6 सिम और 989 करोड़ का 'गेम': जीएसटी घोटाले में अब फंसेंगे 'बड़े नाम', 5वें आरोपी की तलाश तेज
मुरादाबाद में अब तक के सबसे बड़े जीएसटी चोरी के मामले में 535 फर्जी फर्मों के माध्यम से 989.13 करोड़ रुपये की चोरी का खुलासा हुआ है। छह सिम कार्ड का उ ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। अब तक के सबसे बड़े जीएसटी चोरी प्रकरण में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जांच में पता चला है कि छह मोबाइल सिम कार्ड का इस्तेमाल कर जीएसटी पोर्टल पर कुल 535 फर्जी फर्मों का पंजीयन कराया गया। इन फर्मों के माध्यम से 5478.35 करोड़ रुपये का फर्जी टर्नओवर दिखाकर करीब 989.13 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की गई।
मामले में अब तक चार आरोपित गिरफ्तार हो चुके, जबकि सिंडिकेट के पांचवें सदस्य की तलाश में एसआइटी दबिश दे रही हैं। 535 फर्म में 335 की का टर्नओवर सामने आ चुका है। जबकि अभी 200 फर्म का टर्नओवर और कितनी टैक्स चोरी हुई है। इसका रिकार्ड नहीं मिल सका है। वहीं स्क्रैप फर्मों की भी तलाश की जा रही है।
यह पूरा नेटवर्क सुनियोजित तरीके से संचालित किया जा रहा था। फर्जी फर्मों के नाम पर बिना किसी वास्तविक व्यापार के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लिया गया और उसे आगे ट्रांसफर कर सरकार को नुकसान पहुंचाया। गिरफ्तार किए गए आरोपितों से पूछताछ में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, लेकिन जांच अधिकारी मानते हैं कि इस पूरे खेल का असली मास्टरमाइंड अभी पर्दे के पीछे है।
एसआइटी द्वारा चार आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के बाद से मुजफ्फरपुर और मुजफ्फरनगर के सफेदपोश व्यापारिक और कारोबारी हलकों में हलचल मची है। हर कोई यह जानने को उत्सुक है कि आखिर इतने बड़े स्तर पर फर्जी फर्मों के जरिये आईटीसी चोरी का फायदा किन लोगों ने उठाया।
जांच में सामने आया है कि दानिश कबाड़ी और परमिंदर जैसे नाम इस नेटवर्क में अहम भूमिका निभा रहे थे, लेकिन यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है कि वे यह पूरा खेल किसके इशारे पर चला रहे थे। जांच अधिकारियों के अनुसार, पांचवें आरोपित की भूमिका इस पूरे सिंडिकेट में बेहद अहम मानी जा रही है।
माना जा रहा है कि वही व्यक्ति पूरे नेटवर्क को जोड़ने वाली कड़ी है और उसी के जरिए बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा संचालित किया गया। जांच एजेंसी के अनुसार, जैसे ही पांचवां आरोपित गिरफ्त में आएगा, सभी आरोपितों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ कराएंगे। इससे फर्जी फर्मों की पूरी चेन, लाभार्थियों और असली खिलाड़ियों तक पहुंचना आसान होगा।
राज्य कर विभाग भी इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रहा है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के संगठित जीएसटी चोरी के मामलों में केवल छोटे मोहरे ही नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे बैठे बड़े चेहरों को भी बेनकाब करना जरूरी है।
मामले की गहन जांच की जा रही है। सिंडिकेट के सभी सदस्यों तक पहुंचने के लिए हर पहलू पर काम हो रहा है। पांचवें आरोपित की गिरफ्तारी के बाद कई अहम तथ्य सामने आने की उम्मीद है।
- अशोक कुमार सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड वन, राज्य कर विभाग
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