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    'ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना: मुरादाबाद मंडल में अमरोहा अव्वल, मुरादाबाद फिसड्डी; जिला प्रशासन को 10 दिन का अल्टीमेटम

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 10:04 PM (IST)

    अमरोहा मॉडल और चेतावनी: सीएम डैशबोर्ड समीक्षा के अनुसार, 'ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना में अमरोहा अव्वल रहा जबकि मुरादाबाद फिसड्डी। किसानों की कम जागरूकता, फील्ड स्टाफ की कमी और तकनीकी मार्गदर्शन का अभाव मुरादाबाद की असफलता के कारण रहे। जिला प्रशासन ने 10 दिन में जांच और 30 दिन में सुधार का अल्टीमेटम दिया। अब अमरोहा मॉडल अपनाया जाएगा।

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कृषकों को ड्राप मोर क्राप–माइक्रो इरिगेशन योजना के तहत किसानों को ड्रिप से सिंचाई करने की सुविधा दिलाकर पानी की बचत कराने में मुरादाबाद का उद्यान विभाग मंडल में सबसे पीछे रहा। मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर जारी ताजा समीक्षा में ड्रिप सिंचाई योजना के आंकड़ों ने इस कमजोर प्रदर्शन को उजागर कर दिया। मुरादाबाद मंडल में जहां अमरोहा ने 100 प्रतिशत से अधिक उपलब्धि दर्ज कर शीर्ष स्थान हासिल किया है, वहीं मुरादाबाद आखिरी पायदान पर खड़ा दिखाई दिया।

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    समीक्षा में यह भी सामने आया कि मुरादाबाद में पंजीकरण, सत्यापन और उपकरण स्थापना तीनों चरणों में गंभीर सुस्ती बनी हुई है। मुरादाबाद मंडल के चार जिलों में उपलब्धि में अमरोहा जनपद पहले स्थान पर रहा। प्रदेश के शीर्ष प्रदर्शन में भी अमरोहा का नाम शामिल है। मंडल में रामपुर दूसरे स्थान पर, संभल तीसरे और मुरादाबाद चौथा स्थान पर रहा। आंकड़ों में अमरोहा ने पंजीकरण से लेकर स्थापना तक लगभग सभी पैरामीटर पर बेहतर परिणाम दिखाए, जबकि मुरादाबाद में अधिकांश सूचकांकों पर प्रगति धीमी रही।

    डैशबोर्ड समीक्षा के मुताबिक मुरादाबाद में योजना का क्रियान्वयन ज़मीन पर अटका हुआ है। इसके प्रमुख कारण यह रहे कि किसानों के आवेदन कम आए। जिले में अपेक्षित लक्ष्य के मुकाबले पंजीकरण कम हुए। किसान अभी भी ड्रिप तकनीक को लेकर पर्याप्त जागरूक नहीं हैं। फील्ड सत्यापन में देरी की गई। स्वीकृत प्रकरणों में फील्ड स्टाफ की कमी, रिपोर्ट समय से न आने और दौरा न होने की शिकायतें दर्ज हैं। तकनीकी मार्गदर्शन का भी अभाव रहा।

    किसानों का कहना है कि विभाग से सही तकनीकी सलाह नहीं मिलती, जिससे वे प्रक्रिया में अटक जाते हैं। सब्सिडी भुगतान करने में कंपनियों ने धीमी गति रखी। टीआर और फाइनल पेमेंट वाले प्रकरणों में लंबित संख्या अधिक है, जो किसानों के विश्वास को प्रभावित करती है। समीक्षा रिपोर्ट में मुरादाबाद का प्रदर्शन रेड कैटेगरी में चला गया है। जिला प्रशासन को संकेत दिया गया है कि सभी लंबित आवेदनों की 10 दिनों में जांच हो। विभाग प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट अपलोड करे।

    किसानों से संवाद और कैंपों की संख्या बढ़ाई जाए। 30 दिनों में सुधार न होने पर विभागीय कार्रवाई तय मानी जाएगी। बताया जा रहा है कि दिन भर डीलर विकास भवन स्थित उद्यान विभाग के कार्यालय में बिलों का आनलाइन अनुमोदन कराने के लिए बैठे रहते हैं। उनकी बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं होता है। योजना में पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह यही मानी जा रही है।

    अमरोहा बना माडल, मुरादाबाद के लिए रोडमैप तैयार

    अमरोहा में तेज सत्यापन, समय से स्थापना और किसान संपर्क बढ़ाने से परिणाम बेहतर आए। अब मुरादाबाद में भी अमरोहा माडल लागू करने की तैयारी है। विभाग अगले 30 दिन सुधार अवधि के रूप में ले रहा है ताकि मंडल और प्रदेश दोनों स्तर पर आंकड़े सुधारे जा सकें। मुरादाबाद जनपद ड्रिप सिंचाई योजना में पिछड़ने से किसानों का नुकसान हुआ है। आरोप है कि कंपनियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं।

    योजना के तहत किसानों को आधुनिक सिंचाई तकनीक का लाभ दिलाने में जिले की रफ्तार बेहद सुस्त पाई गई है। रिपोर्ट के अनुसार ड्रिप से सिंचाई अपनाने वाले किसानों की संख्या और अपेक्षित लक्ष्य की तुलना में उपलब्धि बेहद कम है। रिपोर्ट में मुरादाबाद मंडल के चार जिलों में अमरोहा पहले, रामपुर दूसरे, संभल तीसरे और मुरादाबाद सबसे आखिरी पायदान पर रहा। ऐसे में मुरादाबाद जैसे बड़े कृषि जिले का पिछड़ना चिंताजनक माना गया है।

     

    ड्राप मोर क्राप–माइक्रो इरिगेशन योजना में अधिक से अधिक किसानों को लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। आंकड़ों में कुछ गड़बड़ी होने के कारण मुरादाबाद की स्थिति खराब हो गई थी। बाद में आंकड़े सही करा दिए गए। अब योजना में आवेदन तेदी से आ रहे हैं। काम और तेज होगा।

    - रमेश चंद्र राणा, जिला उद्यान अधिकारी, मुरादाबाद


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