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    खून चढ़ाते ही बिगड़ी हालत, डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर मरीज को प्राइवेट के रहमोकरम पर छोड़ा!

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 12:15 AM (IST)

    मुरादाबाद में खून चढ़ाते ही एक मरीज की हालत बिगड़ गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने मामले को गंभीर देखते हुए हाथ खड़े कर दिए और उसे प्राइवेट अस्पताल में रेफर ...और पढ़ें

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    अस्‍पताल में मौजूद पीड़‍ित पर‍िवार

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का सरकार प्रयास कर रही है। इसको लेकर संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। तमाम प्रयासों के बाद भी महिला अस्पताल का प्रबंधन और चिकित्सक शासन की मंशा को पलीता लगा रहे हैं। पाकबड़ा के गांव हरण निवासी 30 वर्षीय पिंकी की हालत आपरेशन थियेटर में खराब हो गई। शरीर का आक्सीजन स्तर 80 के करीब पहुंच गया।

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    ब्लड प्रेशर भी 90-60 पहुंच। साथ ही पेशाब के रास्ते ब्लीडिंग भी हो गई। सरकारी डाक्टरों के हाथ-पांव फूले तो प्राइवेट अस्पताल रेफर कर दिया। स्वजन के अनुसार, स्टाफ ने बताया आपके मरीज की हालत यहां ठीक नहीं होगी। कुछ भी हो सकता है। जान बचानी है तो प्राइवेट में ले जाओ। वहीं स्वजन ने चिकित्सक-स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया। अभद्र व्यवहार भी किया गया।

    स्‍पाइन से नशा देने के बाद कि‍या सीजर

    पाकबड़ा के रहने वाले रवि प्लंबिंग का काम करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनकी 30 वर्षीय पत्नी पिंकी को उन्होंने 20 दिसंबर को प्रसव पीड़ा में महिला अस्पताल में भर्ती कराया। शाम में आपरेशन के लिए आपरेशन थियेटर ले जाया गया। स्पाइन से नशा देने के बाद सीजर किया। मरीज के बेटी हुई। इसके बाद मरीज के शरीर का आक्सीजन 80 के करीब पहुंचा और ब्लड प्रेशर भी 90-60 पहुंच गया।

    आपरेशन थियेटर में सबके हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में ब्लड लगाया गया। इससे मरीज की हालत और बिगड़ गई। 10 मिनट में ही ब्लड रोक दिया गया। इसके मरीज को वार्ड में शिफ्ट किया गया। साथ ही मरीज के पति रवि से कहा गया कि हालत ठीक नहीं है। मरीज को प्राइवेट अस्पताल लेकर जाओ। स्वजन ने परेशानी पूछने का प्रयास किया। किसी ने स्वजन की कांउसिलिंग भी नहीं की।

    लापरवाही और खराब व्‍यवहार का लगाया आरोप

    आनन-फानन में मरीज को पाकबड़ा के न्यू इंडियन अस्पताल ले जाया गया। वहां रजिस्टर मेडिकल आफिसर डा. आमिर सुहैल ने मरीज का परीक्षण करने के बाद इमरजेंसी में भर्ती कर लिया। तब से मरीज वहीं भर्ती है। स्वजन ने अस्पताल के डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। साथ ही प्रबंधन और स्टाफ पर खराब व्यवहार का आरोप भी लगाया गया है।

    वहीं, महिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में चोरी से बचाव के लिए तैनात किये गार्ड अस्पताल में आने वाले मरीज, तीमारदारों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे हैं। प्रबंधन की मनमानी लोगों के सामने न आ जाए। सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाय तुगलकी फरमान सुनाया जा रहा है।

    मामले में मरीज के पत‍ि रव‍ि ने बताया क‍ि महिला अस्पताल में आपरेशन के बाद गलत ढंग से खून चढ़ाया गया था। खराब हालत में यहां से प्राइवेट के लिए रेफर किया गया। एंबुलेंस की भी व्यवस्था नहीं कराई गई। अभद्र व्यवहार से पेश आए हैं। सरकारी अस्पताल में सीजर के बाद भी मरीज को नहीं संभाल पाए।

    न्‍यू इंड‍ियन अस्‍पताल के डाक्‍टर आम‍िर सुहैल ने बताया क‍ि पिंकी को 20 दिसंबर की रात 9:50 बजे अस्पताल लाया गया था। एंबुलेंस में बिना आक्सीजन के ही अस्पताल से रवाना कर दिया गया था। मरीज के शरीर का आक्सीजन 80 के करीब था। ब्लड प्रेशर भी 90-60 था। पेशाब के रास्ते से खून आ रहा था। मरीज की रिकवरी की गई है। अभी आइसीयू में भर्ती है।

    महिला अस्पताल प्रबंधन की प्राइवेट एंबुलेंस से सेटिंग

    सरकार ने मरीज को लाने-लेजाने के लिए 102 एंबुलेंस की व्यवस्था है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन की प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों से सेटिंग का खेल खूब हो रहा है। एक मरीज के तीन सौ रुपये से चार सौ रुपये तक लिए जा रहे हैं। इसलिए 102 एंबुलेंस से मरीज को नहीं भेजा जाता।

    पीड़ित रवि के अनुसार, प्राइवेट एंबुलेंस वाले ने पाकबड़ा तक जाने के एक हजार रुपये लिए हैं। उन्होंने बताया कि पहले प्राइवेट एंबुलेंस चालक ने 1500 रुपये बताए थे। सौदेबाजी के बाद एक हजार रुपये तय हुए। जबकि 600 रुपये में पाकबड़ा तक एंबुलेंस चली जाती है। सरकारी एंबुलेंस निश्शुल्क हैं।

    मोटी महिलाओं को गंभीर बताकर लेबर रूम से भगाता है स्टाफ

    शासन की मंशा को पलीता लगाने का काम महिला अस्पताल में हो रहा है। रात में लेबर रूम में मोटी महिलाओं को ब्लड प्रेशर, आक्सीजन कम होने का तक देकर प्राइवेट अस्पतालों में भिजवा दिया जाता है। इसमें लेबर रूम के बाहर खड़ा होने वाला स्टाफ मरीज के स्जवन को बताता है कि हालत गंभीर हो गई तो यहां डाक्टर नहीं मिलेंगे।

    इसलिए बाहर प्राइवेट अस्पताल ले जाओ। सलामती के लिए स्वजन मरीज को प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं। पिछले एक साल का आंकड़ा निकाल लिया जाए तो मनमानी की हकीकत सामने आ जाएगी। बता दें कि फर्जी आंकड़े बनाकर प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

     

    मेरे संज्ञान में यह प्रकरण नहीं है। कल महिला अस्पताल जाऊंगा। वहां की स्थिति को चेक किया जाएगा। किसी को भी रोकने का सरकारी आदेश नहीं है। महिला अस्पताल की सीएमएस अव्यवस्थाओं को लेकर बात करेंगे।

    - डा. कुलदीप सिंह, सीएमओ


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