा सैंपल

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 10:29 PM (IST)

    मुरादाबाद में रामगंगा नदी में मछलियों के मरने के मामले में प्रदूषण नियंत्रण और मत्स्य विभाग की टीम ने जांच की। पानी के नमूने लिए गए और लखनऊ लैब भेजे ज ...और पढ़ें

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    मछल‍ि यों के मौत के मामले में जांच करने पहुंची टीम

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। रामगंगा नदी में प्रदूषित पानी से बड़े पैमाने पर मछलियों के मरने के मामले में शनिवार को प्रदूषण नियंत्रण विभाग व मत्स्य विभाग की संयुक्त टीम जांच करने पहुंची। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की टीम ने जिगर कालोनी, चांदमारी घाट, बंग्लागांव, दसवां घाट छोर पर पानी का सैंपल लिया। शुरुआती स्तर पर आक्सीजन का लेवल चेक किया गया, जो सही मिला।

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    मगर, पानी काफी गंदा मिला। ऐसे में मेटल व अन्य हानिकारक तत्वों की आशंका पर जांच के लिए सैंपल सोमवार को लखनऊ भेजा जाएगा। लखनऊ लैब में जांच के बाद ही पता चला सकेगा कि मछलियों के मरने का असल कारण क्या था? पानी में कौन से हानिकारक तत्व हैं। इधर, दूसरे दिन भी कुछ मछलियां मृत मिलीं।

    दरअसल, शुक्रवार सुबह रामगंगा नदी के जिगर कालोनी, चांदमारी घाट, बंग्लागांव, दसवां घाट छोर पर मछलियां मरीं मिलीं थीं। जिन्हें बीनने के लिए लोगों की होड़ लग गई थी। मगर, मछलियों का मृत पाये जाने से मामला सीधे तौर पर बढ़े प्रदूषण से जुड़ा। आशंका जताई गई कि नालों में फैक्ट्रियों का दूषित पानी और केमिकल पहुंचता है। यह पानी आगे रामगंगा नदी में गिरता है जिससे नदी का पानी दूषित होता है।

    ऐसे में फैक्ट्रियों से निकला दूषित केमिकल ही नदी में पहुंचा जिससे मछलियों की मृत्यु हुई। शनिवार को डीएम के निर्देश पर प्रदूषण नियंत्रण विभाग से लैब इंचार्ज अनिल कुमार, राजेंद्र, डा. अतुल व मत्स्य विभाग से सहायक निदेशक मत्स्य राजेलाल की टीम जांच के लिए पहुंची। सभी छोरों से पानी का सैंपल एकत्र किया। रामगंगा किनारे रहने वाले लोगों के भी बयान दर्ज किये।

    प्रदूषण नियंत्रण विभाग में लैब इंचार्ज अनिल कुमार ने बताया कि पानी का आक्सीजन स्तर जांच में सही मिला है। आमतौर पर ऐसी घटनाओं का केंद्र एक किलोमीटर दूर होता है। जिस ओर से पानी का बहाव होता है, ऐसी अवस्था बनने पर एक किलोमीटर दूरी पर मछलियों की यह स्थिति मिलती है। ऐसे में बहाव वाले छोर के एक किलोमीटर दूरी के पानी का भी सैंपल लिया गया है।

    शुरुआती जांच में टीम मछलियों के मरने का दो बिंदुओं पर अंदेशा जता रही है। पहला एक किलोमीटर दूरी पर कोई फैक्ट्री का कचरा या अन्य ऐसे केमिकल पहुंचा, जिससे वहां आक्सीजन का स्तर घटा और मछलियां उतराने लगीं। बहते-बहते इस छोर तक आ गईं और उनकी मृत्यु हो गई। दूसरा यह कि आमतौर पर नदी में मछली पकड़ने में समय लगता है।

    कम समय में अधिक मछलियां पकड़ी जा सकें, इसके लिए कई बार मछली पकड़ने वाले कुछ ऐसे केमिकल का इस्तेमाल करते हैं जिससे पानी का आक्सीजन लेवल कम होता है और मछलियां ऊपर आ जाती हैं। फिलहाल, लखनऊ स्थित प्रदूषण नियंत्रण विभाग की लैब में जांच के बाद ही असल कारण सामने आ सकेगा।

     

    प्रदूषण नियंत्रण विभाग और मत्स्य विभाग की टीम ने संयुक्त रूप से जांच की है। जांच में पानी में आक्सीजन का स्तर सही पाया गया है। पानी में मेटल व अन्य हानिकारक तत्वों की आशंका पर जांच के लिए सैंपल सोमवार को लखनऊ लैब भेजा जाएगा जिससे पूरी स्थिति साफ होगी।

    - डीके गुप्ता, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी


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