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    मुरादाबाद में सील अस्पताल का विधायक पुत्र से उद्घाटन: धोखाधड़ी और जान खतरे में डालने के आरोप में 6 पर FIR

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 01:53 PM (IST)

    मुरादाबाद के सील आयुष्मान अस्पताल में फर्जी ऑपरेशन! अशिक्षित स्टाफ मरीजों की सर्जरी करता था, जान जोखिम में थी। महिला की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने संचालक समेत 6 पर FIR की। विधायक पुत्र से उद्घाटन कराना पड़ा महंगा।

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    उद्घाटन के दौरान मौजूद लोग

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। सील अस्पताल का कुंदरकी विधायक ठाकुर रामवीर सिंह के पुत्र ब्रजानंद विक्की ठाकुर से उद्घाटन कराने वाले आयुष्मान अस्पताल संचालकों व स्टाफ पर शिकंजा कस गया है। दोबारा सीलिंग की कार्रवाई के एक माह बाद आखिरकार स्वास्थ्य विभाग की ओर से धोखाधड़ी और दूसरों का जीवन खतरे में डालने की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संजीव बेलवाल की ओर से कराई गई प्राथमिकी में अस्पताल संचालक लक्ष्मन सिंह, पार्टनर व स्टाफ आकाश, रितिक, विनीता दिवाकर, बुशरा खातून व गौरव राजपूत को नामजद कराया गया है।

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    प्राथमिकी के बाद आरोपित लक्ष्मन सिंह ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि दो लाख रुपये की मांग की गई थी। वह नहीं दे पाया, इसलिए अस्पताल दोबारा सील कर दिया गया। मेरी यही गलती है। पहली बार में एक लाख रुपये लेकर सील खोली गई थी। नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल ने बताया कि 19 अक्टूबर को टीम को साथ पाकबड़ा के समाथल रोड स्थित शाहजी नगर में आयुष्मान अस्पताल का औचक निरीक्षण किया गया था।

    निरीक्षण के दौरान अस्पताल में मरीज भर्ती मिले थे। जिनमें सात मरीजों की फाइल अस्पताल में पाई गई। एक मरीज रेनू की नहीं मिली थी। जब मरीजों की फाइलों को चेक किया गया तो किसी भी फाइल पर सर्जन के नोट्स नहीं मिले। जांच करने से पता चला कि अस्पताल में कोई शिक्षित चिकित्सक नहीं है। साथ ही संचालक लक्ष्मण सिंह ने खाली पर्चों पर मरीज के तीमारदारों के हस्ताक्षर और अंगूठे लगवाए हैं। अस्पताल संचालक मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।

    कुछ पर्चे जब्त किए गए। जिन पर चिकित्सक डा. अनीश खान एमबीबीएस एमएस रजिस्ट्रेशन नंबर 91516 की मुहर लगी हुई थी, लेकिन हस्ताक्षर नहीं थे। ओपीडी पर्चे पर डा. अनीश खान एमबीबीएस एमएस, डा. निर्याशु चौधरी एमबीबीएस एवं डा. लक्ष्मण सिंह बीएएमएस अंकित पाया गया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में कोई चिकित्सक नहीं मिला। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में 30 मरीजों की फाइल मिली। सभी फाइलों को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब्त कर लिया।

    इससे पूर्व 26 सितंबर 2024 को नोडल अधिकारी रहे डा. नरेंद्र सिंह ने टीम के साथ निरीक्षण किया था। आम जनमानस से इलाज के नाम पर धोखाधड़ी और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने पर आयुष्मान अस्पताल को सील किया गया था। 28 सितंबर 2024 को भी प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। लक्ष्मण सिंह के बारे में पता चला कि कासमास अस्पताल में 15 नवंबर 2013 से एक फरवरी 2020 तक असिस्टेंट स्टाफ नर्स के पद पर उन्होंने कार्य किया था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनसे प्रपत्र मांगे गए थे, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

    अस्पताल का संचालन बिना किस वैध अभिलेख, प्रशिक्षित डाक्टर और बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के बगैर राजकीय सील तोड़कर संचालित कर रखा था। इसके अलावा अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही से महिला स्वाति की मौत हो गई थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा तीन नोटिस दिए गए, लेकिन किसी भी नोटिस का जवाब नहीं दिया।

