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    घोषणाओं के जाल में फंसी 96 ग्राम पंचायतें, 'आदर्श' बनने का सपना अभी कोसों दूर

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 12:28 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 96 ग्राम पंचायतें घोषणाओं के जाल में फंसी हुई हैं, जिससे उनका 'आदर्श' बनने का सपना अभी भी दूर है। इन पंचायतों में विकास ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत जिले की 96 ग्राम पंचायतों को आदर्श गांव बनाने की तैयारी तो वर्षों से चल रही है, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश पंचायतों में विकास केवल कागजों तक सीमित है। योजना का मुख्य उद्देश्य दलित बहुल गांवों में बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ कर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।

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    मगर बजट न मिलने के कारण यह महत्वाकांक्षी योजना जमीन पर उतर ही नहीं पा रही है। जब तक बजट जारी नहीं होता, तब तक ‘प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना’ जिले में एक और अधूरी सरकारी घोषणा बनी हुई है। समाज कल्याण विभाग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020 से 2022 के बीच जिले की 44 ग्राम पंचायतों का चयन ‘प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना’ किया गया था।

    इसके बाद 2022-23 में 35 और पंचायतों को योजना में शामिल किया गया, लेकिन धनराशि जारी न होने के कारण इन गांवों में आज तक कोई ठोस विकास कार्य शुरू नहीं हो सका। चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में 17 नई ग्राम पंचायतों का चयन कर लिया गया। इस तरह कुल 96 पंचायतें आदर्श गांव की सूची में शामिल हो चुकी हैं, लेकिन किसी भी स्तर पर यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें बजट कब मिलेगा।

    योजना के तहत प्रत्येक चयनित ग्राम पंचायत को 20-20 लाख रुपये दिए जाने का प्रावधान है। इस धनराशि से गांवों में सड़क निर्माण, नाली व्यवस्था, पेयजल आपूर्ति, सामुदायिक भवन, शौचालय, स्ट्रीट लाइट और साफ-सफाई जैसे बुनियादी कार्य होने हैं। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि इन कार्यों से दलित बहुल गांवों के जीवन स्तर में सुधार आएगा, लेकिन बजट के अभाव में ये सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं।

    ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों पहले उनके गांव को आदर्श गांव घोषित किया गया था, लेकिन आज भी कच्ची सड़कें, जलभराव, गंदगी और पीने के पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि चयन के बाद न तो कोई समीक्षा होती है और न ही विभागीय स्तर पर कोई समयसीमा तय की जाती है। अधिकारी भी बजट का हवाला देकर जिम्मेदारी से बचते नजर आते हैं।

    दिलचस्प बात यह है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी 17 नए गांवों का चयन कर लिया गया, जबकि पुराने चयनित गांव आज तक एक भी किश्त का इंतजार कर रहे हैं। इससे योजना की गंभीरता और क्रियान्वयन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी पंखुड़ी जैन ने बताया कि कि चयनित ग्राम पंचायतों के लिए बजट आवंटन को लेकर शासन स्तर पर लगातार पत्राचार किया जा रहा है। बजट मिलते ही विकास कार्य शुरू कराए जाएंगे और गांवों को आदर्श बनाया जाएगा।

     

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