Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    वाह रे व्यवस्था! धान है, किसान है... पर तौलने के लिए न कांटा है, न भरने को बोरा

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 02:58 PM (IST)

    मुरादाबाद में धान खरीद व्यवस्था में गंभीर खामियां सामने आई हैं। बोरों और तौल कांटों की कमी के कारण किसान परेशान हैं और उन्हें बिना धान बेचे लौटना पड़ ...और पढ़ें

    Hero Image

    धान क्रय केंद्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। जिले में धान खरीद व्यवस्था एक बार फिर जमीनी हकीकत में अलग नजर आ रही है। खाद्य विभाग ने खरीद में तेजी दिखाने के लिए जहां दो कांटों की व्यवस्था खत्म कर एक कांटा कर दिया, वहीं बोरों का संकट अभी भी जस का तस बना हुआ है। नतीजा यह कि किसान केंद्रों पर पहुंच तो रहा है, लेकिन खरीद नहीं हो पा रही।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिला खाद्य विपणन अधिकारी विनीता मिश्रा ने जिम्मेदारों को किसी भी केंद्र पर बोरों की कमी न होने के निर्देश जारी कर दिए हैं, लेकिन पीसीएफ, पीसीयू और नेफेड के अधिकांश केंद्रों पर हालात इसके ठीक उलट हैं। कई जगहों पर किसान घंटों इंतजार के बाद खाली ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर लौटने को मजबूर हैं।

    यूपीएसएस (उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ) को लेकर खड़ा हो रहा है। खरीद लक्ष्य से अधिक हो जाने के बाद यूपीएसएस के कई केंद्रों पर अघोषित रूप से खरीद रुकवा दी गई। न तो लिखित आदेश, न सार्वजनिक सूचना सीधे किसानों को यह कहकर लौटा दिया गया कि आज बोरे नहीं हैं। हाल ही में शुरू किए गए नेफेड के पांच नए केंद्र शुरुआत से ही अव्यवस्था की मार झेल रहे हैं।

    इन केंद्रों पर खरीद तो शुरू करा दी गई, लेकिन बोरों की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई, जिससे पहले दिन से ही खरीद प्रभावित हो रही है। खाद्य विभाग के अनुसार, विपणन वर्ष 2025-26 में जनपद मुरादाबाद में 14,790 किसानों से 89,174.797 टन धान की खरीद हो चुकी है। जिले को धान खरीद का लक्ष्य एक लाख तीन हजार टन का मिला है।

    अब तक खरीदे गए धान का कुल भुगतान 2,13,03,45,714.04 दर्शाया गया है। सबसे अधिक खरीद खाद्य विभाग ने 28 केंद्रों पर 55,455.65 टन दिखाई है, जबकि पीसीएफ, यूपीएसएस की खरीद व्यवस्थागत अव्यवस्थाओं में उलझी रही। यूपीएसएस के अधिकारियों ने अपना लक्ष्य पूरा करा लिया। खरीद की धीमी रफ्तार पर उठे सवालों के बाद विभाग ने हर केंद्र पर एक-एक कांटा कर दिया।

    फोर्टिफाइड चावल बना अड़चन

    खरीद प्रक्रिया में सबसे बड़ी तकनीकी समस्या फोर्टिफाइड चावल को लेकर सामने आ रही है। नियम के तहत एक क्विंटल धान पर एक किलो फोर्टिफाइड चावल देना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश मिलर्स को इसकी आपूर्ति नहीं मिल रही है। इसके कारण एफसीआइ को चावल का उतार करना मुश्किल हो रहा है। राइस मिलों के मालिक स्वयं की फोर्टिफाइड राइस लेने के लिए संबंधित मिलों के चक्कर लगा रहे हैं।

     

    यह भी पढ़ें- फाइलों में दौड़ रहा धान, जमीन पर किसान परेशान: आखिर कहां गया 19 करोड़ का भुगतान?