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    मुरादाबाद के विनायक अपार्टमेंट घोटाले में फंसी शहर की हस्तियां, अब जेल जाने की बारी

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 06:24 PM (IST)

    मुरादाबाद के विनायक अपार्टमेंट घोटाले में शहर की कई बड़ी हस्तियां फंस गई हैं, जिससे उनके जेल जाने की संभावना बढ़ गई है। इस घटना ने शहर में सनसनी फैला दी ...और पढ़ें

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    व‍िनायक अपार्टमेंट

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। 20 साल। यानी एक पूरी पीढ़ी। इतने वक्त में बच्चे जवान हो गए, नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन माया नगर सहकारी आवास समिति लिमिटेड के 254 सदस्यों को आज भी वह छत नसीब नहीं हुई, जिसके सपने दिखाकर उन्हें सदस्यता दी गई थी। बुद्धि विहार में विनायक अपार्टमेंट के नाम से खड़े टावर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि घर बने जरूर, लेकिन जिनके लिए बने थे, वे आज भी दर-दर भटक रहे हैं। माया नगर सहकारी आवास समिति के तहत विनायक अपार्टमेंट में 254 सदस्यों ने फ्लैट बुक कराए थे।

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    नियम के मुताबिक हर सदस्य को एक फ्लैट मिलना था, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक महज 77 फ्लैट ही पूरे हो पाए हैं, इनमें से भी कुछ ऐसे लोगों के नाम दर्ज हो गए, जिनका समिति से कोई वास्ता तक नहीं रहा। बाकी सदस्य आज भी किराए के मकानों, रिश्तेदारों के यहां या अधूरे वादों के सहारे जीवन काट रहे हैं।

    रसूखदारों को बेचे गए फ्लैट

    जांच में सामने आया है कि सदस्यों के घर का सपना तोड़कर शहर की नामचीन हस्तियों, रसूखदारों, बिल्डरों और प्रापर्टी डीलरों को फ्लैट बेचे गए। कई ऐसे नाम भी जांच के दायरे में आए हैं, जिनकी न तो समिति की सदस्यता थी और न ही उनका कोई कानूनी हक फ्लैट लेने का था। बुद्धि विहार में युद्ध स्मारक के पास विनायक अपार्टमेंट में एक बहुमंजिला टावर खड़ा है, दूसरा उसके बगल में बन रहा है। एक टावर में फिनिशिंग और बिजली का काम चल रहा है।

    सवाल यह है कि जब 20 साल में काम पूरा नहीं हो सका तो आखिर पैसा गया कहां? जांच का जवाब चौंकाने वाला हैं कि कुछ फ्लैट 10-10 बार तक बेचे गए। माया नगर सहकारी आवास समिति का गठन का घोषित उद्देश्य था कि अपने सदस्यों के लिए भूमि उपलब्ध कराना, भवन निर्माण कराना और उन्हें आवासीय सुविधा देना, लेकिन यही समिति धीरे-धीरे लूट, जालसाजी और सत्ता-सांठगांठ का केंद्र बन गई।

    मंडलायुक्‍त के न‍िर्देश पर बनी थी समि‍त‍ि

    जांच में यह भी सामने आया कि समिति के अध्यक्ष फूलकुंवर लगभग 30 वर्षों तक अध्यक्ष बने रहे। पूर्व सचिव और सभापति अजय दुबे भी लंबे समय तक समिति के संचालन में प्रभावी भूमिका में रहे। इसी दौरान शाहपुर तिगरी और लकड़ी फाजलपुर जैसी योजनाओं में सैकड़ों सदस्य जोड़े गए, लेकिन जमीन और मकान कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रह गए।

    मंडलायुक्त के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच समिति, जिसमें अपर आयुक्त प्रथम मुरादाबाद मंडल अध्यक्ष थे। इस टीम ने जब अभिलेखों, खसरा-खतौनी, गाटा संख्या और चौहद्दी का मिलान किया, तो फर्जीवाड़े की पूरी पटकथा सामने आ गई। जांच में पाया गया कि पदाधिकारियों ने मिलकर मूल सदस्यों की जमीन गैर सदस्यों को दिलाने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार किए।

    फर्जी और अनरजिस्टर्ड वसीयतें दिखाई गईं। बयनामों में नाम, पिता का नाम और गाटा संख्या बदली गई। चौहद्दी बदलकर जमीन की पहचान ही बदली। करीब 15 भूखंड ऐसे पाए गए, जिनकी रजिस्ट्री मूल सदस्यों के नाम थी, लेकिन कब्जा रसूखदार, प्रापर्टी डीलरों और बाहरी लोगों को दिला दिया गया। यह सब कुछ आर्थिक लालच और साठगांठ के जरिए हुआ।

    जांच समिति पदाधिकारी व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 12 सितंबर और फिर 16 सितंबर 2025 को बुलाया, लेकिन वे न तो खुद आए और न ही कोई दस्तावेज पेश किया। यह रवैया खुद में बहुत कुछ कहता है। जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अभिलेखों में व्यापक हेराफेरी की गई और समिति के पदाधिकारियों ने पर्दे के पीछे रहकर गैर सदस्यों को कब्जा दिलाने में मदद की। इसलिए पदाधिकारियों को अरबों के घपले का दोषी माना गया है।

    माया नगर सहकारी आवास समिति का सफर

    माया नगर सहकारी आवास समिति लिमिटेड का गठन तीन जनवरी 1975 को किया गया था। समिति को उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद से निबंधन संख्या 3147 के तहत पंजीकृत किया गया। गठन के समय समिति का उद्देश्य स्पष्ट था कि अपने सदस्यों के लिए भूमि उपलब्ध कराना, भवन निर्माण कराना और उन्हें किफायती दरों पर आवास उपलब्ध कराना।

    समिति के उपविधियों के अनुसार, किसी भी सदस्य को एक से अधिक आवास या फ्लैट देने की अनुमति नहीं थी और सभी निर्माण व आवंटन केवल समिति के मूल सदस्यों के हित में किए जाने थे। समिति अपने मूल उद्देश्य से भटक गई। उपविधियों को दरकिनार कर गैर सदस्यों को भूखंड और फ्लैट दिए गए, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्रियां कराई गईं और मूल सदस्यों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया।

    प्रशासक से आते ही सत्यापन, फिर एफआइआर

    सोमवार को माया नगर सहकारी आवास समिति में प्रशासक के कार्यभार ग्रहण करने की संभावना है। नए सचिव की नियुक्ति भी की जानी है। इसके बाद सदस्यों और फ्लैट बुक कराने वालों का सत्यापन होगा। अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन के बाद अरबों रुपये के घोटाले का पूरा आंकड़ा सामने आ सकता है। इसके बाद दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी है। सबसे अहम सवाल यह है कि जिन नामचीन हस्तियों ने नियम तोड़कर फ्लैट लिए उनके खिलाफ कार्रवाई कब तक होगी?

     

    मायानगर सहकारी आवास समिति में नए सचिव की नियुक्ति करने के बाद सदस्यों के सत्यापन से लेकर जमीन की खरीद फरोख्त तक की जांच होगी। जिसने गलत कार्य किया है, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

    - विनय पांडेय, सिटी मजिस्ट्रेट एवं प्रशासक, माया नगर सहकारी आवास समिति, लिमिटेड, मुरादाबाद


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