रेलवे में अब फर्जी वेंडरों की खैर नहीं! क्यूआर कोड वाले स्मार्ट ID कार्ड से होगी पहचान
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रेलवे अब फर्जी वेंडरों पर लगाम लगाएगा। रेलवे ने क्यूआर कोड वाले स्मार्ट आईडी कार्ड जारी किए हैं जिससे वेंडरों की पहचान स ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
तेजप्रकाश सैनी, जागरण, मुरादाबाद। रेलवे बोर्ड ने कर्मचारियों और ठेके पर कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए नए क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र (आइडी कार्ड) लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। यह आदेश रेलवे मुख्यालय की ओर से 10 दिसंबर को जारी किए गए हैं। नए पहचान पत्र के लागू होने से रेलवे परिसरों में कार्यरत कर्मचारियों, वेंडर्स और सेवा प्रदाताओं की अधिकृत और अनधिकृत पहचान आसानी से की जा सकेगी।
नए आइडी कार्ड पर कर्मचारी का नाम, पता, पदनाम, कार्यस्थल समेत आवश्यक विवरण अंकित रहेगा। इसके साथ ही कार्ड में लगा क्यूआर कोड स्कैन करने पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि संबंधित व्यक्ति रेलवे का वास्तविक कर्मचारी है या अधिकृत वेंडर। इससे फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर स्टेशन व ट्रेनों में सामान बेचने वालों पर रोक लगेगी।
साथ ही सुरक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। मुरादाबाद रेल मंडल में करीब 1000 वेंडर हैं। इससे जहरखुरानी, स्टेशन व ट्रेनों में अनाधिकृत रूप से सामान बेचने पर पर अंकुश लगेगा। रेलवे अधिकारियों के अनुसार अब तक साधारण आइडी कार्ड प्रचलन में थे, जिनकी सत्यता की तत्काल जांच संभव नहीं थी।
नए क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र से यह समस्या खत्म हो जाएगी। क्यूआर कोड स्कैन करते ही संबंधित व्यक्ति का पूरा रिकार्ड सामने आ जाएगा, जिससे रेल परिसरों में संदिग्ध गतिविधियों पर नियंत्रण किया जा सकेगा। खासकर आउटसोर्सिंग के तहत काम करने वाले कर्मचारियों और वेंडरों की पहचान अब पहले से कहीं अधिक पारदर्शी होगी।
रेलवे बोर्ड के निर्देश के बाद विभिन्न जोन और मंडलों में नए आइडी कार्ड का वितरण शुरू कर दिया गया है। मुरादाबाद रेल मंडल में भी यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू हो चुकी है, जिसे वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस दौरान मंडल के नियमित रेल कर्मचारी, ठेकेदारों के अधीन कार्यरत आउटसोर्सिंग स्टाफ और सेवा प्रदाता सभी को नए मानक के अनुसार पहचान पत्र जारी किए जाएंगे। नए आइडी कार्ड उच्च गुणवत्ता वाले पीवीसी मटेरियल से बनाए गए हैं।
इस व्यवस्था से सुरक्षा, पारदर्शिता और कार्य प्रणाली में अनुशासन बढ़ेगा। साथ ही, यात्रियों को भी यह भरोसा मिलेगा कि उनसे संपर्क करने वाला कर्मचारी वास्तव में रेलवे से अधिकृत है।
- आदित्य गुप्ता, सीनियर डीसीएम
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