Sawan 2022 में महामृत्युंजय मंत्र का क्या है महत्व, जानें मंत्र का अर्थ और जाप से होने वाले फायदे
Mahamrityunjaya Mantra in Sawan 2022 स्वर विज्ञान के दृष्टिकोण से देखा जाए तो महामृत्युंजय मंत्र के अक्षरों का विशेष स्वर के साथ उच्चारण किया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनी से शरीर में कंपन होता है।जिससे उच्च स्तरीय विद्युत प्रवाह पैदा होता है।

Mahamrityunjaya Mantra in Sawan 2022 : भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म मेंं वेद पुराण का बहुत महत्व है। शिवपुराण सहित कई ग्रंथों में बताया गया की सावन के महीने भगवान भोलेनाथ की पूजा पाठ बहुत शुभकारी होती है। स्वर विज्ञान के दृष्टिकोण से देखा जाए तो महामृत्युंजय मंत्र के अक्षरों का विशेष स्वर के साथ उच्चारण किया जाए तो उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनी से शरीर में कंपन होता है।
जिससे उच्च स्तरीय विद्युत प्रवाह पैदा होता है और वो हमारे शरीर की नाड़ियों को शुद्ध करने में मदद करता है। सावन में महामृत्युंजय मंत्र के जाप का भी विशेष महत्व है। इस मंत्र के जाप से शिव को प्रसन्न करना आसान होता है। इसके साथ ही बीमारियां और हर तरह की मानसिक एवं शारीरिक परेशानियों को दूर करने में भी यह मंत्र बहुत कारगर माना गया है। ग्रंथों के अनुसार इससे अकाल मृत्यु के योग भी टल सकते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिकेश शुक्ल के जरिए जानते हैं मंत्र का महत्व और जाप के लाभः-
महामृत्युंजय मंत्रः ऊं हौं जूं सः ऊं भूर्भुवः स्वः ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊं स्वः भुवः भूः ऊं सः जूं हौं ऊं
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थः हम उस त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना करते है जो अपनी शक्ति से इस संसार का पालन -पोषण करते हैंं। उनसे हम प्रार्थना करते हैंं कि वे हमें जन्म -मृत्यु के बंधन से मुक्त कर देंं और हमें मोक्ष प्रदान करें। जिस प्रकार से एक ककड़ी अपनी बेल से पक जाने के बाद स्वतः आजाद होकर जमीन पर गिर जाती है। उसी प्रकार हमें भी इस बेल रूपी सांसारिक जीवन से जन्म -मृत्यु के सभी बन्धनों से मुक्ति प्रदान कर मोक्ष प्रदान करें।
मंत्र का आध्यात्मिक महत्वः इस मंत्र के साथ केवल धर्म नहीं है, पूरा स्वर सिद्धांत है। इसे संगीत का विज्ञान भी कहा जाता है। महामृत्युंजय मंत्र की शुरुआत ऊँ से होती है। लंबे स्वर और गहरी सांस के साथ ऊ का उच्चारण किया जाता है। इससे शरीर में मौजूद सूर्य और चंद्र नाड़ियों में कंपन होता है। शरीर में मौजूद सप्तचक्रों में ऊर्जा का संचार होता है। जिसका असर मंत्र पढ़ने वाले के साथ मंत्र सुनने वाले के शरीर पर भी होता है। इन चक्रों के कंपन से शरीर में शक्ति आती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्वर और सांस के तालमेल से जाप करने पर बीमारियों से जल्दी मुक्ति मिलती है।
मंत्र का धार्मिक महत्वः ये मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुति में लिखा है। पद्मपुराण और शिवपुराण में भी इस महामंत्र का महत्व बताया गया है। शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से लंबी आयु, आरोग्य, संपत्ति, यश और संतान की प्राप्ति होती है।
इन आठ दोषों का होता है नाशः इस मंत्र का जप करने से आठ प्रकार के दोषों का नाश होता है।
01- कुंडली के मांगलिक दोष
02- नाड़ी दोष
03- कालसर्प दोष
04-भूत-प्रेत दोष
05- रोग
06- दुःस्वप्न
07-गर्भनाश
08- संतानबाधा
मंत्र को क्यों कहते हैं मृत संजीवनीः यदि सावन के पवित्र महीने मेंं इस मंत्र का जाप किया जाए तो और भी लाभ होता है। पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन पर देवाताओं और असुरों की लड़ाई के समय शुक्राचार्य ने अपनी यज्ञशाला मेंं इसी महामृत्युंजय मंत्र के अनुष्ठान का उपयोग देवताओं द्वारा मारे गए राक्षसों को जीवित करने के लिए किया था। इसलिए इसे मृत संजीवनी के नाम से भी जाना जाता है।
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