कोहरे में रफ्तार पर लगाम, सुरक्षित रहेंगे नौनिहाल: परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों के लिए जारी किए निर्देश
कोहरे में धीमी गति और ओवरटेक न करें वाहन चालक- परिवहन विभाग और यातायात पुलिस ने वाहन चालकों को बताईं सावधानियां - हार्न का इस्तेमाल करें, जिससे दूसरे ...और पढ़ें

ड्राइवर को कोहरे से सुरक्षा के बारे में बताते परिवहन विभाग के अधिकारी
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। कोहरे से दृश्यता कम हो रही है। ऐसे में जरा सी लापरवाही हादसे का सबब बन सकती है। इसको लेकर अब शासन सख्त हो गया है। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस द्वारा शुक्रवार को स्कूली वाहनों का निरीक्षण किया गया। अभियान धुंध-कोहरे के मौसम में बच्चों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। न्यू डेल्स मोंटेसरी स्कूल नया मुरादाबाद, स्प्रिंगफील्ड स्कूल न्या मुरादाबाद, न्यू डेल्स स्कूल सिविल लाइन, पीएमएस स्कूल के स्कूली वाहनों की जांच की गई।
निरीक्षण में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी हरिओम, यातायात निरीक्षक मिथिलेश सिंह ने स्कूली वाहन चालक, अटेंडेंट तथा विद्यालय प्रशासन को धुंध व कोहरे में विशेष सतर्कता बरतने की नसीहत दी। बताया गया कि इस मौसम में दृश्यता कम होने की वजह से जरा सी लापरवाही भी गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकती है, इसलिए बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है। वाहनों को चलाने में जल्दबाजी न करें।
अधिकारियों ने बताया कि धुंध-कोहरे के समय हेडलाइट, फाग लाइट और पार्किंग लाइट अनिवार्य रूप से चालू रखें। वाहन की गति धीमी और नियंत्रित रखें, ओवरटेकिंग से बचें और गलत दिशा में वाहन न चलाएं। हॉर्न का सीमित और सावधानीपूर्वक प्रयोग करने, खासकर मोड़ों और चौराहों पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया।
इसके साथ ही यह भी निर्देश दिए गए कि वाहन के वाइपर, ब्रेक, स्टीयरिंग और सभी लाइट पूरी तरह दुरुस्त होने चाहिए। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक स्कूली वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस का बोर्ड, रिफ्लेक्टर या रिफ्लेक्टिव टेप स्पष्ट रूप से लगा होना चाहिए, ताकि कोहरे में भी वाहन की पहचान हो सके।
धुंध अधिक होने की स्थिति में हैज़र्ड लाइट का प्रयोग करने और केवल निर्धारित रूट से ही वाहन चलाने के निर्देश दिए गए। चालकों को वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग न करें। स्कूली वाहनों के अटेंडेंट के लिए भी निर्देश दिए। कहा कि बच्चों को सड़क की ओर से नहीं, बल्कि फुटपाथ या सुरक्षित दिशा से ही चढ़ाया और उतारा जाए।
वाहन का दरवाजा पूरी तरह बंद होने के बाद ही गाड़ी चलने दी जाए। सभी खिड़कियों और दरवाजों के शीशे सही हालत में हों, यदि कहीं शीशा टूटा हो तो तत्काल उसकी मरम्मत कराई जाए। बच्चों को सीट पर खड़े होकर यात्रा न करने देने, वाहन में फर्स्ट एड बाक्स और फायर उपकरण होने चाहिए।
विद्यालय प्रशासन वाहनों का फिटनेस प्रमाणपत्र, बीमा और परमिट वैध रखें। इसकी नियमित जांच करें। चालक और अटेंडेंट का मेडिकल परीक्षण और पुलिस सत्यापन अनिवार्य रूप से हो। जिन चालकों का कैरेक्टर वेरीफिकेशन नहीं हुआ है, उसे जल्द पूरा कराएं। इसके साथ ही समय-समय पर चालकों को सड़क सुरक्षा, आग लगने की स्थिति में कार्रवाई और फर्स्ट एड का प्रशिक्षण भी दिलाएं।
धुंध और कोहरे में जरा सी लापरवाही भी जानलेवा साबित हो सकती है। बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है, इसलिए यातायात नियमों का पूरी तरह पालन करते हुए सुरक्षात्मक तरीके से स्कूली वाहनों का संचालन किया जाए।
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