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    Kamal Chauhan Murder: सियासत की छाया में पनपती रही नशे की मंडी, गैंगवार की खून से लिखी कहानी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 02:40 PM (IST)

    मुरादाबाद में नशे का धंधा जानलेवा गैंगवार का कारण बन गया है। हिस्ट्रीशीटर कमल चौहान की हत्या ने इस काली हकीकत को उजागर किया है। शहर में नशे का जाल फैला है और युवाओं को बर्बाद कर रहा है। पुलिस के अनुसार कमल चौहान को अपराध की दुनिया में लाने वाला उसका गुरु था। नशे की मंडी पर कब्जे की लड़ाई में कमल चौहान की हत्या हो गई।

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    घटनास्‍थल पर पुलिस बल के साथ पहुंचे एसपी सिटी कुमार रणविजय सिंह, सीओ कटघर आशीष प्रताप सिंह सहित अन्य।- जागरण

    संवाददाता, मुरादाबाद। शहर की गलियों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला नशे का धंधा अब सिर्फ कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं रहा, बल्कि जानलेवा गैंगवार का कारण बन चुका है। हिस्ट्रीशीटर कमल चौहान की हत्या ने उस काली हकीकत को उजागर कर दिया है, जो लंबे समय से सियासत की छाया में पलती रही।

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    शहर के जयंतीपुर से गांवों तक फैली नशे की मंडी का जाल अब शहर की पहचान बन गया है। गांजा, चरस, इंजेक्शन और नशे की गोलियों की सप्लाई इतनी संगठित है कि स्थानीय लोग शिकायत करने से भी कतराने लगे हैं। छापेमारी के बावजूद असली सौदागर अब तक कानून की पकड़ से बाहर हैं। करीब एक दशक पहले तक इस धंधे पर एक चर्चित महिला का दबदबा था। उसके जेल जाने के बाद कारोबार की कमान दो हिस्ट्रीशीटरों कमल चौहान और सनी दिवाकर के हाथों में आ गई। दोनों ने अलग-अलग गुट बनाकर जयंतीपुर, भदौड़ा और करूला को नशे की मंडी बना दिया और अपने नेटवर्क को शहर से गांवों तक फैला दिया।

    सनी दिवाकर जब ढाई साल तक जेल में रहा तो कमल चौहान ने पूरे धंधे पर कब्जा जमा लिया। सनी की रिहाई के बाद खूनी टकराव शुरू हो गया। पुलिस रिकार्ड बताता है कि दोनों के बीच पिछले आठ साल से गैंगवार चल रही थी। कई बार गोलीबारी हुई, लेकिन नेटवर्क पर कोई फर्क नहीं पड़ा। कमल चौहान के गुर्गे भदौड़ा, करुला और गागन तिराहे तक सप्लाई करने लगे। नशे का यह कारोबार युवाओं को बर्बादी की ओर धकेल रहा था।

    ग्रामीणों का कहना है कि विरोध करने पर गुर्गे धमकाने पहुंच जाते, इसलिए ज्यादातर लोग खामोश रहते। नशे से कमाए गए पैसों का इस्तेमाल सट्टे के धंधे में हुआ। डबल फाटक और आसपास के क्षेत्रों में सट्टा बाजार पर भी दोनों गुटों का कब्जा रहा। नेताओं का संरक्षण और पुलिस की चुप्पी ने इस कारोबार को और मजबूत किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्दीवालों ने सबकुछ जानकर भी आंखें मूंद रखीं। छोटे-मोटे तस्कर पकड़े जाते रहे, लेकिन बड़े सौदागर और उनके नेटवर्क तक पुलिस कभी नहीं पहुंच सकी। यही वजह है कि मंडी पर लगातार गैंगवार छिड़ी रही और कारोबार फलता-फूलता गया।

    कमल चौहान के गुरु की तलाश

    पुलिस के मुताबिक नशे के इस अंधेरे खेल में कमल चौहान अकेला नहीं था। उसकी राह दिखाने वाला गुरु ही था, जिसने उसे अपराध की दुनिया से जोड़ दिया। पुलिस रिकार्ड और स्थानीय लोगों के अनुसार, कमल के शुरुआती दिन गुमनाम थे, लेकिन उसके गुरु ने उसे नशे के कारोबार से परिचित कराया और धीरे-धीरे उसे अपनी छत्रछाया में बड़ा खिलाड़ी बना दिया। यही हाल सनी दिवाकर का रहा।

    गुरु के संरक्षण में दोनों ने पहले छोटे स्तर पर नशे की सप्लाई शुरू की और बाद में पूरे जयंतीपुर इलाके को अपना गढ़ बना लिया। बताया जाता है कि गुरु का राजनीतिक रसूख असली ताकत बन गई। यही वजह रही कि तमाम मामलों में उसका नाम आने के बावजूद कार्रवाई तो हुई लेकिन, पैसे के दम पर छूटते रहे। गैंगवार की कहानी बताती है कि मुरादाबाद में नशे का साम्राज्य केवल पैसों से नहीं, बल्कि पुरानी परंपराओं और आपराधिक विरासत से भी पनपता रहा है।

    खूनी अंजाम

    नशे की मंडी पर कब्जे की इस लड़ाई का अंजाम कमल चौहान की हत्या के रूप में सामने आया। आरोप है कि सनी दिवाकर ने अपने खोए साम्राज्य को वापस पाने के लिए यह कदम उठाया। अब पुलिस इस हत्याकांड को गैंगवार मानकर जांच कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई नेटवर्क को तोड़ पाएगी?

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