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    ₹989 करोड़ की GST सेंधमारी: दिल्ली का 'साइबर' मास्टरमाइंड गिरफ्तार, 500+ फर्जी फर्म का जाल बिछाया!

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 12:19 AM (IST)

    मुरादाबाद में जीएसटी चोरी के मामले में दिल्ली के सुमित कुमार को गिरफ्तार किया गया। वह फर्जी फर्म बनाकर बेचता था और इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड है। पुलिस ...और पढ़ें

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    पुलि‍स की गि‍रफ्त में आरोप‍ित

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। सरकार ने एक देश एक कर के तहत जीएसटी लागू किया था। लेकिन, इसमें भी जालसाजों ने सेंध लगा दी। अब तक सामने आए 5478.35 करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 989.13 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी मामले में दिल्ली वेस्ट नार्थ स्वरूप नगर दत्ता मंदिर गली नंबर आठ निवासी सुमित कुमार को गिरफ्तार किया है।

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    अब तक की जांच में सुमित पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड है, जो फर्जी फर्म बनाकर बेचता था। इसके पास से एक मोबाइल फोन, एक सिम कार्ड, तीन लेपटाप, एक पैन कार्ड, 15 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, चार चेक बरामद किये हैं। पूछताछ में सुमित ने बताया कि वर्ष 2020 से 2023 तक उसने सीए के यहां जीएसटी में अकाउंटिंग का काम सीखा था। इसके बाद कुछ क्लाइंट उसके भी बने।

    रुपयों के लालच में बोगस फर्म बनाने का काम 2024 में शुरु किया। इसके बाद फर्जी सिम लेकर ई-मेल आइडी बनाए। फिर लोन या नौकरी की चाह रखने वालों को गुमराह किया। उनका आधार, पेन कार्ड और पार्सपोर्ट साइज फोटो, जगह का किरायानामा, बिजली का बिल में एडिटिंग कर जीएसटी पोर्टल पर आवेदन करता था। इस प्रक्रिया में एक माह का समय लगता था।

    अब तक 500 से अधिक फर्म का पंजीयन करा चुका है। एके इंटरप्राइजेज पंजीयन के समय मोबाइल नंबर, ईमेल आइडी बनाई। इसमें इखलाक मलिक को वाट्सअप पर 30-40 हजार में फर्म बेच देता था। जिसमें जीएसटी सर्टिफिकेट, जीएसटी यूजर नेम व पासवर्ड उपलब्ध कराता था। बिल कितने का बनाकर बेचा जा रहा था। इसका पता नहीं।

    दावा किया गया कि वह अब तक 20-22 फर्जी सिम, 15 ई-मेल आइडी बनाकर बेच चुका है। इन नंबरों को ई-मेल में बदलकर लगाता था। वहीं इस मामले में 22 नवंबर 2025 को एसआइटी मो. इखलाक मलिक और इत्तेफात आलम उर्फ दानिश कबाड़ी को जेल भेज चुकी है।एसपी क्राइम सुभाष चंद गंगवार के अनुसार, गैंग के सदस्य फर्जी फर्मों के नाम पर मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी बनाकर जीएसटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर लेते थे।

    इसके बाद वे इन फर्मों के नाम से ई-वेबिल, बैंकिंग ट्रांजेक्शन और ओटीपी आधारित वित्तीय कार्य करते थे। वर्ष 2020 से 2023 तक सीए के कार्यालय में काम सीखने के बाद कई फर्जी कंपनियां बनाकर आनलाइन खरीद-फरोख्त और सेवा प्रदाता प्लेटफार्मों के माध्यम से धोखाधड़ी की। पुलिस के मुताबिक इस गैंग का जाल दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला है।

    पकड़ा गया आरोपित सुमित फर्जी फर्मों के नाम पर विभिन्न फाइनेंशियल एप और वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर ओटीपी सत्यापन, बैंक केवाइसी और जीएसटी सत्यापन कराता था। फर्जी पते और दस्तावेज तैयार कर मोबाइल सिम, बैंक खाते और डिजिटल वालेट तैयार कर फर्जी खातों के जरिए वित्तीय लेन-देन कर रकम को अलग-अलग खातों में घुमाता था, ताकि लेन-देन की वास्तविक पहचान न हो सके।

    इसके अलावा फर्जी फर्मों से संबंधित ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और जीएसटी रजिस्ट्रेशन का रिकार्ड भी मिला है। पुलिस जांच में सामने आया कि गैंग ओटीपी आधारित सत्यापन सेवा देने के नाम पर भी रकम वसूलता था। कई बार डिजिटल पेमेंट एप्लिकेशन का दुरुपयोग कर त्वरित ट्रांजेक्शन करता था।

    अपराध शाखा टीम एसआइटी के अनुसार, गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान कर उनकी तलाश की जा रही है। बरामद डिजिटल उपकरणों की फोरेंसिक जांच कर आगे की कड़ियां जोड़ी जाएंगी। एसआइटी का दावा है कि इससे साइबर अपराध के एक सक्रिय नेटवर्क पर बड़ी चोट पहुंची है। इस सिंडिकेट की कड़ियां जोड़ी जाएंगी।

    24 अक्टूबर को उमरी में पकड़ा गया था स्क्रैप से भरा ट्रक

    राज्यकर सचल दल इकाई ने 24 अक्टूबर को उमरी चौराहे पर स्क्रैप से भरा ट्रक पकड़ा था। राज्यकर विभाग ट्रक के दस्तावेजों और ई-वेबिलों की जांच होते ही यह स्पष्ट हो गया था कि स्क्रैप कारोबार की आड़ में फर्जी फर्मों का बड़ा सिंडिकेट संचालित किया जा रहा है। इन फर्मों के माध्यम से न केवल टर्नओवर बढ़ाकर टैक्स चोरी की जा रही थी, बल्कि माल की आवाजाही भी कागजों पर ही दिखाई जा रही थी।

    स्क्रैप प्रकरण की 535 फर्म में 335 फर्म की जांच में टर्नओवर और आइटीसी चोरी सामने आ चुकी है। अभी 200 फर्म का टर्नओवर और आइटीसी चोरी बाकी है। फर्जी बिलिंग, आइटीसी क्लेम और जीएसटीएन डाटा के मिलान में समय लग रहा है।

    समाज में दिखावे के लिए चलाता था दुकान

    दिल्ली निवासी मास्टरमाइंड सुमित समाज में दिखावे के लिए रैक बेचने की दुकान चलाता था। जूते रखने वाली लकड़ी की रैक की दुकान पर दोपहर तक बैठता था। इसके बाद वह साइबर कैफे पहुंच जाता था। वहीं से बैठकर पूरे नेटवर्क को संचालित करता था। इस नेटवर्क में शामिल मास्टर माइंड समेत तीन लोग एसआइटी की पकड़ में आ चुके हैं।

    सिंडिकेट में शामिल मुख्य कड़ी की तलाश में टीम काम कर रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश के अन्य जनपद और राज्य से भी सिंडिकेट के सदस्यों को गिरफ्तार किया जा सकता है।

     

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