प्रधान-सचिव की जुगलबंदी ने फंसाया पेंच; ऑडिट में खुली पोल, अब पाई-पाई का देना होगा हिसाब
यूपी के मुरादाबाद में प्रधान-सचिव की जुगलबंदी ने एक पेचीदा मामला फंसा दिया है। ऑडिट में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है, जिससे पोल खुल गई है। अब ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। 15वें वित्त आयोग से मुरादाबाद मंडल के पांच जिलों को जारी 1215 करोड़ रुपये की टाइड ग्रांट को खर्च किए जाने में गड़बड़ी गई है। इतनी बड़ी धनराशि शासन से मिलने के बावजूद, ग्राम स्तर पर सैनीटाइजेशन और स्वच्छता जैसे मूल कार्य अधूरे हैं, जबकि टाइड ग्रांट से मनमाने ढंग से अन्य निर्माण कार्य कराए जाने की शिकायतें सामने आ रही हैं।
आडिट और प्रशासनिक समीक्षा में यह घपला पकड़ में आने पर शासन ने माना है कि टाइड ग्रांट को खर्च करने के निर्देशों को दरकिनार कर ग्राम पंचायतों ने धनराशि का नियम विरुद्ध उपयोग किया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने नियम विरुद्ध धनराशि खर्च करने के दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और संबंधित पंचायत पदाधिकारियों से वसूली और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।
शासन ने 24 जुलाई 2020 को जारी आदेश में साफ तौर पर कहा गया था कि टाइड ग्रांट का उपयोग केवल पेयजल, स्वच्छता, ग्रे-वाटर मैनेजमेंट, वर्षा जल संचयन और वेस्ट मैनेजमेंट जैसे कार्यों में ही किया जाएगा। इसके बावजूद मंडल के विभिन्न जिलों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि ग्राम प्रधानों और सचिवों ने इस धनराशि से सीसी रोड, इंटरलाकिंग, सामान्य नालियां, बाउंड्री वाल और सड़क निर्माण जैसे कार्य करा दिए, जो स्पष्ट रूप से अनटाइड (बेसिक) ग्रांट की श्रेणी में आते हैं।
मंडलायुक्त की समीक्षा में सामने आया कि कई मामलों में तकनीकी स्वीकृति भी नियमों के विपरीत दी गई। यानी गड़बड़ी केवल ग्राम स्तर तक सीमित नहीं रही, बल्कि विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि टाइड ग्रांट से स्टार्म वाटर ड्रेनेज या सड़क निर्माण गंभीर वित्तीय अनियमितता है और इसे शासकीय धन का दुरुपयोग माना जाएगा।
मंडलायुक्त ने पांचों जिलों के मुख्य विकास अधिकारियों (सीडीओ), अपर मुख्य अधिकारियों, जिला पंचायत राज अधिकारियों (डीपीआरओ) और खंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में टाइड फंड से कराए गए कार्यों की पत्रावलियों का दोबारा परीक्षण करें, जहां भी गैर-अनुमन्य कार्य मिले, वहां भुगतान तत्काल रोकने के आदेश दिए गए हैं।
जिन मामलों में धनराशि पहले ही खर्च हो चुकी है, वहां दोषियों से वसूली कर रकम दोबारा टाइड खाते में जमा कराई जाए। मंडल में 3692 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से डेढ़ हजार से अधिक ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें पिछले पांच साल में नियम के विरुद्ध धनराशि को खर्च किया गया है। ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर अनटाइड ग्रांट से होने वाले कार्यों को टाइड ग्रांट से दिखा रहे थे।
इससे न केवल नियमों की अनदेखी हुई, बल्कि भविष्य के स्वच्छता और जल संरक्षण कार्यों का बजट भी प्रभावित हुआ। अब जांच के बाद यह तय माना जा रहा है कि कई पंचायतें सीधे तौर पर कार्रवाई के दायरे में आएंगी। मंडलायुक्त की सख्ती से मंडल के पंचायत और विकास विभाग में खलबली मची हुई है। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि जांच और वसूली की कार्रवाई कागजों तक सीमित रहती है या जमीन पर भी दिखती है और किन-किन जिम्मेदारों पर गाज गिरती है।
टाइड ग्रांट के नियम विरुद्ध खर्च की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। आडिट में इसे लेकर आपत्तियां आ रही हैं। मंडलायुक्त का आदेश प्राप्त हुआ है। सभी जिलों में टाइड फंड से कराए गए कार्यों की गहन जांच कराई जा रही है, जहां भी अनियमितता पाई जाएगी, वहां नियमानुसार वसूली और विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
- अभय कुमार यादव, उप निदेशक, पंचायती राज विभाग, मुरादाबाद मंडल
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