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    मुरादाबाद में दहेज के ल‍िए गर्भवती की जान लेने वाले पत‍ि, ससुर और सास को आजीवन कारावास, सजा सुन फूट-फूटकर रोए हत्‍यारे

    By Narendra KumarEdited By:
    Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:28 AM (IST)

    Pregnant women kill for dowry दहेज के ल‍िए ससुराल‍ियों ने सारी हदें पार कर दीं। गर्भवती के पेट पर इस तरह लात मारी क‍ि मह‍िला और गर्भ में पल रहे बच्‍चे की जान चली गई। दोषी पति ससुर और सास को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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    गवाहों के पक्षद्रोह बाद भी कातिलों पर भारी पड़ा अकाट्य वैज्ञानिक साक्ष्य।

    मुरादाबाद, जेएनएन। गर्भवती महिला को मौत के घाट उतारने के दोषी पति, ससुर और सास को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने माना कि तीनों कातिलों ने न सिर्फ महिला की हत्या की, बल्कि उसके पेट में पल रहे भ्रूण तक का कत्ल कर दिया। अर्थदंड के रूप में तीनों कातिलों ने 50-50 हजार रुपये जमा कराना होगा। अर्थदंड जमा न करने पर तीनों कातिलों को आठ माह अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी होगी। कत्ल के मामले में कोर्ट के सख्त रुख से तीनों कातिल फूट- फूट कर रोने लगे। तीनों को जेल भेज दिया गया।

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    सम्भल के असमोली थाना क्षेत्र में खानपुरबंद गांव के रहने वाले इब्राहिम ने 20 अप्रैल 2017 को पाकबड़ा थाने में तहरीर दी। बताया कि उसने अपनी पुत्री निशांत उर्फ भूरी की शादी पाकबड़ा थाना क्षेत्र में नंगला वनवीर गांव के रहने वाले अकरम के साथ सात माह पहले की। 18 अप्रैल 2017 की शाम करीब छह बजे अकरम व उसके पिता शौकत व मां जासमीन ने निशांत को बेरहमी से पीटा। तीन माह की गर्भवती महिला के पेट पर लात से हमला हुआ। इससे निशांत की मौत हो गई। इब्राहिम के मुताबिक दहेज लोभी ससुराली बुलेट मोटर साइकिल मांग रहे थे। असमर्थता जताने पर उन्होंने अपनी ही बहू व पत्नी को मार डाला। आरोपितों के खिलाफ पाकबड़ा पुलिस ने दहेज अधिनियम के तहत गैर इरादतन हत्या का अभियोग पंजीकृत किया। पंचायतनामा व पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ ही अकरम व उसके मां-बाप को कातिल मानते हुए पुलिस ने कोर्ट में तीनों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। चार साल तक चले मुकदमे के दौरान 11 लोगों की गवाही हुई। इनमें से कुछ गवाह ऐसे भी रहे, जो दहेज हत्या के अपने पूर्व के दावे से मुकर गए। कोर्ट नंबर 14 एडीजे अविनाश कुमार सिंह की अदालत में एडीजीसी समर्थ शुक्ल व मधुरानी चौहान ने ठोस वैज्ञानिक साक्ष्य व पुलिस की मजबूत विवेचना व गवाही को आधार बनाकर आरोपितों को सजा सुनाने की मांग की। अभियोजन की दलीलों को स्वीकारते हुए कोर्ट ने माना कि निशांत उर्फ भूरी की हत्या की गई है। कातिलों ने बेरहमी की पराकाष्ठा पार की। ऐसे में पुत्र, पिता व मां को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा जुर्माने के रूप में तीनों से 50-50 रुपये वसूलने का आदेश दिया। अर्थदंड जमा न करने की स्थिति में तीनों को आठ माह अतिरिक्त कैद की सजा भी कोर्ट ने मुकर्रर की। प्रकरण में कोर्ट के सख्त रुख से कातिल कांप उठे। कोर्ट परिसर से ही तीनों को जेल भेज दिया गया।

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