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    21 साल बाद मिला इंसाफ: दानिश को उम्रकैद, 2500 रुपये के लेन-देन की रंजिश में हुई थी अनवर की हत्या

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 10:16 AM (IST)

    मुरादाबाद में 2004 में हुए अनवर हत्याकांड में अदालत ने दानिश को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि शानू को बरी कर दिया गया। यह मामला 2500 रुपये के लेन-देन से जुड़ा था। अनवर की हत्या के बाद से ही परिवार न्याय की आस लगाए बैठा था। 21 साल बाद आए इस फैसले से परिवार को राहत मिली है लेकिन मुख्य आरोपी वसीम पर मुकदमा अभी भी विचाराधीन है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मुगलपुरा के गुइयां बाग में 21 साल पुराने चर्चित अनवर हत्याकांड में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश-दो कृष्ण कुमार की अदालत ने प्रिंस रोड निवासी दानिश को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

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    वहीं, सह-आरोपित शानू को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है जबकि मुख्य आरोपित वसीम की फाइल अभी दूसरी अदालत में विचाराधीन है।

    2500 रुपये के लेन-देन की रंजिश में हुई थी अनवर की हत्या

    यह मामला 19 अक्टूबर 2004 की रात का है। गुइयां बाग निवासी मुहम्मद आजम ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके भाई मुहम्मद अनवर ने वसीम से 2500 रुपये उधार दिए थे। जब अनवर ने अपने रुपये वापस मांगे तो वसीम ने रंजिश पाल ली। उसी दिन देर रात मुहल्ले में खड़े अनवर पर वसीम, दानिश और शानू ने हमला किया और गोली मार दी। स्वजन घायल अनवर को अस्पताल ले जा रहे थे कि रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।

    अदालत ने दोषी पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया, शानू बरी

    पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। यह मामला लंबे समय तक कोर्ट में विचाराधीन रहा। गवाहों के बयान, पुलिस की विवेचना और चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने दानिश को दोषी पाया। मामले की सुनवाई के दौरान कई बार गवाह पलटे, लेकिन मृतक परिवार ने हार नहीं मानी।

    वादी पक्ष की ओर से एडीजीसी ब्रजराज सिंह ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि अदालत ने पर्याप्त साक्ष्यों और चश्मदीदों के बयानों के आधार पर दानिश को दोषी करार दिया है।

    गौरतलब है कि वर्ष 2004 से 2006 तक यह मामला मुरादाबाद शहर में चर्चा का विषय बना रहा था। मुहल्ले में खौफ का माहौल था और गुइयां बाग के लोग लंबे समय तक इस मामले में इंसाफ की आस लगाए बैठे थे। अब 21 साल बाद आए इस फैसले से मृतक परिवार की न्याय की उम्मीद पूरी हुई है। अनवर के स्वजन का कहना है कि एक आरोपित को सजा मिलने से राहत मिली है। अन्य के खिलाफ भी हमारी कानूनी जंग जारी रहेगी।