पहले एक साथ जली छह चिताएं… फिर पहुंची दो और अर्थियां, नौ लोगों की मौत से सहमा पूरा गांव
मुरादाबाद के मुड़िया जैन गांव में नदी में बहे तीन लोगों के शव मिले हैं जिनमें दो भाई और एक महिला शामिल है। ये सभी देहरादून में मजदूरी करने गए थे और टोंस नदी में बादल फटने से आई बाढ़ में बह गए थे। इस घटना से गांव में मातम पसर गया है और कई परिवार बेसहारा हो गए हैं।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। नदी में बहे मुड़िया जैन के तीन लोगों के शव मिले। सकुशल लौटने की उम्मीद को उस समय झटका लगा जब कुछ ही घंटों में महिला समेत तीनों के शव मिल गए। इसमें दो भाई शामिल थे।
गुरुवार को दोपहर महिला का शव गांव लाया गया। दूसरे दिन एक और चिता गांव में चली तो चीत्कारों से कलेजा भी कांप उठा, जबकि होराम का शव देर रात गांव में पहुंचा। राजकुमार के शव के अंतिम संस्कार करने की स्वजन ने देहरादून में ही तैयारी कर ली। इस त्रासदी का हरचरन का पूरा परिवार उजड़ गया। उस परिवार के पांच लोगों की मृत्यु हो गई है।
यह है पूरा मामला
देहरादून त्रासदी में जान गंवाने वालों में हरचरन पुत्र फूल सिंह, उनकी पत्नी सोमवती, बेटे होराम की पत्नी रीना, मदन पुत्र भारत सिंह, किरन पत्नी अमरपाल और नरेश बाबू पुत्र कुंवरसेन शामिल हैं। इसमें हरचरन, इनकी पत्नी सोमवती और पुत्रवधू रीना शामिल है।
ये सभी लोग रक्षाबंधन के बाद देहरादून मजदूरी के लिए गए थे और मंगलवार को टोंस नदी से बजरपुट निकालने का काम कर रहे थे, तभी अचानक बादल फटने से नदी में बाढ़ आ गई और सभी लोग पानी के तेज बहाव में बह गए थे।
इस हादसे में नरेश बाबू का बेटा अमन और अमरपाल घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। वहीं होराम, उनके भाई राजकुमार और मदन की पत्नी सुंदरी अब लापता हो गए थे। सुंदरी का शव बुधवार की शाम मिल गया था।
वहीं, दोनों भाई होराम और राजकुमार के शव गुरुवार को मिले। सुंदरी के शव को गुरुवार दोपहर गांव में लाया गया तो एक बार फिर हर तरफ मातम पसर गया, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सभी रोते-बिलखते नजर आए।
देर रात पहुंचा होराम का शव
शव को एक साथ देखकर हर किसी की आंखें भर आईं। अंतिम संस्कार की तैयारियां पहले से ही कर रखी थी। जिस गांव में बुधवार को एक साथ छह चिता जली थी। उसी गांव में गुरुवार को दोपहर एक और चिता जली, जबकि गुरुवार की देर रात होराम का शव भी गांव में पहुंच गया।
इस त्रासदी से गांव में शोक की लहर है, हर घर गम में डूबा है। ये हादसा सिर्फ एक परिवार या गांव का नहीं, बल्कि इंसानियत को झकझोर देने वाला है। जो लोग दो वक्त की रोटी कमाने घर से निकले थे, वे अब कभी वापस नहीं लौटे। इस दर्दनाक त्रासदी ने गांव की खुशियां छीन लीं और कई परिवारों को हमेशा के लिए बेसहारा कर दिया।
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