रामगंगा नदी बनी 'मुफ्त मछली बाजार'! प्रदूषित पानी से मछलियां, लोगों ने ड्रमों में भरकर बेचीं
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रामगंगा नदी 'मुफ्त मछली बाजार' बन गई है। नदी के प्रदूषित पानी के कारण मछलियां मर रही हैं, जिसे स्थानीय लोग ड्रमों में भर ...और पढ़ें
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ड्रमों में भरकर मछलियां बेचते लोग
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। रामगंगा नदी में शुक्रवार को प्रदूषित पानी से बड़ी मात्रा में मछलियां मर गईं। वे पानी पर उतराने लगीं। यह देखकर मछली बीनने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। स्थिति यह बन गई कि ई-रिक्शा व बाइकों से लोग ड्रम और बाल्टी लाने लगे और उसमे मछलियां भरने लगे।
जाल बिछाए जाने लगे। जिन्हें जाल ना मिले, वह आटा चालने वाली चलनी से मछली बीनते दिखे। देखते ही देखते कुछ ही देर बाद नदी के पास में ही मछली बाजार लग गया। एक-एक किलो की मछलियां 50 रुपये प्रति पीस बेची जानी लगी। प्रदूषित पानी से मरीं मछलियां की जानकारी शहर में आग की तरह फैल गई, मगर कोई जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा।
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इधर, प्रदूषण नियंत्रण विभाग की टीम ने शनिवार को सैंपलिंग की बात कही है। घटनाक्रम शुक्रवार सुबह का है। रोज की तरह किसान रामगंगा नदी किनारे से होते हुए अपने खेतों को जा रहे थे। इस दौरान बड़े पैमाने पर जिगर कालोनी, चांदमारी घाट, बंग्लागांव, दसवां घाट पर मछलियां उतरातीं मिलीं। देखते ही देखते एक-दूसरे तक सूचना पहुंची।
आस-पास के लोग एकत्र होने लगे। फिर सभी में मछलियां बीनने की होड़ सी लग गई। जिसने मौके पर जो पाया, उसमें मछलियां भरने लगा।कुछ लोग ड्रम, बाल्टी तक ले आए। इस बीच रामगंगा नदी किनारे ही मछली बाजार लग गया। उतराई मछलियां बड़ी थीं जिनका वजन एक किलो से अधिक था। लिहाजा, एक-एक मछली 50-50 रुपये में बेची जाने लगी।
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रामगंगा घाट पर यह स्थिति दोपहर तक बनी रही। पर्यावरणविद एवं हिंदू कालेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर अनामिका त्रिपाठी बताती हैं कि मछलियां तभी उतरातीं हैं जब पानी में आक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे मछलियां का श्वास लेना मुश्किल हो जाता है। वह दम तोड़ देतीं हैं। इससे पहले इसी साल अक्टूबर माह में मुगलपुरा क्षेत्र में रामगंगा में ऐसा घटनाक्रम हुआ था।
दूषित पानी आने से मछलियां की मृत्यु हुई थी। मछलियं बीनने के लिए होड़ लग गई थी। इसमें एक युवक रेहान डूबने से मौत भी हो गई थी। बताया जाता है कि नालों में फैक्ट्रियों का दूषित पानी और केमिकल पहुंचता है। यह पानी आगे रामगंगा नदी में गिरता है जिससे नदी का पानी दूषित होता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि फैक्ट्रियों से निकला दूषित केमिकल ही नदी में पहुंचा जिससे मछलियों की मृत्यु हुई।
अगस्त 2022 में रात में आया था पानी, टार्च में बीनीं गईं थी मछलियां
अगस्त 2022 में भी ऐसा ही घटनाक्रम हुआ था। रात में नदी में दूषित पानी आने से मछलियां की मृत्यु हो गई थी। चूंकि, घटनाक्रम रात का था इसलिए मछलियां बीनने के लिए लोगों ने टार्च का उपयोग किया। मछलियां बीनने की मारामारी रही। इससे पहले अप्रैल 2016 में भी ऐसी ही घटना हो चुकी है। साफ है कि रामगंगा में दूषित पानी पहुंच रहा है जिससे जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ रहा है।
रामगंगा नदी के जिस स्थान पर मछलियाें के मरने की बात सामने आई है। उस स्थान व आस-पास के पानी की सैंपलिंग कराई जाएगी। तदनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
- डीके गुप्ता, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
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