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    सरकारी फाइलों की 'समाधि' में दबी मायानगर आवास की जांच, फर्जीवाड़े से बने फ्लैट्स की खरीद-बिक्री जारी!

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 04:30 PM (IST)

    मायानगर आवास में फर्जीवाड़े की जांच सरकारी फाइलों में दबी है, जिससे अवैध फ्लैटों की खरीद-बिक्री जारी है। जांच की धीमी गति के कारण दोषियों पर कोई कार्र ...और पढ़ें

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    मायानगर सहकारी आवास समि‍त‍ि

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। फर्जीवाड़ा कर मायानगर सहकारी आवास समिति की एक अरब की बेशकीमती बेचने की जांच फिलहाल फाइलों में दब गई है। जांच रिपोर्ट के बाद शासन को भेजे गए पत्र के बाद अपर आवास आयुक्त के पत्र पर डीएम ने एडीएम प्रशासन, एसडीएम सदर व सहकारी अधिकारी आवास की तीन सदस्यीय एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) गठित की थी। इससे समिति के पदाधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में बैठक कर सर्वसम्मति से अध्यक्ष को हटाने का फैसला हो गया।

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    मगर, जांच ठप पड़ गई। नतीजा यह हुआ कि फ्लैटों की खरीद-ब्रिकी जारी है। जांच के चलते जिस प्राइवेट बिल्डर ने प्रोजेक्ट से किनारा किया था, चर्चा है कि उसने भी फिर से काम शुरू कर दिया है। दरअसल, कमिश्नर के यहां शीशपाल एवं अन्य ने तीन जनवरी 1975 को गठित मायानगर सहकारी आवास समिति लि. मुरादाबाद के सचिव एवं अध्यक्ष की शिकायत की थी। आरोप था कि दोनों ने मिलकर समिति के मूल सदस्यों के स्थान पर गैर सदस्यों को कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों की जमीन बेच दी।

    कमिश्नर ने अपर आयुक्त प्रथम के नेतृत्व में सहकारी अधिकारी आवास व जिला लेखा परीक्षक सहकारी समितियों एवं पंचायतें की तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की। तब पूरा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। पता चला कि समिति के अध्यक्ष, सभापति, सचिव आदि ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वारिस व वसीयतें बनाई। मूल सदस्यों की भूमि को गैर सदस्यों को बेचा। अधिकतम भूखंडों पर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां संचालित करवाई। बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के आवासीय भूखंडों की प्रकृति बदल दी।

    मूल अभिलेख एवं ले-आउट तक गायब कर दिये। समिति के सदस्यों की बहुमूल्य जमीनों को नियम विरुद्ध तरीके से बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति से व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से मिलीभगत कर बदल दी और गांगन नदी के किनारे स्थित अनुपयोगी 60 बीघा भूमि समिति के पक्ष में ले ली। कमेटी ने सचिव व अध्यक्ष को दोषी पाते हुए कमिश्नर को रिपोर्ट सौंप दी। कमिश्नर को सौंपी रिपोर्ट में जांच कमेटी ने बाकायदा उल्लेख किया कि प्रकरण गंभीर प्रकृति का है।

    समिति के पदाधिकारियों ने मूल सदस्यों की भूमि को फर्जी दस्तावेज के आधार पर गैर सदस्यों को बेचा। जिससे मूल सदस्य जमीन से वंचित हैं और नियम-विरूद्ध तरह से भूमि का विनिमय किया गया। कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट के बाद अपर आवास आयुक्त विनय कुमार मिश्रा ने डीएम अनुज सिंह को पत्र भेज वृहद जांच के लिए टीम गठित करने व लैंड आडिट कराए जाने की बात कही।

    इसके बाद डीएम ने एडीएम प्रशासन, एसडीएम सदर व सहकारी अधिकारी आवास की तीन सदस्यीय एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) गठित की थी। टीम को एसआइटी लाकड़ी फाजलपुर एवं इससे जुड़े अन्य स्थानों के लैंड आडिट के साथ हुए फर्जीवाड़े की सिलसिलेवार जांच करनी है। तीसरा माह शुरू हो गया मगर, जांच पूरी नहीं हो पाई। जांच कमेटी के अफसर एसआइआर काम में लगे होने के चलते अब तक जांच पूरी नहीं होने का हवाला दे रहे हैं।

    शासन को भेजी रिपोर्ट में कमिश्नर ने यह की थी सिफारिश

    • वर्तमान प्रबंध कमेटी को तत्काल प्रभाव से भंग कर समिति एवं सदस्यों के हित में प्रशासनिक कमेटी के गठन की सिफारिश।
    • समिति की लाकड़ी फाजलपुर, शाहपुर तिगरी स्थिति समस्त संपत्तियों का लैंड आडिट कराने।
    • समिति के लेखा-बहियों का बीते 40 वर्षों का स्पेशल आडिट कराए जाने।
    • समिति की संपत्तियों के क्रय-विक्रय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने।
    • गहनता से जांच के लिए विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम गठित किये जाने की सिफारिश भी की थी।

     

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