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    हाईवे पर 'ऑटोबॉम्ब': ई-रिक्शा की बेलगाम एंट्री, दुर्घटनाओं का तांडव जारी

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 06:47 PM (IST)

    मंडलायुक्त के आदेशों को दरकिनार कर मुरादाबाद हाईवे पर ऑटो-ई-रिक्शा की बेलगाम दौड़ जारी है। यातायात पुलिस की घोर लापरवाही से हाईवे मौत का गलियारा बन गया है, जहाँ हर हफ्ते हादसे हो रहे हैं। 20 हज़ार में 5000 अवैध ई-रिक्शा दौड़ रहे, पर सड़क सुरक्षा माह सिर्फ़ खानापूर्ति बनकर रह गया। जानें क्यों कागज़ों तक सिमटा प्रतिबंध।

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    हाइवे पर दौड़ते आटो और ई-र‍िक्‍शा

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मंडलायुक्त आंजनेय सिंह सड़क सुरक्षा समिति के हर बैठक में अफसरों को निर्देश जारी करते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोई आटो और ई-रिक्शा संचालित नहीं होना चाहिए। संभागीय परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को उन्होंने कई बार आटो व ई-रिक्शा पर रोक लगाने के आदेश दिए।

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    इसके बाद भी हाईवे पर आटो व ई-रिक्शा नियमों की धज्जियां उड़ाकर फर्राटा भर रहे हैं।हकीकत यह है कि यातायात विभाग की लापरवाही ने इस आदेश को सिर्फ कागजों तक सीमित कर दिया है। नतीजा हाईवे पर ई-रिक्शा और आटो की रफ्तार मौत बनकर दौड़ रही है। नतीजा यह है कि आए दिन दिन हाईवे पर लोगों की मौत हो रही है।

    मुरादाबाद-अलीगढ़ हाईवे पर कुंदरकी के आसपास कई हादसे हो चुके हैं। सड़क के किनारे खड़े ग्रामीण बताते हैं कि हर हफ्ते कोई न कोई दुर्घटना होती है। सिर्फ इस सप्ताह ही ई-रिक्शा चालक और महिला सहित तीन लोग हाईवे पर कुचलकर दम तोड़ चुके हैं। सबसे भयावह स्थिति यह है कि ई-रिक्शा चालक लंबी दूरी की सवारी लेकर हाईवे पर बेझिझक फर्राटा भरते दिखते हैं।

    मुरादाबाद से संभल, जोया, चंदौसी तक रात में ही चल देते हैं। स्थानीय दुकानदार इकराम बताते हैं कि रात को तो ये ई-रिक्शा ट्रक-बस के बीच ऐसे दौड़ते हैं कि खुद भी मरेंगे और दूसरों की जान भी खतरें में डालते हैं। कोई चेकिंग नहीं, कोई रोकने वाला नहीं। 16 नवंबर को अधिवक्ता के बहनोई आटो चालक विपिन भटनागर की कांठ रोड पर रोडवेज बस से रौंद दिया।

    इस दर्दनाक मौत ने सवाल खड़े किए थे, लेकिन उस हादसे के बाद न तो चेकिंग बढ़ी, न ही अवैध आटो-ई-रिक्शा पर कार्रवाई। रविवार को रामपुर रोड पर रफातपुर अंडरपास के पास एक और दिल दहला देने वाली दुर्घटना में छह लोगों की जान चली गई। यहां रोडवेज बस ने आटो सवार छह लोगों को कुचल दिया। घटना स्थल पर फैले खून के धब्बे अब भी सवाल कर रहे हैं, आखिर यातायात विभाग कब जागेगा।

    सड़क सुरक्षा माह… सिर्फ पोस्टर और औपचारिकताएं

    सरकार ने सड़क सुरक्षा माह चलाया। लेकिन, शहर में सड़क नियमों की धज्जियां उड़ती दिखती हैं। जागरण टीम ने शहर से हाईवे तक निरीक्षण किया। बिना हेलमेट, ट्रिपल सवारी, सीट बेल्ट गायब, मोबाइल पर बात करते कार चालक, तेज रफ्तार में भागते ई-रिक्शा और आटो ही नजर आए। पीलीकोठी चौराहे, दिल्ली रोड और संभल रोड पर तो हालत यह रही कि चौराहे के ठीक पास ट्रिपल सवारी करते बाइक चालक पुलिस की गाड़ी के सामने से निकलते रहे।

    ट्रैफिक पुलिस देखकर भी अनदेखा करती रही। यातायात माह के नाम पर खानापूर्ति ही पूरे महीने होती रही। संभागीय परिवहन विभाग और यातायात विभाग के अधिकारियों ने भी कोई ठीक से काम नहीं किया। चालान बहुत हुए लेकिन, जागरुकता के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

    20 हजार में दौड़ रहे, पांच हजार अवैध ई-रिक्शा

    शहर में करीब 16 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं, लेकिन सड़कों पर लगभग 20 हजार दौड़ रहे हैं। यानी 4-5 हजार अवैध। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले अनियमित ई-रिक्शा भी शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। जोनवार प्रणाली लागू हुई थी, लेकिन सब कागजों तक सीमित रहा। ई-रिक्शा चालक रामचरन, आमिर, हबीब और सूरज ने साफ कहा कि हमको तो कभी बताया ही नहीं कि कौन-सा जोन हमारा है। जहां सवारी मिली, वहीं रुक जाते हैं।

    हाईवे पर आटो-रिक्शा संचालन सबसे खतरनाक इसलिए है क्योंकि इन वाहनों का संतुलन हाईवे की गति के लायक नहीं है। प्राइवेट बस ओनर्स एसोसिएशन सहित कई सामाजिक संगठनों ने हाईवे पर ई-रिक्शा संचालन पर रोक लगाने की मांग कई बार की है, लेकिन फाइलें विभाग के कमरों में धूल खा रही हैं। चेकिंग सिर्फ दिखावा, कार्रवाई सिर्फ कागज पर इसी लचर व्यवस्था का नतीजा है कि मौतें रोज बढ़ रही हैं।

     

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