    निरीक्षण के दौरान डीवीआर की जांच में पता चला कि आकाश निवासी गोविंद नगर, रितिक निवासी महलकपुर माफी पाकबड़ा, विनीता दिवाकर निवासी धोधली कांठ, बुशरा खातून निवासी शाहपुर चमरयान संभल और गौरव राजपूत निवासी अज्ञात ओर लक्ष्मण सिंह द्वारा मरीजों का आपरेशन किया जा रहा है। उसी आधार पर आरोपितों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

    पहली बार में एक लाख लेकर खोली सील, दो लाख ना दे पाने की मिल रही सजा

    आरोपित लक्षमन सिंह ने प्रकरण के बाद स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी 2023 को स्वास्थ्य विभाग में अस्पताल का रजिस्ट्रेशन हुआ। तीन बार नवीनीकरण हुआ। फिर नवीनीकरण के लिए फाइल लगाई तो कमियां निकाली जाने लगीं। एक कमी पूरी करते तो दूसरी लगा दी जाती। इस बीच सितंबर 2024 में अस्पताल सील कर दिया गया। सीएमओ कार्यालय के लिए दलाली करने वाले युवक ने एक लाख रुपये लेकर सील खुलवा दी। उसी के बाद ही विधायक पुत्र से अस्पताल का उदघाटन कराया था। अक्टूबर में अस्पताल फिर से सील कर दिया गया। सील खोलने के एवज में दो लाख रुपये की मांग की जा रही थी। रजिस्ट्रेशन, सभी प्रपत्र सही होने के बाद रिश्वत देने से इन्कार किया तो अब प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। मेरे पास सभी साक्ष्य हैं।

    यह हुए थे चर्चित घटनाक्रम

    केस-1 : प्रीति की मौत के बाद स्वजन ने की थी शिकायत

    संभल असमोली की रहने वाली प्रीति को गर्भावस्था के दौरान 11 जून 2025 को पाकबड़ा समाथल रोड मंदिर चौराहा के पास स्थित आयुष्मान अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल में आपरेशन से उसके बेटा हुआ, लेकिन बाद में प्रीति की हालत खराब हो गई थे। स्वजन दोबारा अस्पताल लेकर गए उसे वहां से रेफर कर दिया। जहां उसकी मौत हो गई थी। परम सिंह का आरोप था कि अस्पताल में उपचार लापरवाही का आरोप लगाया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद शव स्वजन को सौंप दिया था। परम सिंह ने सीएमओ कार्यालय में शिकायत की थी। जिस पर अस्पताल संचालक को नोटिस जारी हुए थे।

    केस-2 : शिकायत के बाद भी नहीं हुई थी कार्रवाई

    संभल जिले के नवाडा गांव निवासी विपिन ने अपनी गर्भवती पत्नी को 12 अगस्त 2025 को पाकबड़ा के आयुष्मान अस्पताल में भर्ती कराया था। विपिन के अनुसार डाक्टर से नार्मल प्रसव कराने की बात हुई थी। लेकिन, बिना बताए आपरेशन कर दिया था। आपरेशन के बाद जच्चा बच्चा की हालत बिगड़ी थी। इस मामले में सीएमओ और पाकबड़ा पुलिस को शिकायती पत्र दिया था। बाद में दबाव बनाकर समझौता करा दिया गया था।

     

    क्षेत्रवासी उद्घाटन व अन्य आयोजनों में बुलाते हैं जिस पर जाते हैं। आयुष्मान अस्पताल संचालक की ओर से उद्घाटन के लिए बुलाया गया था। जिस पर पहुंचकर उद्घाटन किया था। हमें यह कैसे पता हो सकता है कि अस्पताल सील है या नहीं? मामले में यदि प्राथमिकी कराई गई है तो नियमानुसार पुलिस कार्रवाई करें।

    - ब्रजानंद विक्की ठाकुर, कुंदरकी विधायक ठाकुर रामवीर सिंह के पुत्र

    उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. संजीव बेलवाल के शिकायती पत्र पर अस्पताल संचालक व स्टाफ पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। साक्ष्यों के आधार पर अग्रिम विधिक कार्रवाई की जाएगी।

    - योगेश कुमार, थाना प्रभारी, पाकबड़ा

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