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    मरीजों की जि‍ंदगी से खिलवाड़! सील होने के बाद भी नाम बदलकर धड़ल्ले से चल रहे 'झोलाछाप' अस्पताल

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 03:33 PM (IST)

    मुरादाबाद के अवैध अस्पतालों का 'नाम बदलो, काम जारी रखो' खेल उजागर। सील होने के बावजूद मिशन अस्पताल 'क्योर' और एमए अस्पताल 'अल्फा' बन गया। बिना डॉक्टर, बिना ओटी रजिस्ट्रेशन के हो रहा इलाज। यह सब विभागीय संरक्षण के बिना संभव नहीं।

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। जिले में सील होने के बाद अस्पतालों का चालू हो जाना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है। पाकबड़ा के आयुष्मान अस्पताल की तरह ही कई संचालकों ने अस्पताल की सील तोड़कर दोबारा संचालन शुरू कर दिया। यह खेल इतना संगठित है कि अस्पताल सील होते ही दलालों का गैंग सक्रिय हो जाता है और संचालकों से मिलकर पूरी ‘डील’ तय करता है।

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    बाद में संचालकों को सलाह देते हैं कि नया नाम रखकर, नया स्थान दिखाकर दोबारा रजिस्ट्रेशन करा लें और पहले की तरह काम करें। डाक्टर हों या न हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि व्यवस्था में सेंध लगाने का नेटवर्क सक्रिय है। इस मामले में दो दिन पूर्व आयुष्मान अस्पताल संचालक एवं स्टाफ के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है।

    पाकबड़ा का उजाला अस्पताल भी इसी तरह से संचालित हो रहा है। इसे स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डा. संजीव बेलवाल ने नियम विरुद्ध संचालन और कमियों के चलते सील किया था। लेकिन अगले दिन इसकी भी सील तोड़ दी थी। अस्पताल में मरीजों से मनमाने रुपये वसूले जाने, बिना अनुमति ओटी (आपरेशन थियेटर) चलाने और बिना योग्य डाक्टरों के इलाज जैसी शिकायतें पहले भी सामने आ चुकी हैं।

    नया मुरादाबाद में भी इस तरह के अस्पतालों का खेल खुले तौर पर नजर आता है। यहां मिशन अस्पताल को भी गंभीर अनियमितताओं के कारण सील करने के बाद मुकदमा दर्ज कराया था। कार्रवाई का असर कुछ समय रहा। फिर उसी भवन में क्योर मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल के नाम से नया बोर्ड लगाकर संचालन शुरू कर दिया। कार्रवाई के बाद पोस्टर बदला, सिस्टम नहीं।

    इसी तरह नया मुरादाबाद सेक्टर–पांच में एमए अस्पताल को भी स्वास्थ्य विभाग ने सील कर मुकदमा लिखवाया था। कार्रवाई का कारण था, ओटी (आपरेशन थियेटर) का रजिस्ट्रेशन न होना, स्टाफ की कमी और नियमों की अनदेखी। लेकिन कुछ माह में ही फिर अल्फा अस्पताल के नाम से संचालन शुरू कर दिया। हैरानी यह है कि जिसका आपरेशन थिएटर रजिस्ट्रेशन विभाग ने रद्द किया, वही ओटी स्वास्थ्य विभाग की साठगांठ से फिर चालू हो गई।

    तमाम शिकायतों के बाद टीम दोबारा जांच के लिए नहीं भेजी गई। पाकबड़ा बड़ा मंदिर क्षेत्र का मामला भी कम हैरानी वाला नहीं है। यहां झोलाछाप सविता का अवैध अस्पताल स्वास्थ्य विभाग ने सील करके मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन कुछ ही दिन बाद यह अस्पताल भी फिर से खुल गया। पहले की तरह बिना डाक्टर इलाज हो रहा है। क्षेत्र के लोगों के अनुसार, यह सब बिना विभागीय संरक्षण के संभव नहीं। सीलिंग और मुकदमे की कार्रवाई केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रह गई है। दोबारा सत्यापन भी नहीं हो रहा है।

    दलाल अस्पताल बहाल कराने का थमाते हैं रेट कार्ड

    स्वास्थ्य विभाग के लिए बाहरी दलाल अस्पतालों से संपर्क करने के बाद बहाली का रेट कार्ड थमा देते हैं। जिसमें नाम बदलने से लेकर नए कागज तैयार कराने तक सबकुछ शामिल होता है। मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे इन अस्पतालों पर प्रभावी कार्रवाई न होने से संचालक मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।

     

    बिना पंजीयन के अस्पतालों पर नियमित कार्रवाई की जा रही है। ब्लाक स्तर पर एमओआइसी और शहरी क्षेत्र में टीम के साथ मेरे द्वारा कार्रवाई की जा रही है। साथ ही 157 अस्पतालों को भी नोटिस जारी किये जा चुके हैं।

    - डा. संजीव बेलवाल, नोडल अधिकारी अस्पताल पंजीयन


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